दौसा, राजस्थान: राजस्थान के दौसा जिले के कालीखाड़ गांव में एक दिल दहला देने वाली घटना में 5 साल का आर्यन एक खुले बोरवेल में गिर गया। 56 घंटे तक चले रेस्क्यू ऑपरेशन के बाद उसे बोरवेल से बाहर निकाल लिया गया, लेकिन अस्पताल में उसे मृत घोषित कर दिया गया।
दौसा : राजस्थान मेंदौसा जिले के कालीखाड गांव में 56 घंटे के रेस्क्यू ऑपरेशन के बाद आर्यन को बोरवेल से निकाला गया, लेकिन अस्पताल में उसे मृत घोषित कर दिया गया। सोमवार को खेलते समय आर्यन बोरवेल में गिर गया था। स्थानीय प्रशासन, NDRF, SDRF और सिविल डिफेंस ने उसे बचाने की पूरी कोशिश की। बोरवेल में भोगी होने और CCTV की खराबी से रेस्क्यू ऑपरेशन में कई मुश्किलें आईं। पाइलिंग मशीन से खुदाई में भी देरी हुई। आखिरकार NDRF ने आर्यन को हुक से पकड़कर बाहर निकाला, लेकिन बहुत देर हो चुकी थी।
कठिन परिस्थितियों में रेस्क्यू ऑपरेशन
बोरवेल में भोगी होने और CCTV कैमरे की खराबी के कारण रेस्क्यू ऑपरेशन में कई मुश्किलें आईं। पाइलिंग मशीन से खुदाई में भी देरी हुई। आखिरकार NDRF ने आर्यन को हुक से पकड़कर बाहर निकाला, लेकिन बहुत देर हो चुकी थी।
जिला कलेक्टर देवेंद्र कुमार भी मौके पर मौजूद रहे
कालीखाड गांव में सोमवार को एक दर्दनाक हादसा हुआ। खेलते-खेलते आर्यन नाम का एक बच्चा खुले बोरवेल में गिर गया। यह खबर आग की तरह फैल गई और देखते ही देखते पूरा गांव घटनास्थल पर जमा हो गया। स्थानीय पुलिस सबसे पहले मौके पर पहुंची और जिला कलेक्टर देवेंद्र कुमार ने खुद कमान संभाली। बच्चे को बचाने के लिए एक बड़ा रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू किया गया।
खुले बोरवेल एक बड़ा खतरा
यह घटना एक बार फिर सवाल खड़ा करती है कि खुले बोरवेल पर रोक क्यों नहीं लगाई जाती? क्या हमारी तकनीक इतनी आगे नहीं बढ़ सकती कि ऐसे हादसों में बच्चों को जल्दी और सुरक्षित बाहर निकाला जा सके?
दौसा जिले में ही पहले भी कई बोरवेल हादसे हो चुके हैं। यह घटना एक बार फिर खुले बोरवेल के खतरे को उजागर करती है। हमें खुले बोरवेल के खिलाफ सख्त कदम उठाने की जरूरत है। साथ ही, रेस्क्यू ऑपरेशन के लिए बेहतर तकनीक और संसाधन भी जरूरी हैं। ताकि भविष्य में ऐसे हादसों में बच्चों की जान बचाई जा सके।
आर्यन की मौत से पूरे गांव में शोक की लहर
आर्यन की मौत से पूरे गांव में शोक की लहर दौड़ गई है। लोग इस घटना से बेहद दुखी हैं। प्रशासन ने मृतक के परिवार को हर संभव मदद का आश्वासन दिया है।
आप क्या सोचते हैं?
खुले बोरवेल के खतरे को कम करने के लिए क्या कदम उठाए जाने चाहिए? क्या आपने कभी किसी ऐसे हादसे के बारे में सुना है? हमें कमेंट करके बताएं।
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