बौंली, सवाई माधोपुर: क्षेत्र की ऐतिहासिक धरोहर बौंली का विजयगढ़ किला प्रशासनिक उपेक्षा और संरक्षण के अभाव में अपना अस्तित्व खो रहा है। प्राचीन यह किला अब खंडहर में तब्दील होता जा रहा है, जिससे इसकी भव्यता इतिहास के पन्नों तक सिमटती जा रही है।
संरक्षण के अभाव में अस्तित्व खो रहा विजयगढ़
विजयगढ़ किला बौंली क्षेत्र की शान रहा है, लेकिन वर्तमान में संरक्षण की कमी इसे धीरे-धीरे निगल रही है। स्थानीय लोगों और इतिहास प्रेमियों का मानना है कि प्रशासनिक उदासीनता के कारण क्षेत्र की यह महत्वपूर्ण धरोहर नष्ट हो रही है। यदि समय रहते इस पर ध्यान नहीं दिया गया, तो आने वाली पीढ़ियां इसे केवल तस्वीरों में ही देख पाएंगी।
राजनीतिक उपेक्षा बनी जीर्णोद्धार में बाधा
इस किले के अंतिम शासक महाराजा बहादुर सिंह थे। जानकारों का कहना है कि आजादी के बाद से ही इस किले के जीर्णोद्धार पर कोई खास ध्यान नहीं दिया गया। राजनीतिक उपेक्षा के चलते किले की मरम्मत और रखरखाव का कार्य कभी शुरू नहीं हो सका, जिसका नतीजा आज सबके सामने है।
पर्यटन के लिए अपार संभावनाएं
विशेषज्ञों का मानना है कि बौंली के इस ऐतिहासिक किले को पर्यटन पटल पर विकसित किया जा सकता है। प्राकृतिक हरियाली और रेतीले टीलों के बीच स्थित यह प्राचीन विजयगढ़ का किला न केवल इतिहास प्रेमियों को आकर्षित कर सकता है, बल्कि यहाँ लेपर्ड सफारी जैसी संभावनाएं भी विकसित की जा सकती हैं। किले का जीर्णोद्धार होने से क्षेत्र में पर्यटन बढ़ेगा और स्थानीय लोगों के लिए रोज़गार के अवसर पैदा होंगे।
आखिर कौन है जिम्मेदार?
बड़ा सवाल यह है कि ऐतिहासिक इमारतों के संरक्षण का ज़िम्मेदार कौन है? क्या यह ज़िम्मेदारी पुरातत्व विभाग की है, या स्थानीय प्रशासन और सरकार की? क्षेत्र के लोग मांग कर रहे हैं कि सरकार और प्रशासन को इस ऐतिहासिक धरोहर को बचाने के लिए तुरंत कदम उठाने चाहिए, ताकि विजयगढ़ किला अपनी खोई हुई पहचान फिर से हासिल कर सके।
 
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