केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान में मिला दुर्लभ मांसाहारी पौधा यूट्रीकुलेरिया, बढ़ी जैव विविधता

केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान में मिला दुर्लभ मांसाहारी पौधा यूट्रीकुलेरिया, बढ़ी जैव विविधता

भरतपुर: भरतपुर के केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान में एक दुर्लभ और अनोखे मांसाहारी पौधे, यूट्रीकुलेरिया की बड़ी संख्या में उपस्थिति दर्ज की गई है। यह पौधा आमतौर पर मेघालय और दार्जिलिंग जैसे क्षेत्रों में पाया जाता है। इसे 'ब्लैडरवॉर्ट' के नाम से भी जाना जाता है।

यह मांसाहारी पौधा छोटे कीट-पतंगों का शिकार कर पर्यावरणीय संतुलन बनाए रखने में अहम भूमिका निभाता है। विशेषज्ञों का मानना है कि इससे घना की जैव विविधता और पारिस्थितिकी तंत्र को नया आयाम मिलेगा।

घना निदेशक मानस सिंह ने बताया कि यूट्रीकुलेरिया मांसाहारी पौधों की एक अनूठी प्रजाति है। यह छोटे जीवों को पकड़ने के लिए मूत्राशय जैसे जाल (ब्लैडर) का इस्तेमाल करता है। ब्लैडर के अंदर आने के बाद जीव फंस जाता है और वहीं मर जाता है। यूट्रीकुलेरिया मुख्य रूप से प्रोटोजोआ, कीड़े, लार्वा, मच्छर और टैडपोल जैसे जीवों का शिकार करता है। इस पौधे की स्थलीय प्रजातियां पानी से भरी मिट्टी में उगती हैं और वहीं तैरने वाले छोटे जीवों को पकड़ती हैं।

इस साल केवलादेव घना में पांचना बांध से भरपूर पानी मिलने के कारण इस पौधे की मौजूदगी संभव हो सकी है। यह पौधा घना के एल, के और बी ब्लॉक में देखा जा रहा है। सेवानिवृत्त प्रो. डॉ. एमएम त्रिगुणायत ने बताया कि कई साल पहले जब घना को पांचना बांध का पानी मिलता था, उस समय यह पौधा नजर आता था. इस बार पानी अच्छा मिला है तो यह फिर से दिखा है।

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