भरतपुर में 14 साल के एक नावालिग किशोर से कथित कुकर्म के मामले में पुलिस के सामने सरेंडर करने बाले आरोपी न्यायायिक कर्मचारी राहुल कटारा की जमानत अर्जी पर पोक्सो न्यायालय में सुनवाई हुई पूरी। बचाब पक्ष की तरफ से पैरवी करते हुए अधिबक्ता जमुना प्रसाद ने दी दलील कि आरोपी न्यायायिक कर्मचारी राहुल कटारा तथा मुकदमे में नामजद भृष्टाचार निरोधक व्यूरो के डिप्टी एसपी परमेश्वर लाल के ऊपर है एक जैसे आरोप लेकिन परमेश्वर लाल को लेकर मीडिया में नही आ रहे कोई समाचार और न ही पुलिस ने उनके खिलाफ की है कोई कार्यवाही। अधिवक्ता ने कहा कि उनका पक्षकार राहुल कटारा है न्यायायिक कर्मचारी जो अपने अधिकारी के आदेशों की मात्र कर रहा था पालना। बचाव पक्ष के अधिवक्ता की दलीलों का विरोध करते पीड़ित पक्ष के अधिवक्ता नोनिहाल डांगुर ने दलील दी कि कर्मचारी होकर अपने अधिकारी के आदेशों की पालना का ये तो मतलब नही हो सकता कि कोई अधिकारी अपने कर्मचारी को किसी को गोली मारने के लिए कहे तो कर्मचारी किसी को भी गोली मार दे। कर्मचारी को अपने अधिकारी के किसी भी आदेश की पालना में अपने विवेक का स्तेमाल करना चाहिए। डांगुर ने न्यायायिक कर्मचारी राहुल कटारा की जमानत अर्जी का विरोध करते न्यायालय के समक्ष दलाली दी कि कर्मचारी की सरकारी ड्यूटी प्रातः 10 से शाम 5 बजे तक होती है लेकिन आरोपी न्यायायिक कर्मचारी राहुल कटारा ने तो रात 12-12 बजे तक पीड़ित नावालिग बच्चे को व्हाट्सएप कॉल किये जो उसकी सरकारी ड्यूटी टाइम के बाहर है और वह इतनी देर रात कौन सी सरकारी ड्यूटी कर रहा था। मामले में सुनवाई के दौरान देश के हाईप्रोफाइल आशाराम बापू के मुकदमे का जिक्र करते पीड़ित पक्ष के अधिवक्ता ने कहा कि जिस तरह सर्वोच्च न्यायालय ने आशाराम को ऊंचे रसूख बाले लोग होने की बजह से जमानत देने से इनकार कर दिया उसी तरह से चूंकि ये मामला भी ऊंचे रसूख रखने बाले एक निलंबित जज से जुड़ा है इसलिए इस मामले में भी ऊंचे रसूख बाले इन आरोपियों को भी जमानत का लाभ नही दिया जाना चाहिए। अदालत ने जमानत की इस याचिका पर फैसले के लिए 20 नवम्बर की तारीख तय की है।
No comments yet. Be the first to comment!
Please Login to comment.
© G News Portal. All Rights Reserved.