रूस की ताकत के आगे संयुक्त राष्ट्र संघ तमाशबीन बना। नाटो की आड़ में रूस पर कार्यवाही की गई तो अमेरिका और ब्रिटेन को परिणाम भुगतने होंगे।

आखिर रूस ने यूक्रेन को अपने कब्जे में ले ही लिया।
चीन और रूस की ताकत के आगे संयुक्त राष्ट्र संघ तमाशबीन बना। नाटो की आड़ में रूस पर कार्यवाही की गई तो अमेरिका और ब्रिटेन को परिणाम भुगतने होंगे।
भारत तो तटस्थ देश की भूमिका निभाएगा। अभी भी 20 हजार भारतीय छात्र-छात्राएं यूक्रेन में फंसे हैं।
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अमेरिका, ब्रिटेन और फ्रांस जैसे ताकतवर देश चिल्लपों करते रह गए और रूस ने 22 फरवरी को यूक्रेन के सभी सैन्य ठिकानों को अपने कब्जे में ले लिया। रूस के राष्ट्रपति पुतिन ने कहा है कि यदि नाटो की आड़ में अमेरिका, ब्रिटेन आदि देशों ने युद्ध में दखल दिया तो ऐसे देशों को परिणाम भुगतने होंगे। पुतिन का कहना है कि यूक्रेन के मौजूदा शासन में रूसी भाषा बोलने वाले नागरिकों पर अत्याचार हो रहे थे, ऐसे नागरिक पहले सोवियत संघ के ही नागरिक थे। ऐसे रूसी नागरिकों को बचाने का दायित्व रूस का है। उन्होंने कहा कि अब यूक्रेन की मदद करने वाले देशों को परिणाम भुगतने होंगे। जो युद्ध अभी यूक्रेन तक चिन्हित है वह अन्य देशों में फैल जाएगा। रूस की सेनाओं ने यूक्रेन के एयर डिफेंस सिस्टम को पूरी तरह तबाह कर दिया है इसलिए यूक्रेन की सेना रूस का मुकाबला नहीं कर पा रही है। पुतिन के कुछ भी तर्क हों, लेकिन यह सही है कि रूस ने अपने सैन्य बल के दम पर यूक्रेन पर कब्जा किया है। गंभीर बात तो यह है कि यूक्रेन पर कब्जे के समय संयुक्त राष्ट्र संघ तमाशबीन बना हुआ है। यह माना कि संयुक्त राष्ट्र संघ में अमेरिका का दबदबा है, लेकिन यूक्रेन को लेकर रूस और चीन ने जो ताकत दिखाई है, उसके आगे संयुक्त राष्ट्र संघ बेदम नजर आ रहा है। संयुक्त राष्ट्र संघ ने जो पांच देश शक्तिशाली है, उनमें रूस और चीन भी है। यदि अमेरिका के दबाव से कोई प्रस्ताव रखा जाता है तो चीन और रूस वीटो पावर का इस्तेमाल करेंगे। यूक्रेन पर कब्जे के समय चीन पूरी तरह रूस के साथ खड़ा है। अब तक अन्य देशों में अमेरिका की दखलंदाजी होती थी। अमेरिका ने अपना दबदबा बनाए रखने के लिए ही इराक, अफगानिस्तान आदि देशों में सैन्य कार्यवाही की। लेकिन इस बार रूस ने यूक्रेन पर सैन्य कार्यवाही कर दुनिया में अपनी ताकत दिखाई है। गंभीर बात यह है कि रूस पिछले चौबीस घंटे से यूक्रेन पर मिसाइलों से हमला कर रहा है। यूक्रेन के सभी सैन्य ठिकाने अब रूस के नियंत्रण अथवा निगरानी में है। यदि इस युद्ध में नाटो देशों का दखल होता है तो आने वाले दिनों में दुनिया में गैस और तेल की किल्लत हो जाएगी। इस समय हालात बेहद नाजुक है। अमेरिका, ब्रिटेन और फ्रांस देशों को सोच समझ कर कार्यवाही करनी चाहिए। अच्छा हो कि यह युद्ध यूक्रेन से बाहर न निकले। यदि युद्ध यूक्रेन से बाहर निकलता है तो फिर तीसरे विश्व युद्ध को कोई नहीं रोक सकता। सैन्य विशेषज्ञों का मानना है कि रूस ने अपनी स्थिति को काफी मजबूत कर लिया है। रूस के पीछे चीन जैसा शक्तिशाली देश भी खड़ा है। चीन तो अमेरिका को नुकसान पहुंचाने की फिराक में बैठा है। चीन चाहता है कि यूक्रेन में अमेरिकी उलझ जाए। यदि अमेरिका यूक्रेन में उलझता है तो दुनिया के कारोबार पर चीन की मजबूत पकड़ हो जाएगी। जिस किसी देश ने यूक्रेन की मदद की तो यह माना जाएगा कि वह रूस की सेना से लड़ रहा है। ऐसे में रूस को उस देश पर हमला करने का बहाना मिल जाएगा। हो सकता है कि रूस की मदद के लिए चीन भी अपनी सेनाओं का इस्तेमाल करे।
भारत तटस्थ:
रूस और यूक्रेन के बीच जो युद्ध शुरू हुआ है उसमें भारत तटस्थ देश की भूमिका निभा रहा है। भारत किसी भी स्थिति इस युद्ध में उलझना नहीं चाहता है। इसलिए भारत के विदेश मंत्रालय की ओर से बार बार कहा जा रहा है कि आपसी बातचीत से समस्या का समाधान किया जाए। भारत के लिए यह गंभीर बात है कि 20 हजार छात्र-छात्राएं अभी भी यूक्रेन में फंसे हुए हैं। ऐसे विद्यार्थी मेडिकल और इंजीनियरिंग की पढ़ाई के लिए यूक्रेन गए हैं। यूक्रेन के शिक्षण संस्थानों में मेडिकल और इंजीनियरिंग की पढ़ाई के लिए बिना किसी टेस्ट के प्रवेश मिल जाता है। भारत के मुकाबले में यूक्रेन के शिक्षण संस्थानों में फीस भी कम लगती है। जो विद्यार्थी भारत में नीट और जेईई की प्रवेश परीक्षा में उत्तीर्ण नहीं होते वे यूक्रेन जैसे देश में जाकर डॉक्टर और इंजीनियर की डिग्री हासिल कर लेते हैं। रूस के हमले के बाद यूक्रेन ने अपना एयर स्पेस बंद कर दिया है। ऐसे में यूक्रेन के हवाई अड्डों से वाणिज्यिक विमानों को उडऩा मुश्किल हो रहा है, लेकिन भारत सरकार ने भरोसा दिलाया है कि यूक्रेन में फंसे भारतीय विद्यार्थी दूतावास की निगरानी में है और किसी भी अभिभावक को घबराने की जरुरत नहीं है। 22 फरवरी को मात्र 300 विद्यार्थी ही भारत लौट पाए हैं। दावा किया जा रहा है कि सभी भारतीय विद्यार्थी अपने दूतावास के संपर्क में है। इस बीच विदेश मंत्रालय ने भारतीय विद्यार्थियों से अपील की है कि वे यूक्रेन में अपने घरों पर ही रहें।