कोटा। दी रेलवे एम्पलाइज कोऑपरेटिव जयपुर बैंक लिमिटेड (Jaipur Bank) की तरह ही, जैक्सन कोऑपरेटिव क्रेडिट सोसाइटी (JC Bank) के कारनामे भी अब सामने आने लगे हैं। बैंक और रेलवे प्रशासन की मिलीभगत से हुए दो गंभीर मामले सामने आए हैं, जिनमें बिना लोन चुकाए कर्मचारी का स्थानांतरण और फर्जी हस्ताक्षर से लोन की किस्त काटना शामिल है। कर्मचारियों ने इन मामलों की शिकायत कोटा मंडल रेल प्रशासन से की है।
गंगापुर टेलिकॉम विभाग में कार्यरत सत्यनारायण ने डीआरएम को दी गई अपनी शिकायत में बताया कि कर्मचारी देवेंद्र कुमार यादव ने जेसी बैंक से 9 लाख 7 हजार 500 रुपए का लोन लिया था।
नियमों का उल्लंघन: बिना लोन चुकाए ही, रेलवे ने इसी साल फरवरी में देवेंद्र का पारस्परिक (Mutual) स्थानांतरण प्रयागराज मंडल में कर दिया।
बैंक की मिलीभगत: रेलवे ने नियम विरुद्ध तरीके से जेसी बैंक के नो ड्यू सर्टिफिकेट (NOC) के बिना ही देवेंद्र को तुरंत प्रभाव से रिलीव भी कर दिया।
जमानतदार पर बोझ: प्रयागराज में भी देवेंद्र के बकाया लोन 7 लाख 35 हजार 309 रुपए की कटौती नहीं की जा रही है। जिसके बाद जेसी बैंक ने गारंटर सत्यनारायण के खाते से लोन की किश्त काटनी शुरू कर दी।
सत्यनारायण ने चेतावनी दी है कि यदि उसके वेतन से बकाया लोन की किश्त कटना बंद नहीं हुई, तो वह मामले को अदालत ले जाएंगे।
दूसरा गंभीर मामला भरतपुर में कार्यरत चाबी वाले योगेंद्र सैनी और शानू लाल के फर्जी हस्ताक्षर कर लोन की किश्त काटने का है।
मूल कर्जदार गायब: योगेंद्र ने बताया कि उनके सहकर्मी रवींद्र जाटव ने कुछ समय पहले जेसी बैंक से 7 लाख 50 हजार रुपए का लोन लिया था। कुछ किश्तें चुकाने के बाद रवींद्र ड्यूटी से गायब हो गया।
फर्जी जमानतदार: इसके बाद रेलवे ने अचानक योगेंद्र सैनी के वेतन से किश्त काटना शुरू कर दिया। योगेंद्र का दावा है कि उन्होंने कभी रवींद्र की जमानत नहीं दी थी, बल्कि उनके फर्जी हस्ताक्षर कर किश्त काटी जा रही है। उन्होंने यह भी बताया कि फार्म पर सुपरवाइजर के भी हस्ताक्षर नहीं थे, यह ऑफिस बाबू का खेल है।
अदालती कार्यवाही: रेलवे को शिकायत के बावजूद सुनवाई न होने पर योगेंद्र इस मामले को भरतपुर कोर्ट में ले गए हैं।
बैंक का पक्ष: बैंक संचालक महेंद्र खींची ने योगेंद्र के दावे को खारिज करते हुए कहा कि हस्ताक्षर योगेंद्र के ही हैं और उन्हें कंप्यूटर पर दिखा भी दिए गए थे।
रेलवे ने इन मामलों की जांच शुरू कर दी है। जांच में रेलवे को देवेंद्र के फर्जी हस्ताक्षर मिले हैं। बुधवार को कल्याण निरीक्षक ने देवेंद्र, शानू और रवींद्र के बयान भी दर्ज किए हैं। (उल्लेखनीय है कि डेढ़ साल गायब रहने के बाद रवींद्र भी पिछले दिनों वापस ड्यूटी पर लौट आया।)
यह पहली बार नहीं है जब लोन में फर्जीवाड़े के ऐसे मामले सामने आए हैं। इससे पहले जयपुर बैंक के लोन के मामले में भी वर्कशॉप के एक कर्मचारी का म्युचुअल ट्रांसफर कर दिया गया था, जिसे मीडिया में मामला आने के बाद रद्द किया गया था।
सूत्रों का कहना है कि ऐसे कई और मामले हैं, जो अब जल्द ही सामने आएंगे।
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