राजस्थान लोक सेवा आयोग (RPSC) ने RAS भर्ती परीक्षा-2024 के साक्षात्कार प्रक्रिया में फर्जी दिव्यांग प्रमाण-पत्रों के दुरुपयोग को रोकने के लिए एक बार फिर कड़ी सतर्कता बरती है। आयोग अब दिव्यांग अभ्यर्थियों की पात्रता सुनिश्चित करने के लिए दोबारा मेडिकल बोर्ड के माध्यम से सघन जांच करवा रहा है। इस कदम का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि आरक्षण का लाभ केवल वास्तविक दिव्यांगजन को ही मिले।
आयोग सचिव रामनिवास मेहता ने बताया कि आयोग RAS भर्ती-2023 की तरह ही, 2024 में भी दिव्यांगता प्रतिशत और प्रकार की पुष्टि के लिए जांच करवा रहा है।
सक्रिय UDID कार्ड अनिवार्य: भारत सरकार के सर्कुलर के अनुसार, अब लाभ वितरण से पहले सक्रिय यूनिक डिसेबिलिटी आईडी कार्ड (UDID) और विकलांगता प्रमाण-पत्रों का सत्यापन अनिवार्य कर दिया गया है। UDID शुरू होने से पहले के प्रमाण-पत्रों का भी दोबारा सत्यापन किया जा रहा है।
विसंगतियां: जांच के दौरान विशेष रूप से लो विजन और हार्ड हियरिंग के मामलों में कई प्रकार की विसंगतियां सामने आ रही हैं।
मेहता ने स्पष्ट किया कि यदि कोई व्यक्ति गलत प्रमाण-पत्र प्रस्तुत कर नियुक्ति प्राप्त करता है, तो यह न केवल वास्तविक दिव्यांगजन के अधिकारों का हनन है, बल्कि एक आपराधिक कृत्य भी है।
फर्जी दिव्यांगता प्रमाण-पत्रों में शामिल लोगों के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
| कानूनी प्रावधान | दंड |
| धारा 89 (धोखाधड़ी/नियमों का उल्लंघन) | पहली बार उल्लंघन पर ₹10,000 तक का जुर्माना। बाद के उल्लंघनों पर ₹50,000 तक का जुर्माना। |
| धारा 91 (धोखाधड़ी से लाभ प्राप्त करने का प्रयास) | दो साल तक की कैद और ₹1 लाख तक का जुर्माना। |
आयोग सचिव रामनिवास मेहता ने बताया कि RPSC फर्जी दिव्यांग प्रमाण-पत्र, छद्म डिग्री या जालसाजी जैसे प्रकरणों में पहले ही सख्त कार्रवाई कर चुका है।
कुल डिबार: आयोग ने अभी तक 524 संदिग्ध और अपात्र अभ्यर्थियों को अपनी भर्ती परीक्षाओं से डिबार किया है।
आजीवन डिबार: इनमें से 415 अभ्यर्थियों को आजीवन आयोग की भर्ती परीक्षाओं से डिबार किया गया है।
अन्य कार्रवाई: RAS-2023 में सख्ती के बाद कई अभ्यर्थियों ने मेडिकल जांच से दूरी बना ली थी या श्रेणी बदलने के लिए प्रार्थना-पत्र दिए थे। आयोग ने फर्जी प्रमाण-पत्रों के आधार पर सरकारी सेवाओं में कार्यरत व्यक्तियों के विरुद्ध कार्रवाई के लिए संबंधित विभागों और फर्जी प्रमाण-पत्र जारी करने वाले चिकित्सकों के विरुद्ध कार्रवाई के लिए चिकित्सा निदेशालय को भी पत्र भेजे हैं।
RPSC यह सुनिश्चित कर रहा है कि केवल वास्तविक रूप से पात्र अभ्यर्थियों को ही लाभ मिल सके।
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