कोटा। "नेकी कर कुएं में डाल" यह पुरानी कहावत अब बीते जमाने की बात हो गई है। आधुनिक युग में यह "नेकी कर और फेसबुक पर डाल" में बदल चुकी है। कहा जाता है कि यदि नेकी करके उसे फेसबुक पर न डाला जाए, तो वह नेकी अधूरी मानी जाती है। इसी विचारधारा से प्रेरित होकर, कोटा स्टेशन के एक वरिष्ठ अधिकारी इन दिनों खूब सुर्खियां बटोर रहे हैं।
यह अधिकारी कोई भी 'नेकी का काम' करते ही उसे तुरंत फेसबुक पर पोस्ट कर देते हैं। कुछ लोगों का तो मानना है कि ये अधिकारी फेसबुक पर डालने के लिए ही ऐसे काम करते हैं, और अगर सोशल मीडिया न होता तो शायद ये 'नेकी' के काम भी नहीं होते।
फेसबुक पर अपनी 'नेकी' को साझा करने के लिए यह अधिकारी इतने आतुर रहते हैं कि वे हमेशा अपने साथ एक मोबाइल कैमरामैन कर्मचारी को रखते हैं। इस कर्मचारी का मुख्य कार्य अधिकारी द्वारा किए गए किसी भी 'नेकी' के काम की तुरंत तस्वीरें और रील्स बनाना है। लगातार काम करते हुए यह कर्मचारी अब इतने अभ्यस्त हो गए हैं कि अधिकारी के इशारे के बिना ही सब कुछ समझ जाते हैं और तुरंत फोटो-रील बनाने में जुट जाते हैं। सुनने में तो यह भी आया है कि फेसबुक पर डालने के लिए कुछ 'नेकी' के काम तो जबरन करने पड़ते हैं।
'नेकी' का यह शौक अधिकारी को इतना भाया कि सेवानिवृत्ति के बाद घर पर वे बेचैन रहने लगे। 'नेकी' के काम न होने से फेसबुक पर लाइक और कमेंट्स आने बंद हो गए, जिससे अधिकारी की बेचैनी और बढ़ गई। 'नेकी' के काम का यह जुनून तमाम बीमारियों के बावजूद अधिकारी को दोबारा काम पर आने से नहीं रोक सका। इसके बाद फिर से वही 'नेकी', फोटो, रील, कमेंट्स और लाइक्स का सिलसिला शुरू हो गया, जिससे अधिकारी को नई ऊर्जा मिलने लगी।
अपने चेंबर में स्टेशन के हर कर्मचारी का जन्मदिन मनाने के लिए मशहूर इन अधिकारी का यह शौक इतना बढ़ गया कि वे मुख्यालय और मंडल अधिकारियों के ऑफिशियल ग्रुप पर भी टिप्पणी करने से नहीं चूके। इन महत्वपूर्ण ग्रुपों पर अधिकारी ने 'दिल' के आकार की इमोजी डाल दी। यह नजारा देखकर वरिष्ठ अधिकारी भड़क गए। मुख्यालय और मंडल अधिकारियों ने स्टेशन अधिकारी को इस तरह के कमेंट्स पर जमकर फटकार लगाई। हालांकि, अधिकारी का 'नेकी को फेसबुक पर डालने' का यह सिलसिला अभी भी जारी है।
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