नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने सोशल मीडिया और ओटीटी कंटेंट को लेकर सख्त रुख अपनाया है। 'इंडियाज गॉट लेटेंट' शो विवाद और दिव्यांगों का मजाक उड़ाने वाले कॉमेडियन्स से जुड़े मामलों की सुनवाई करते हुए, सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को सोशल मीडिया के लिए एक वृहद कानून लाने पर विचार करने का बड़ा आदेश दिया है।
गुरुवार को भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जयमाल्य बागची की पीठ ने यूट्यूबर रणवीर इलाहाबादिया और आशीष चंचलानी की याचिकाओं पर सुनवाई की।
मुख्य आदेश: CJI सूर्यकांत ने केंद्र सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से पूछा कि सरकार सोशल मीडिया के लिए SC-ST एक्ट की तरह कोई वृहद कानून क्यों नहीं ला रही है?
सजा का प्रावधान: CJI ने सुझाव दिया कि इस कानून में दिव्यांगों को नीचा दिखाने पर सख्त सजा का प्रावधान होना चाहिए।
इसके जवाब में सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने जल्द ही सोशल मीडिया कंटेंट के बारे में नई गाइडलाइन जारी होने की बात कही।
CJI सूर्यकांत ने सुनवाई के दौरान सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि भारत में अभिव्यक्ति की आजादी है, लेकिन यह आजादी किसी को भी दूसरों की भावनाओं को ठेस पहुंचाने का अधिकार नहीं देती है।
चुनौती: कोर्ट ने चिंता जताई कि डिजिटल प्लेटफॉर्म्स की सबसे बड़ी चुनौती यह है कि कंटेंट कुछ ही सेकंड में वायरल हो जाता है और फिर उसकी जवाबदेही तय करना मुश्किल हो जाता है।
पारिवारिक कंटेंट: कोर्ट ने कहा कि स्ट्रीमिंग और सोशल मीडिया पर कई बार ऐसी भाषा और सीन होते हैं, जो परिवार समेत, खासकर बच्चों के साथ देखने लायक नहीं होते और ये कंटेंट बिना वॉर्निंग या फिल्टर के मौजूद होते हैं।
जस्टिस बागची ने सवाल उठाया कि जब फोन ऑन करते ही अचानक आपत्तिजनक कंटेंट दिख जाता है, तो इस पर नियंत्रण क्यों नहीं है?
आधार वेरिफिकेशन का सुझाव: CJI सूर्यकांत ने सुझाव दिया कि एडल्ट कंटेंट के लिए कुछ सेकंड तक वार्निंग दिखाई जा सकती है और उसके बाद उम्र वेरिफिकेशन के लिए आधार का उपयोग किया जा सकता है।
विकृतियां: CJI ने कहा, यह मुद्दा केवल 'अश्लीलता' तक सीमित नहीं है, बल्कि उपयोगकर्ता द्वारा निर्मित सामग्री में ऐसी 'विकृतियां' भी हैं, जिन्हें लोग अपने चैनलों पर प्रकाशित करते हैं।
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने माना कि मौजूदा डिजिटल गाइडलाइन पर्याप्त नहीं हैं और इन्हें अपडेट करने की जरूरत है।
CJI सूर्यकांत ने कहा, "तो मैं अपना चैनल खुद बनाता हूं, मैं किसी के प्रति जवाबदेह नहीं हूं। किसी को तो जवाबदेह होना ही होगा। अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता एक अमूल्य अधिकार है, लेकिन इससे विकृतियां नहीं आ सकतीं।"
अदालत यूट्यूबर और पॉडकास्टर रणवीर इलाहाबादिया और अन्य द्वारा दायर याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी।
अश्लीलता का आरोप: रणवीर इलाहाबादिया पर समय रैना के शो ‘India’s Got Latent’ के एक एपिसोड में अश्लील टिप्पणियां करने का आरोप है।
संवेदनहीनता का आरोप: Cure SMA India Foundation की याचिका में समय रैना पर Spinal Muscular Atrophy (SMA) जैसी गंभीर बीमारी के महंगे इलाज को लेकर संवेदनहीन और गलत टिप्पणियां करने तथा दिव्यांग व्यक्ति का मजाक उड़ाने का आरोप है।
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