RERA का बड़ा फैसला: ओम स्काई राइज डेवलपर्स को लौटाने होंगे 1,00,000 रुपए

RERA का बड़ा फैसला: ओम स्काई राइज डेवलपर्स को लौटाने होंगे 1,00,000 रुपए

जयपुर: राजस्थान रियल एस्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी (RERA) जयपुर ने ओम स्काई राइज डेवलपर्स प्राइवेट लिमिटेड के खिलाफ दर्ज शिकायत पर अहम फैसला सुनाया है। अथॉरिटी ने कंपनी को पीड़ित माया देवी को 1,00,000 रुपए की राशि 11.10 प्रतिशत ब्याज सहित 45 दिनों के भीतर लौटाने का आदेश दिया है।

क्या था मामला?

डीग जिले की कुम्हेर क्षेत्र निवासी माया देवी ने ओम स्काई राइज डेवलपर्स द्वारा जयपुर में विकसित 'नंद गांव' हाउसिंग प्रोजेक्ट में एक फ्लैट बुक किया था। यह प्रोजेक्ट मुख्यमंत्री जन आवास योजना 2015 के तहत विकसित किया गया था जो सांगानेर, जयपुर में स्थित था। बिल्डर के मार्केटिंग मैनेजर ने उन्हें आश्वासन दिया था कि प्रोजेक्ट तीन वर्षों में पूरा हो जाएगा और जल्दी बुकिंग करने पर लाभ मिलेगा। इस आश्वासन के बाद 6 जुलाई 2016 को पीड़िता ने 50,000 रुपए जमा किए। बिल्डर ने 26 जुलाई 2016 को आवंटन पत्र जारी कर बाकी दस्तावेज जमा करने को कहा इसके बाद पीड़िता ने 3 अगस्त 2016 को फिर से 50,000 रुपए जमा किए जिससे कुल जमा राशि 1,00,000 रुपए हो गई।

पीड़िता के अनुसार बिल्डर ने फ्लैट बायर एग्रीमेंट नहीं किया जबकि रियल एस्टेट (विनियमन और विकास) अधिनियम 2016 (RERA) के तहत 10% राशि जमा होने के बाद समझौता करना अनिवार्य था। बिल्डर ने 17 नवंबर 2017 को RAJ-RERA में प्रोजेक्ट का पंजीकरण कराया जिसकी वैधता 31 मार्च 2020 तक थी, इसके बाद 31 मार्च 2021 तक एक बार एक्सटेंशन लिया गया लेकिन प्रोजेक्ट को पूरा नहीं किया गया और इसकी स्थिति "लैप्स" घोषित कर दी गई।

RERA में दर्ज कराई शिकायत

पीड़ित माया देवी ने RAJ RERA में धारा 31 के तहत शिकायत दर्ज कराई। शिकायत पर सुनवाई के लिए 24 जनवरी 2024, 15 फरवरी 2024, 7 मार्च 2024, 22 अप्रैल 2024, 20 सितंबर 2024, 4 अक्टूबर 2024 और 4 दिसंबर 2024 को कई नोटिस जारी किए गए लेकिन बिल्डर ने कोई जवाब नहीं दिया और न ही सुनवाई में पेश हुआ। अंतत 11 फरवरी 2025 को सुनवाई हुई, जिसमें शिकायतकर्ता के वकील एडवोकेट अर्पित जैन ने बिल्डर की अनुपस्थिति में एकतरफा सुनवाई (एक्स-पार्टी) करने की मांग की, जिसे अथॉरिटी ने स्वीकार कर लिया।

जांच में सामने आए ये तथ्य

RAJ-RERA ने प्रोजेक्ट की स्थिति को आधिकारिक पोर्टल पर जांचा, जहां अंतिम रिपोर्ट के अनुसार निर्माण कार्य केवल 55% तक पूरा हुआ था और वार्षिक प्रगति रिपोर्ट भी दायर नहीं की गई थी।

RERA का फैसला

इन तथ्यों को ध्यान में रखते हुए RAJ-RERA के सदस्य सुधीर कुमार शर्मा ने आदेश दिया कि बिल्डर 1,00,000 रुपए की जमा राशि को 11.10 प्रतिशत ब्याज के साथ पीड़िता को 45 दिनों के भीतर लौटाए।

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