फिर सड़ने लगा भरतपुर स्टेशन, चार दिन से नहीं लगी झाड़ू, दुबारा हड़ताल पर गए सफाई कर्मचारी

फिर सड़ने लगा भरतपुर स्टेशन, चार दिन से नहीं लगी झाड़ू, दुबारा हड़ताल पर गए सफाई कर्मचारी

फिर सड़ने लगा भरतपुर स्टेशन, चार दिन से नहीं लगी झाड़ू, दुबारा हड़ताल पर गए सफाई कर्मचारी
कोटा।  कोटा मंडल का भरतपुर स्टेशन फिर से सड़ने लगा है। पिछले चार दिन से स्टेशन पर झाड़ू तक नहीं लगी है। इसके चलते स्टेशन पर जगह-जगह गंदगी के अंबार लगे हैं। कोरोना काल में गंदगी के चलते यात्रियों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। डस्टबिन भरे हुए हैं। कचरा बाहर फेल रहा है। पानी पीने तक की जगह साफ नहीं है। नलों के पास भारी मात्रा में गंदगी जमा है। स्टेशन और पटरियों पर आवारा जानवर मरे पड़े हैं। इसकी बदबू यात्रियों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। बदबू और गंदगी से यात्रियों को बीमारी होने का खतरा बना हुआ है।
यह नौबत इसलिए आई की
बकाया वेतन नहीं मिलने से सफाई कर्मचारी फिर से हड़ताल पर चले गए। सफाई कर्मचारियों ने बताया कि रेलवे ने उनसे सोमवार को बकाया भुगतान का वादा किया था। इस वादे पर उन्होंने दोबारा काम शुरू कर दिया था। लेकिन अपने वादे से मुकरते हुए रेलवे ने उन्हें भुगतान नहीं किया। इसके चलते उन्हें मजबूरी में दोबारा हड़ताल पर जाना पड़ा।
ढाई लाख बकाया
सफाई कर्मचारियों ने बताया कि पिछले 4 महीने का उनका करीब ढाई लाख रुपए बकाया चल रहा है। वेतन भुगतान के नाम पर रेलवे द्वारा उन्हें बार-बार बेवकूफ बनाया जा रहा है। 5 कर्मचारियों से रेलवे ने एक को भी वेतन नहीं दिया।
15 दिन से है हड़ताल पर
कर्मचारियों ने बताया कि वेतन नहीं मिलने के कारण वह पिछले 15 दिन से हड़ताल पर हैं। लेकिन पिछले दिनों मामला सामने आने पर रेलवे ने वेतन भुगतान का वादा करते हुए उनसे दोबारा काम करने का आग्रह किया था। लेकिन दो-तीन दिन काम कराने के बाद भी उन्हें वेतन का भुगतान नहीं किया गया। इसके चलते वह द्वारा हड़ताल पर चले गए।
35 जनों का काम कर रहे 5 कर्मचारी
कर्मचारियों ने बताया कि स्टेशन पर ठेके के समय 35 कर्मचारी काम करते थे। ठेका खत्म होने के बाद रेलवे ने 5 कर्मचारियों से ही काम लेना शुरू कर दिया। पिछले 8 महीने से यहां पांच कर्मचारियों द्वारा ही काम किया जा रहा है। इसके चलते स्टेशन की सफाई व्यवस्था लगातार बिगड़ रही है।
8 महीने से नहीं हुआ टेंडर
कर्मचारियों ने बताया कि यहां का ठेका 31 अक्टूबर को समाप्त हो गया था इसके बाद रेलवे ने यहां पर द्वारा ठेका करना जरूरी नहीं समझा ना ही इस काम को कोटेशन पर कराया गया रेल 5 कर्मचारी लगाकर रेलवे ने खुद ही यहां पर सफाई करवाना शुरू कर दिया। इससे व्यवस्था लगातार बिगड़ती चली गई। बची खुची कसर वेतन नहीं मिलने से पूरी हो गई।

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