जेल में मालपुए की दावत: नया मोड़, सुपरिंटेंडेंट की भूमिका पर सवाल

जेल में मालपुए की दावत: नया मोड़, सुपरिंटेंडेंट की भूमिका पर सवाल

भरतपुर: भरतपुर की सेवर सेंट्रल जेल में बंद पूर्व विधायक गिर्राज मलिंगा की जमानत के जश्न में कैदियों को मालपुए की दावत दिए जाने के मामले में नया मोड़ आया है। जेल प्रशासन इस मामले को छिपाने की कोशिश में जुटा हुआ है।

जेल के भरोसेमंद सूत्रों के अनुसार, जब मीडिया में इस दावत की खबर आई तो जेल में हड़कंप मच गया। जेल अधीक्षक ने खुद हलवाईयों को अपनी गाड़ी से छोड़कर उनके मुकाम तक पहुंचाया। जबकि रविवार को वे अपने बंगले से बाहर तक नहीं निकले।

पार्षदों को बनाया बलि का बकरा

इस मामले को छिपाने के लिए जेल अधीक्षक ने अपने कुछ चहेते पार्षदों को जेल बुलाया और उन्हें मालपुए की दावत मुख्यमंत्री के जन्मदिन पर कैदियों को दी गई दावत बताने के लिए कहा। इसके लिए उन्होंने एक प्रेस नोट भी तैयार करवाया।

सवालों के घेरे में जेल अधीक्षक

जब हलवाई जेल में पहुंचे थे तो जेल अधीक्षक से इस दावत के बारे में पूछा गया था। उस समय उन्होंने साफ तौर पर कहा था कि यह दावत मलिंगा की नहीं, बल्कि पार्षदों की तरफ से दी जा रही है। लेकिन बाद में उन्होंने रविवार को जेल में किसी भी तरह की दावत से इनकार कर दिया।

कैदी मलिंगा के गुणगान कर रहे

सूत्रों के मुताबिक, जेल प्रशासन द्वारा की गई इस लीपापोती के बावजूद, कैदी मालपुए की दावत खाने के बाद मुख्यमंत्री के बजाय मलिंगा के गुणगान कर रहे हैं।

यह मामला क्यों महत्वपूर्ण है

यह मामला जेल प्रशासन की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल उठाता है। यह दिखाता है कि कैसे जेल प्रशासन नियमों का उल्लंघन कर रहा है और सत्ता का दुरुपयोग कर रहा है। यह मामला यह भी दर्शाता है कि जेलों में कैदियों के साथ कैसा व्यवहार किया जाता है।

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