लखनऊ। उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में भ्रष्टाचार का एक सनसनीखेज मामला सामने आया है। यहां की पेपरमिल चौकी में तैनात दारोगा धनंजय सिंह को एंटी करप्शन टीम ने ₹2 लाख की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों गिरफ्तार कर लिया। दारोगा ने एक गैंगरेप के झूठे केस से नाम हटाने के लिए पीड़ित से यह मोटी रकम मांगी थी। चौकी के अंदर हुई इस कार्रवाई ने लखनऊ पुलिस की कार्यशैली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
शिकायतकर्ता प्रतीक गुप्ता ने बताया कि उन्हें करीब दो महीने पहले एक गैंगरेप के मामले में फंसाया गया था। यह मामला तब शुरू हुआ जब उनकी एक पूर्व कर्मचारी ने नौकरी छोड़ने के चार महीने बाद, डेढ़ साल पुराने रेप का आरोप लगाया और जबरन एक अनजान व्यक्ति के साथ जोड़कर उन्हें भी गैंगरेप का आरोपी बना दिया गया।
चौकी इंचार्ज धनंजय सिंह ने केस से नाम हटाने के लिए पहले ₹50 लाख की मोटी डिमांड की थी।
यह रकम बाद में ₹10 लाख पर तय हुई, लेकिन दारोगा ने तत्काल नाम हटाने के लिए ₹2 लाख की रिश्वत मांगी थी।
दारोगा का कहना था कि जब ₹50 लाख पूरे हो जाएंगे, तब लड़की का बयान बदलवा दिया जाएगा।
वसूली के इस खेल से प्रताड़ित होकर पीड़ित प्रतीक गुप्ता ने एंटी करप्शन टीम से संपर्क किया। टीम ने मामले की गंभीरता को देखते हुए एक जाल बिछाया।
गुरुवार को जब पीड़ित प्रतीक गुप्ता रिश्वत की तय रकम लेकर पुलिस चौकी पहुंचे।
वहां पहले से घात लगाकर बैठी एंटी करप्शन टीम ने दबिश दी और दारोगा धनंजय सिंह को रंगे हाथों गिरफ्तार कर लिया।
चौकी के अंदर हुई इस हाई प्रोफाइल गिरफ्तारी के बाद हड़कंप मच गया है। दारोगा के खिलाफ आगे की कानूनी कार्रवाई शुरू कर दी गई है।
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