नई दिल्ली। राज्यसभा में संविधान पर चर्चा के दौरान केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने 17 दिसंबर को समान नागरिक संहिता (यूसीसी) के मुद्दे पर अपने विचार स्पष्ट रूप से रखे। उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार देशभर में यूसीसी लागू करने के लिए प्रतिबद्ध है, क्योंकि देश का विकास तभी संभव है जब सभी नागरिकों के लिए समान कानून और व्यवस्था हो।
अमित शाह ने देश में मुस्लिम पर्सनल लॉ को लेकर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि यह व्यवस्था अधूरी है। शाह ने मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के समर्थकों से पूछा कि अगर पर्सनल लॉ लागू किया गया है तो फिर पूरे शरिया कानून को क्यों नहीं अपनाया जा रहा?
उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि शरिया के अनुसार, चोरी करने वाले के हाथ काटने और महिलाओं के साथ ज्यादती करने वालों को पत्थर मारकर मौत की सजा देने का प्रावधान है। लेकिन ऐसे मामलों में भारतीय दंड संहिता (IPC) के अनुसार फैसला किया जाता है। शाह ने कहा कि जो लोग निकाह, तलाक और संपत्ति के मामलों में शरीयत का पालन करते हैं, उन्हें आपराधिक मामलों में भी इस्लामी कानून के तहत सजा देने की बात करनी चाहिए।
शाह ने कहा कि किसी भी देश में दोहरी व्यवस्था से विकास संभव नहीं है। सभी नागरिकों के लिए समान कानून होना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि भाजपा ने हमेशा समान नागरिक संहिता का समर्थन किया है और उत्तराखंड में इसे लागू किया गया है। अब अन्य प्रदेशों में भी इसे लागू करने की दिशा में काम हो रहा है।
शाह ने संविधान निर्माता डॉ. भीमराव अंबेडकर के प्रति कांग्रेस के रवैये पर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने हमेशा तुष्टीकरण की नीति अपनाई, जिससे देश का नुकसान हुआ है।
अमित शाह ने दोहराया कि भाजपा का लक्ष्य पूरे देश में समान नागरिक संहिता लागू करना है। उन्होंने कहा, "जब सभी लोग भारत के नागरिक हैं, तब कुछ लोगों के लिए अलग पर्सनल लॉ क्यों होना चाहिए?"
शाह के इस बयान से समान नागरिक संहिता को लेकर राजनीतिक हलकों में फिर से चर्चा तेज हो गई है। विपक्षी पार्टियां जहां इसे लेकर सवाल उठा रही हैं, वहीं भाजपा इसे देश के लिए एक महत्वपूर्ण कदम बता रही है।
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