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इन नए नियमों का सीधा मतलब है कि अब कोई भी जूनियर ऑफिसर अपनी मर्ज़ी से किसी भी सोशल मीडिया पोस्ट या वीडियो को हटाने का आदेश नहीं दे पाएगा, जिससे मनमाने प्रतिबंधों पर रोक लगेगी।
ये सबसे बड़ा और ज़रूरी बदलाव है। अब किसी भी अवैध ऑनलाइन जानकारी (पोस्ट, वीडियो, फोटो, लिंक) को हटाने का आदेश केवल उच्च रैंक के ऑफिसर ही जारी कर सकेंगे, जिससे 'चेक एंड बैलेंस' बना रहेगा।
| विभाग | आदेश देने वाला न्यूनतम पद | 
| सरकारी मंत्रालयों/विभागों | संयुक्त सचिव (Joint Secretary) या उससे ऊपर की रैंक का ऑफिसर। (यदि जॉइंट सेक्रेटरी उपलब्ध नहीं हैं, तो उस एजेंसी का निदेशक/Director या समकक्ष) | 
| पुलिस विभाग | उप महानिरीक्षक (Deputy Inspector General - DIG) या उससे ऊपर की रैंक का विशेष रूप से अधिकृत ऑफिसर। | 
नए नियमों के तहत, सरकार द्वारा जारी हर आदेश या नोटिफिकेशन में अब 'तर्कसंगत जानकारी' (Reasoned Intimation) देना अनिवार्य होगा। यह मनमानी पर रोक लगाएगा और सटीकता बढ़ाएगा।
कानूनी आधार: कंटेंट हटाने के लिए इस्तेमाल किए जा रहे कानून या धारा (Statutory Provision) का स्पष्ट उल्लेख करना होगा।
उल्लंघन का विवरण: यह स्पष्ट बताना होगा कि कंटेंट में क्या गलत है (जैसे: नफ़रत फैलाना, फ़र्ज़ी ख़बर, या अश्लील होना)।
URL/लिंक: उस कंटेंट का सही-सही URL या लिंक बताना अनिवार्य होगा।
कंटेंट हटाने के आदेश देने के बाद उस पर नज़र रखने के लिए एक मासिक समीक्षा प्रणाली स्थापित की गई है।
मासिक समीक्षा: नियम 3(1)(d) के तहत जारी सभी कंटेंट हटाने के आदेशों की हर महीने समीक्षा की जाएगी।
समीक्षाकर्ता: यह समीक्षा संबंधित सरकार के सचिव (Secretary) पद से नीचे के ऑफिसर द्वारा नहीं की जाएगी।
उद्देश्य: यह सुनिश्चित करना है कि कंटेंट हटाने के सभी एक्शन ज़रूरी, आनुपातिक (Proportionate) और कानून के दायरे में ही रहें।
ये संशोधन नागरिकों के संवैधानिक अधिकारों और सरकार की नियामक शक्तियों के बीच सही संतुलन बनाता है। इससे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को कानून का पालन करने में आसानी होगी, वहीं नागरिकों के लिए मनमाने प्रतिबंधों से सुरक्षा सुनिश्चित होगी।
नए नियमों से सबसे बड़ा फायदा पारदर्शिता और जवाबदेही में होगा। अब कंटेंट हटाने का आदेश सिर्फ सीनियर अधिकारी ही देंगे, जिससे मनमानी पर रोक लगेगी और हर कार्रवाई का ठोस आधार होगा। सोशल मीडिया कंपनियों को भी अब क्लियर गाइडलाइन मिलेगी, उन्हें पता रहेगा कि किस कानून के तहत, किस तरह का कंटेंट हटाना है। इससे उन्हें नियमों का पालन करने में आसानी होगी।
वहीं सोशल मीडिया यूजर्स के लिए भी ये बदलाव राहत भरे हैं, क्योंकि अब उनके पोस्ट या वीडियो बिना वजह नहीं हटाए जाएंगे। ये संशोधन IT एक्ट के तहत एक ऐसा कानूनी संतुलन बनाते हैं, जिसमें सरकार की ताकत और नागरिकों के अधिकार दोनों का सम्मान होता है।
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