डॉक्टर परिवार हो तो अजमेर के एसके अरोड़ा के परिवार जैसा।

डॉक्टर परिवार हो तो अजमेर के एसके अरोड़ा के परिवार जैसा।

डॉक्टर परिवार हो तो अजमेर के एसके अरोड़ा के परिवार जैसा।
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एक जुलाई को देशभर में नेशनल डॉक्टर्स डे के तौर पर मनाया जा रहा है। कोरोना काल में डॉक्टरों का महत्व और बढ़ गया है। कोरोना काल में अनेक परिवार जिस मुसीबत के दौर से गुजरे उन परिवारों के सदस्यों के मन में अनेक डॉक्टरों के प्रति गुस्सा भी है। प्राइवेट अस्पतालों में जिस तरह लूट खसोट हुई उससे अनेक लोग भी संभल नहीं पाए हैं। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कोरोना की दूसरी लहर में ही चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा योजना शुरू की। संपन्न परिवारों से 850 रुपए प्रीमियम भी लिया गया, लेकिन प्राइवेट अस्पतालों के असहयोग के चलते यह योजना फेल हो गई है। इसमें ज्यादा दोष सरकार की नीतियों का है। ऐसे माहौल में अजमेर का एसके अरोड़ा का डॉक्टर परिवार भी है, जिसने कोरोना काल में जन सेवा की भावना से डॉक्टरी का कार्य किया। वैशाली नगर में एलआईसी कॉलोनी में रहने वाले डॉक्टर एसके अरोड़ा किसी पहचान के मोहताज नहीं है। अजमेर ही नहीं बल्कि राजस्थान भर में डॉ. अरोड़ा की प्रसिद्धी है। हजारों लोग डॉ. अरोड़ा को वाकई भगवान के तौर पर देखते हैं। अजमेर के जेएलएन अस्पताल में मेडिसिन विभाग के प्रमुख के पद से सेवानिवृत्त होने के बाद भी डॉ. अरोड़ा ने स्वयं को सेवाभावी बनाए रखा। जिन लोगों ने डॉ. अरोड़ा से इलाज करवाया हैं, उन्हें पता है कि डॉ. अरोड़ा कितने दयालु और अच्छे व्यवहार के डॉक्टर हैं। 75 के पार डॉ. अरोड़ा ने कोरोना काल में भले ही फिजिकली मरीजों को न देखा हो, लेकिन वाट्सएप तकनीक से चिकित्सीय परामर्श दिया है। यह जरूरी नहीं कि एक डॉक्टर का बेटा भी पिता की तरह सेवाभावी हो, लेकिन डॉ. अरोड़ा उन भाग्यशाली पिताओं में से एक हैं जिनके पुत्र डॉ. पीयूष अरोड़ा भी सेवाभावी हैं। दूसरी लहर में दो बार कोरोना संक्रमित होने के बाद भी डॉ. पीयूष ने अपने चिकित्सकीय धर्म को लगातार निभाया। चूंकि डॉ. पीयूष श्वास रोग के विशेषज्ञ हैं, इसलिए कोरोना काल में उनके पास जबरदस्त भीड़ रही। ऐसे हजारों संक्रमित व्यक्ति हैं, जिन्हें डॉॅ. पीयूष ने घर पर ही क्वारंटीन कर ठीक कर दिया। जिन लोगों ने डॉ. पीयूष से परामर्श लिया, वे आज स्वयं को भाग्यशाली मानते हैं। डॉ. पीयूष अभी तक जेएलएन अस्पताल में टीबी रोग विभाग में अनुबंध पर कार्यरत थे, लेकिन राजस्थान लोक सेवा आयोग से चयनित होने के बाद डॉ. पीयूष को इसी अस्पताल में स्थायी नौकरी मिल गई है। डॉ. पीयूष भी अपने पिता की तरह ही दयालु और अच्छे व्यवहार के डॉक्टर हैं। डॉ. पीयूष की पत्नी डॉ. दीप्ति अरोड़ा भी अजमेर के पुष्कर रोड स्थित मित्तल अस्पताल में कार्यरत हैं। लेकिन डॉ. दीप्ति का व्यवहार भी अपने ससुर डॉ. एसके अरोड़ा और पति डॉ. पीयूष अरोड़ा की तरह ही है। कोरोना काल में जोखिम लेते हुए डॉ. दीप्ति ने भी संक्रमित मरीजों का इलाज किया। परिवार की जिम्मेदारी निभाते हुए डॉ. दीप्ति भी चिकित्सीय धर्म निभा रही है। कहा जा सकता है कि डॉ. एसके अरोड़ा का परिवार समाज की भावना के अनुरूप कार्य कर रहा है। डॉक्टर्स डे पर पीयूष के मोबाइल नम्बर 9887088122 पर वाट्सएप संदेश दिया जा सकता है। आपका यह संदेश डॉ. एसके अरोड़ा तक भी पहुंचेगा।

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