अखिलेश यादव ने गांधी, पटेल और नेहरू से मोहम्मद अली जिन्ना की तुलना को सही ठहराया।

अखिलेश यादव ने गांधी, पटेल और नेहरू से मोहम्मद अली जिन्ना की तुलना को सही ठहराया।
अखिलेश यादव को पता है कि इस बयान से उत्तर प्रदेश का 20 प्रतिशत मुसलमान एकजुट हो जाएगा, लेकिन 80 प्रतिशत हिन्दू समुदाय नहीं।
जिन्ना जो चाहते थे उसी पर अमल कर रहे हैं अखिलेश जैसे नेता।
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7 नवंबर को समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव ने एक बार फिर कहा है कि महात्मा गांधी, सरदार वल्लभ भाई पटेल और जवाहरलाल नेहरू से पाकिस्तान के नेता मोहम्मद अली जिन्ना से तुलना करने वाला उनका बयान सही है। जो लोग उनके बयान पर एतराज कर रहे हैं उन्हें इतिहास की किताबें दोबारा से पढ़ना चाहिए। यानी अखिलेश अपने बयान पर कायम हैं। उत्तर प्रदेश में चार-पांच माह बाद विधानसभा के चुनाव होने हैं और अखिलेश यादव किसी भी हथकंडे से समाजवादी पार्टी की सरकार के मुख्यमंत्री बनना चाहते हैं। असल में अखिलेश को पता है कि पाकिस्तान के नेता मोहम्मद अली जिन्ना की तारीफ करने से यूपी के 20 प्रतिशत मुस्लिम मतदाता एकजुट हो जाएंगे, जबकि 80 प्रतिशत हिन्दू समुदाय एकजुट नहीं होगा। 20 प्रतिशत मुस्लिमों को एकजुट करने व यादव होने के कारण यादवों के वोट भी हासिल कर लेंगे। हिन्दुओं के वोट तो अन्य कारणों से भी मिल जाएंगे। सब जानते हैं कि आजादी के समय मुस्लिम धर्म और आबादी का तर्क देकर मोहम्मद अली जिन्ना ने मुस्लिम राष्ट्र पाकिस्तान बनवाया था। तब महात्मा गांधी ने कहा था कि पाकिस्तान मेरी लाश पर बनेगा, लेकिन बाद में इन्हीं गांधीजी ने पाकिस्तान की मदद के लिए 50 करोड़ रुपए भारत सरकार से दिलवाए। असल में विभाजन के समय मोहम्मद अली जिन्ना ने जो चाहा था वो ही अब अखिलेश यादव जैसे राजनीति कर रहे हैं। पहले धर्म के नाम पर पाकिस्तान को मुस्लिम राष्ट्र बनवाया और फिर भारत को धर्मनिरपेक्ष घोषित करवा दिया। सवाल उठता है कि पाकिस्तान को संवैधानिक दृष्टि से धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र क्यों नहीं बनाया गया? इसे मोहम्मद अली जिन्ना की दूरदृष्टि ही कहा जाएगा कि उन्होंने सिर्फ भारत को ही धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र घोषित करवाया। जिन्ना को पता था कि धर्मनिरपेक्षता के नाम पर भाज में आज जो बीज बोए जा रहे हैं उन्हें सींचने के लिए मुलायम सिंह यादव, लालू प्रसाद यादव और उनके पुत्र तैयार होंगे। रही सही कसर ममता बनर्जी जैसी राजनेता पूरी करेंगी। मोहम्मद अली जिन्ना भले ही विभाजन के जिम्मेदार हों, लेकिन जो नेता जिन्ना की तारीफ करेगा, उसकी झोली वोटों से भर जाएगी। उत्तर प्रदेश में भले ही 20 प्रतिशत आबादी मुस्लिमों की हो, लेकिन 400 में से 70 विधानसभा क्षेत्र ऐसे हैं, जहां 20 से 30 प्रतिशत आबादी मुस्लिम है। इसी 73 विधानसभा क्षेत्रों में तो मुस्लिम आबादी 30 प्रतिशत से भी ज्यादा है। अखिलेश यादव को पता है कि जिन्ना की तारीफ करने से 400 में से 150 सीटें पर उनकी पार्टी के उम्मीदवार जीत सकते हैं। जिस मोहम्मद अली जिन्ना की वजह से देश का विभाजन हुआ, वही जिन्ना आज भारत में राजनीतिक दलों की जीत का कारण भी बन रहे हैं। गंभीर बात तो यह है कि धर्मनिरपेक्षता के पैरोकार अखिलेश यादव के बयान की तारीफ कर रहे हैं। लेकिन ऐसे पैरोकार तब चुप हो जाते हैं जब कश्मीर में आतंकी हिन्दुओं को टारगेट कर हत्याएं करते हैं। इसे दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति ही कहा जाएगा कि चुनाव के समय तो धर्मनिरपेक्ष के गीत गाए जाते हैं, लेकिन कश्मीर में हिन्दुओं की हत्याओं पर एक शब्द भी नहीं बोला जाता। जो अखिलेश यादव के जिन्ना वाले बयान पर खुश हो रहे हैं, उन्हें अफगानिस्तान के हालात देख लेने चाहिए। अफगानिस्तान में नमाज पढ़ते समय ही लोगों को मौत के घाट उतारा जा रहा है। जिन्ना के समर्थक बताएं कि अफगानिस्तान की मस्जिदों में कौन विस्फोट कर रहा है?