जयपुर। राजस्थान में पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार के कार्यकाल के अंतिम साढ़े आठ माह के निर्णयों की जांच के लिए गठित मंत्रिमंडलीय समिति डेढ़ साल से अधिक समय बाद भी अपना काम पूरा नहीं कर सकी है। चौंकाने वाली बात यह है कि इस समिति को अपनी जांच तीन माह में पूरी कर रिपोर्ट सौंपनी थी, लेकिन 17 माह बीत जाने के बावजूद जांच रिपोर्ट बाहर नहीं आई है।
भाजपा सरकार के सत्ता में आने के बाद 1 फरवरी 2024 को चिकित्सा मंत्री गजेंद्र सिंह खींवसर के नेतृत्व में इस मंत्रिमंडलीय समिति का गठन किया गया था। कमेटी को पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार के अंतिम साढ़े आठ माह के महत्वपूर्ण निर्णयों की गहन जांच का जिम्मा सौंपा गया था। इसके अतिरिक्त, पिछले पांच वर्षों में कराए गए नोन-बीएसआर (बेसिक शेड्यूल ऑफ रेट्स) कार्यों की भी जांच इस कमेटी के दायरे में थी।
मंत्रिमंडल सचिवालय की ओर से जारी आदेश में स्पष्ट रूप से कहा गया था कि जांच रिपोर्ट कमेटी को तीन माह के भीतर मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा को सौंपी जानी है। इसका अर्थ था कि रिपोर्ट मई 2024 तक आ जानी चाहिए थी। हालांकि, निर्धारित समय सीमा से 14 माह अधिक बीत चुके हैं और कमेटी की करीब 20 बैठकें हो चुकी हैं, लेकिन अभी तक जांच का निष्कर्ष या कोई रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं की गई है। बताया जा रहा है कि समिति की अभी और बैठकें होनी बाकी हैं, जिससे रिपोर्ट आने में और देरी की संभावना है।
इस विलंब से राजनीतिक गलियारों में सवाल उठने लगे हैं कि आखिर जांच पूरी क्यों नहीं हो पा रही है और क्या सरकार पूर्ववर्ती कार्यकाल के फैसलों की जांच को लेकर गंभीर नहीं है।
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