सवाई माधोपुर: 'सामाजिक, भावनात्मक एवं नैतिक शिक्षण' पर तीन दिवसीय कार्यशाला सफलतापूर्वक संपन्न

सवाई माधोपुर: 'सामाजिक, भावनात्मक एवं नैतिक शिक्षण' पर तीन दिवसीय कार्यशाला सफलतापूर्वक संपन्न

 

सवाई माधोपुर। जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान (डाइट), सवाई माधोपुर के डीआरयू प्रभाग के तत्वावधान में “सामाजिक, भावनात्मक एवं नैतिक शिक्षण (C-Learning)” पर आयोजित तीन दिवसीय कार्यशाला का गुरुवार, 13 नवम्बर 2025 को सफलतापूर्वक समापन हुआ। यह कार्यशाला जिले के सभी ब्लॉकों से आए 40 शिक्षकों की सक्रिय भागीदारी से परिपूर्ण थी, जिसका उद्देश्य विद्यालयों में करुणा और नैतिकता की संस्कृति को स्थापित करना है।

कार्यशाला का उद्देश्य और फोकस

डीआरयू प्रभाग प्रभारी राजेश कुमार गर्ग के मार्गदर्शन में आयोजित इस कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य शिक्षकों को सी लर्निंग (C-Learning) के सिद्धांतों, दृष्टिकोणों और व्यवहारिक अनुप्रयोगों से परिचित कराना था। इसका लक्ष्य छात्रों के सामाजिक, भावनात्मक और नैतिक विकास को सशक्त बनाना है।

प्रशिक्षण के दौरान प्रतिभागियों को सी लर्निंग के फ्रेमवर्क, विशेषकर उसके तीन डोमेन—आत्म-जागरूकता, सामाजिक जागरूकता और प्रणालियों की जागरूकता—की गहन समझ प्रदान की गई।

इंटरैक्टिव सत्रों का संचालन

कार्यशाला के संचालन में संदर्भ व्यक्ति (एमटी) रामहेत मीणा और पीरामल फाउंडेशन, जयपुर के वरिष्ठ कार्यक्रम लीडर मोहम्मद खुलूस खान ने विशेष भूमिका निभाई। प्रशिक्षकों ने सत्रों को अत्यधिक इंटरैक्टिव और अनुभवात्मक बनाया और यह स्पष्ट किया कि सी लर्निंग केवल एक शैक्षणिक कार्यक्रम नहीं है, बल्कि यह विद्यालयों में करुणा, संवेदनशीलता और आत्म-जागरूकता की संस्कृति स्थापित करने वाला एक दृष्टिकोण है।

अभ्यास और गतिविधियों पर ज़ोर

सत्रों के दौरान, प्रतिभागियों ने कई गतिविधियों में भाग लिया, जिनमें प्रमुख थीं:

  • ‘खुशियों का पिटारा’

  • ‘रेज़िलिएंस ज़ोन’

  • ‘ग्रैटिट्यूड बॉक्स’

  • ‘इमोशन व्हील’

इन गतिविधियों के माध्यम से शिक्षकों ने आत्म-प्रतिबिंब, सहानुभूति और नैतिक निर्णय लेने की क्षमता का अभ्यास किया। इससे उन्हें यह समझने में मदद मिली कि छात्रों की भावनात्मक ज़रूरतों को दैनिक विद्यालयीन जीवन में कैसे समझा और संबोधित किया जा सकता है।

शिक्षकों का संकल्प

कार्यशाला में शामिल शिक्षकों ने साझा किया कि यह प्रशिक्षण उनके लिए स्वयं को जानने और एक करुणामय शिक्षक के रूप में विकसित होने का अवसर था। कई शिक्षकों ने कहा कि इससे उन्हें बच्चों के साथ अधिक सकारात्मक और संवेदनशील संबंध बनाने की प्रेरणा मिली है।

कार्यशाला के अंत में, सभी प्रतिभागियों ने संकल्प लिया कि वे सी लर्निंग के सिद्धांतों को अपने-अपने विद्यालयों में लागू करेंगे, ताकि शिक्षा केवल ज्ञानार्जन तक सीमित न रहकर भावनात्मक सशक्तिकरण और नैतिक आचरण की दिशा में एक परिवर्तनकारी भूमिका निभा सके।

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