एडीए का अध्यक्ष बनने के लिए इच्छुक कांग्रेसी भी सक्रिय। डॉ. बाहेती, हासानी, जयपाल, रलावता, भाटी, जैन, यादव, चौहान आदि लाइन में।
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राजस्थान में अशोक गहलोत मंत्रिमंडल में फेरबदल और राजनीतिक नियुक्तियां होने की संभावनाओं के बीच अजमेर जिले में भी कांग्रेस नेताओं के बीच सक्रियता बढ़ गई है। जिले में कांग्रेस के मात्र दो विधायक हैं। इनमें से केकड़ी के विधायक रघु शर्मा मौजूदा समय में चिकित्सा मंत्री हैं, लेकिन रघु शर्मा को पिछले दिनों गुजरात का प्रभारी बना दिया गया है। ऐसे में माना जा रहा है कि फेरबदल में रघु शर्मा को मंत्री पद से मुक्त किया जाएगा। चूंकि मंत्रिमंडल में अजमेर जिले को प्रतिनिधित्व दिया जाना है, इसलिए दूसरे विधायक राकेश पारीक को मंत्री बनने का अवसर मिल सकता है। हालांकि पारीक सचिन पायलट के समर्थक है, लेकिन जानकारी सूत्रों के अनुसार पारीक को मंत्री बनाने के लिए पायलट ने ही नाम प्रस्तावित किया है। सूत्रों की मानें तो मंत्रिमंडल फेरबदल में पायलट समर्थक विधायकों को भी शामिल किया जाएगा। प्रदेश में राजनीतिक हालात चाहे जैसे रहे हों, लेकिन पारीक ने सचिन पायलट का साथ नहीं छोड़ा है। राकेश पारीक भी कांग्रेस के उन 18 विधायकों में शामिल रहे, जो गत वर्ष पायलट के साथ दिल्ली गए थे। सूत्रों के अनुसार राकेश पारीक ने जो वफादारी दिखाई उसी का ईनाम पारीक को मिल सकता है। यही वजह है कि इन दिनों जिले भर में राकेश पारीक के समर्थक उत्साह में है। जहां तक विधायक के तौर पर पारीक की भूमिका का सवाल है तो वे अपने मसूदा विधानसभा क्षेत्र में लगातार सक्रिय हैं। प्रशासन गांव के संग अभियान के सारे कैंप अटेंड कर रहे हैं। संपूर्ण विधानसभा क्षेत्र में पारीक ने अपनी पकड़ को बनाए रखा है। ग्रामीण पृष्ठभूमि होने के कारण भी पारीक को राजनीति में लाभ मिल रहा है। राकेश पारीक के पिता रामेश्वर पारीक भी कांग्रेस में सक्रिय रहे थे।
अध्यक्ष पद के लिए भी सक्रियता:
राजनीतिक नियुक्तियों के तहत अजमेर विकास प्राधिकरण (एडीए) के अध्यक्ष पद पर भी किसी कांग्रेस नेता की नियुक्ति होनी है। एडीए का अध्यक्ष पद भी राज्यमंत्री के बराबर है। यही वजह है कि इच्छुक कांग्रेसी पूरी ताकत लगाकर अध्यक्ष पद प्राप्त करना चाहते हैं। पूर्व विधायक डॉ. श्रीगोपाल बाहेती भी अपनी मजबूत दावेदारी जता रहे हैं। डॉ. बाहेती को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का संरक्षण प्राप्त है। गहलोत जब पहली बार सीएम बने थे, तब डॉ. बाहेती को ही तत्कालीन नगर सुधार न्यास का अध्यक्ष बनाया गया था। मौजूदा समय में भी डॉ. बाहेती और सीएम गहलोत के बीच मधुर संबंध हैं। लेकिन अजमेर जिले में इन दिनों सर्वाधिक शक्तिशाली नेता चिकित्सा मंत्री रघु शर्मा है। भले ही रघु को गुजरात का प्रभारी बना दिया गया हो, लेकिन उनके गृह जिले अजमेर में उन्हीं की सिफारिशों को महत्व दिया जाएगा। यदि रघु शर्मा की सिफारिश सफल रही तो, प्रदेश कांग्रेस कार्यसमिति के सदस्य दीपक हासानी एडीए के अध्यक्ष बन जाएंगे। हासानी की राजनीति फिलहाल रघु शर्मा पर ही निर्भर है। शहर कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष विजय जैन सचिन पायलट के समर्थक हैं,जैन को उम्मीद है कि की पायलट एडीए अध्यक्ष के लिए उन्हीं का नाम प्रस्तावित करेंगे। अजमेर की राजनीति में पायलट का महत्व बना हुआ है। पायलट अजमेर से सांसद भी रह चुके हैं। पूर्व विधायक और अजमेर क्लब के अध्यक्ष राजकुमार जयपाल भी एडीए के अध्यक्ष पद पर लगातार दावेदारी जता रहे हैं, लेकिन जयपाल को प्रदेश स्तर पर किसी प्रभावशाली नेता का समर्थन नहीं है। गत विधानसभा चुनाव में अजमेर उत्तर से कांग्रेस के प्रत्याशी रहे महेंद्र सिंह रलावता भी चाहते हैं कि एडीए का अध्यक्ष पद मिल जाए। लेकिन रलावता की ज्यादा रुचि 2023 में होने वाले चुनावों में फिर से उत्तर क्षेत्र से कांग्रेस का उम्मीदवार बनने में है। रलावता भले ही पिछला चुनाव हार गए हों, लेकिन उन्होंने उत्तर क्षेत्र में अपनी सक्रियता को बनाए रखा है। अजमेर दक्षिण क्षेत्र से कांग्रेस के प्रत्याशी रहे हेमंत भाटी भी अध्यक्ष पद पर दावेदारी जता रहे हैं, लेकिन कोई भाग दौड़ करने के बजाए भाटी अपने भाग्य पर निर्भर है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता प्रताप यादव भी अध्यक्ष पद के मजबूत दावेदार हैं। यादव की दावेदारी भी पायलट पर निर्भर है। अजमेर में माली समाज के मजबूत नेता महेश चौहान भी अध्यक्ष बनना चाहते हैं, चौहान ने 7 नवंबर को ही अजमेर में शक्ति प्रदर्शन किया है। प्रदेशभर के माली समाज के नेता अजमेर आए और चौहान को एडीए का अध्यक्ष बनाने की योजना बनाई। चौहान की पत्नी श्रीमती सुनीता चौहान को हाल ही में नगर निगम में पार्षद मनोनीत किया गया है। जानकार सूत्रों के अनुसार माली समाज के नेटवर्क के तहत महेश चौहान भी मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और सीएमओ के सबसे ताकतवर अधिकारी देवाराम सैनी के संपर्क में है। चौहान की कई बार देवाराम सैनी से मुलाकात हो चुकी है। चौहान ने शक्ति प्रदर्शन के तहत ही 7 नवंबर को सामूहिक भोज का आयोजन भी किया।