अनुच्छेद 370 को हटाने, अयोध्या में राम मंदिर बनवाने, हर ग्रामीण के घर शौचालय व नल से जल पहुंचाने के कामों से जो लोग खुश नहीं है उन्हें उत्तर प्रदेश के चुनाव में भाजपा को हराना चाहिए।

अनुच्छेद 370 को हटाने, अयोध्या में राम मंदिर बनवाने, हर ग्रामीण के घर शौचालय व नल से जल पहुंचाने के कामों से जो लोग खुश नहीं है उन्हें उत्तर प्रदेश के चुनाव में भाजपा को हराना चाहिए।
उत्तर प्रदेश में योगी हारे तो 2024 में मोदी को हराना भी आसान होगा। लेकिन सीएए, कृषि कानूनों के विरोध को लेकर रास्ते जाम नहीं होने चाहिए।
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लोकतंत्र का यही मतलब होता है कि आम किसी दल की सरकार से न खुश हैं तो चुनाव में उस दल की सरकार को हरा दें। इन दिनों जिन पांच राज्यों में विधानसभा के चुनाव हो रहे हैं, इनमें सबसे महत्वपूर्ण उत्तर प्रदेश के चुनाव हैं। राजस्थान में विधानसभा की 200 सीटें हैं, जबकि उत्तर प्रदेश में 403 सीटें हैं। इसी से यूपी के चुनावों का महत्व समझा जा सकता है। वर्ष 2014 में नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद देश की अनेक पुरानी समस्याओं का समाधान हुआ है। इनमें जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाने और अयोध्या में राम मंदिर बनवाने के फैसले सबसे महत्वपूर्ण है। 370 की वजह से जहां जम्मू कश्मीर में आतंकवाद पनपा, वहीं राम मंदिर के लिए हजारों लोगों ने बलिदान दिया। हो सकता है कि इन फैसलों से कुछ लोग खुश नहीं हो। ग्रामीण क्षेत्रों में हर घर में शौचालय बनवाने और नल से जल पहुंचाने का कार्य भी मोदी सरकार ने किया है। विकास के ऐसे कार्यों से भी कुछ लोग नादान हो सकते हैं। मोदी सरकार की नीतियों से नाराज लोगों को अब एकजुट होकर उत्तर प्रदेश के चुनाव में भाजपा को हराना चाहिए। पहले दिल्ली में सीएए और फिर कृषि कानूनों के विरोध में कुछ लोगों ने रास्ते जाम किए। इससे आम लोगों को भारी परेशानी हुई। लेकिन मोदी सरकार से नाराज लोगों ने आम लोगों की परेशानियों की ओर कोई ध्यान नहीं दिया। ऐसे लोगों का मकसद सिर्फ मोदी सरकार का विरोध करना था। जबकि लोकतंत्र में रास्ते जाम करने की कोई गुंजाइश नहीं होती है, क्योंकि लोकतंत्र में चुनाव प्रणाली से सरकारों को हटाया जा सकता है। जनविरोधी नीतियों के कारण ही कांग्रेस को केंद्र की सरकार गंवानी पड़ी है। मोदी सरकार की नीतियों से न खुश लोगों के पास उत्तर प्रदेश का चुनाव एक सुनहरा अवसर है। यूपी चुनाव में भाजपा को हरा कर योगी आदित्यनाथ को तो मुख्यमंत्री के पद से हटाया ही जा सकता है, साथ ही 2024 के लोकसभा चुनाव में भी भाजपा को हराना आसान होगा। न खुश लोगों को लोकतंत्र में चुनाव का हथियार के तौर पर इस्तेमाल करना चाहिए। जो लोग चुनाव में हार जाते हैं और सड़क पर बैठ कर धरना प्रदर्शन करते हैं वे एक तरह से लोकतंत्र विरोधी कार्य ही करते हैं। लोकतंत्र का मतलब यही है कि जनता जिसे चाहती है उस दल की सरकार बनती है। अब यदि उत्तर प्रदेश में जनता फिर से भाजपा को वोट देकर योगी आदित्यनाथ को ही मुख्यमंत्री के रूप में देखना चाहती है तो फिर धरना प्रदर्शन करने वालों को अपनी स्थिति पर विचार करना चाहिए। हालांकि अखिलेश यादव इस बात का पूरा प्रयास कर रहे हैं कि मोदी विरोधियों को एकजुट कर विधानसभा का चुनाव जीत लिया जाए। इसके लिए वे सीएए और दिवंगत हो चुके कृषि कानूनों के विरोधियों का पूरा सहारा ले रहे हैं। यह बात अलग है कि ऐसे गठबंधन अखिलेश ने 2017 के विधानसभा और 2019 के लोकसभा चुनाव में भी किए थे, लेकिन उत्तर प्रदेश की जनता ने नरेंद्र मोदी की नीतियों का ही समर्थन किया। उत्तर प्रदेश की जनता क्या चाहती है, इसका पता 10 मार्च को लग जाएगा।