जयपुर। राजस्थान में जैसलमेर और जयपुर में हुए सड़क हादसों के बाद परिवहन विभाग की लगातार कार्रवाई से नाराज़ बस मोटर ऑपरेटर्स ने भजनलाल सरकार के ख़िलाफ़ मोर्चा खोल दिया है। राजधानी जयपुर को छोड़कर पूरे राजस्थान में आज (शुक्रवार आधी रात) से स्लीपर बसों की हड़ताल शुरू हो गई है। लगभग 7,000 स्लीपर बसों का चक्का जाम हो गया है, जिससे लंबी दूरी की यात्रा करने वाले 3 लाख से ज़्यादा यात्रियों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
हड़ताल के कारण जोधपुर, उदयपुर, कोटा सहित अन्य ज़िलों में निजी स्लीपर बसें खड़ी हो गई हैं। ट्रेवल्स एजेंसियों ने आनन-फानन में बसों की ऑनलाइन बुकिंग बंद कर दी है।
यात्रियों पर असर: दिल्ली, गुजरात, हिमाचल प्रदेश, पंजाब, उत्तराखंड और अन्य राज्यों तक सफ़र करने वाले हर दिन के करीब तीन लाख यात्री अब अचानक फंसे हुए हैं और उन्हें ट्रेन जैसे अन्य माध्यमों से यात्रा करनी पड़ रही है।
ऑल राजस्थान कान्टेक्ट कैरिज बस ऑपरेटर एसोसिएशन के अध्यक्ष राजेंद्र शर्मा ने परिवहन विभाग की कार्रवाई पर सवाल उठाए हैं।
भेदभाव का आरोप: शर्मा ने कहा कि परिवहन विभाग सिर्फ़ प्राइवेट बसों पर कार्रवाई कर रहा है। उन्होंने सवाल किया कि क्या रोडवेज बसों में एग्जिट गेट नहीं है या कमियां सिर्फ़ प्राइवेट बसों में हैं? उन पर कार्रवाई क्यों नहीं हो रही है?
सुधार के लिए समय: बस ऑपरेटर्स ने मांग की है कि जैसलमेर अग्निकांड के बाद शुरू हुई कार्रवाई के तहत यदि बसों की बॉडी मेकिंग में कोई कमी है, तो विभाग हर बस को चेक करके उसे सुधारने के लिए तीन महीने का समय दे।
राजधानी जयपुर की स्लीपर बसें अभी हड़ताल में शामिल नहीं हुई हैं। अध्यक्ष राजेंद्र शर्मा ने बताया कि आज (शुक्रवार) जयपुर में मोटर ऑपरेटर्स की मीटिंग होगी, जिसमें हड़ताल में शामिल होने को लेकर निर्णय लिया जाएगा।
लेकिन राजस्थान बस ऑपरेटर एसोसिएशन ने सरकार को स्पष्ट चेतावनी दी है:
2 दिन का अल्टीमेटम: एसोसिएशन ने कहा कि 2 दिन स्लीपर बस बंद होने के बाद सरकार का रुख देखा जाएगा।
विशाल हड़ताल: यदि सरकार का रुख़ सकारात्मक नहीं रहा, तो 2 नवंबर से प्रदेश में 20 हज़ार से ज़्यादा प्राइवेट बसें सड़कों से हट जाएँगी।
शामिल बसें: इसमें ग्रामीण सेवा, स्कूल बसें, स्टेट कैरिज, उप नगरीय बसें और लोक परिवहन बसें शामिल होंगी।
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