कार्यशाला: घर-घर औषधि योजना की जिला स्तरीय विभागों के नोडल अधिकारियों की कार्यशाला आयोजित घर-घर औषधि पौधे अभियान के संबंध में दी जानकारी

कार्यशाला: घर-घर औषधि योजना की जिला स्तरीय विभागों के नोडल अधिकारियों की कार्यशाला आयोजित घर-घर औषधि पौधे अभियान के संबंध में दी जानकारी

कार्यशाला: घर-घर औषधि योजना की जिला स्तरीय विभागों के नोडल अधिकारियों की कार्यशाला आयोजित
घर-घर औषधि पौधे अभियान के संबंध में दी जानकारी
सवाई माधोपुर, 21 जून। आमजन में रोग प्रतिरोधक क्षमता के विकास, आयुर्वेद को बढ़ावा देने के लक्ष्य से मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत ने वर्ष 2021 के राज्य बजट में ‘‘घर-घर औषधि योजना’’ की घोषणा की थी। इसकी पालना में जिले के प्रत्येक परिवार को आगामी पांच साल में 24 औषधीय पौधे निःशुल्क उपलब्ध करवाएं जाएंगे।
घर- घर औषधि योजना के तहत जुलाई माह से तुलसी, कालमेध, अश्वगंधा एवं गिलोय औषधि पौधों का घर-घर वितरण होगा। इस योजना के सफल संचालन के लिये नियुक्त नोडल अधिकारियों की कार्यशाला कलेक्टर राजेन्द्र किशन के निर्देशन में तथा जिला परिषद के सीईओ रामस्वरूप चौहान की अध्यक्षता में सोमवार को कलेक्ट्रेट सभागार में हुई। कार्यशाला में डीएफओ जयराम पांडे ने बताया कि प्रत्येक परिवार को आगामी 5 साल में तुलसी, गिलोय, अश्वगंधा और कालमेघ आदि के कुल 24 पौधे मिलेंगे। इन्हें 3 बार में अर्थात प्रत्येक बार 8-8 पौधे मिलेंगे। चालू तथा अगले वित्तीय वर्ष में जिले के 1.27-1.27 लाख परिवारों को ये पौधे मिलेंगे। इस वर्ष जिले में वितरण के लिए 9 नर्सरियों में 10 लाख 15 हजार पौधे तैयार किए जा रहे है। पौधों का वितरण जुलाई एवं अक्टूबर माह में दो चरणों में किया जाएगा। उन्होंने सभी विभागों के नोडल अधिकारियों को पौधे वितरण के साथ पौधों को लगाने, उन्हें सुरक्षित रखने के संबंध में मॉनिटरिंग एवं जन अभियान बनाने के संबंध में जानकारी दी।
सीईओ जिला परिषद ने कार्यशाला में अधिकारियों को बताया कि इस साल के वन महोत्सव की थीम भी ‘‘घर-घर औषधीय पौधा वितरण योजना’’ ही रहेगी। औषधीय पौधे अपने औषधीय गुणों के लिये तो महत्वपूर्ण हैं ही, घर के सौंदर्य में बढावा देंगे, बच्चों को शुरू से ही पर्यावरण और स्वास्थ्य के बीच के रिश्ते की सीख भी देंगे। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिये कि वितरण के समय इन पौधों के रखरखाव के टिप्स भी लोगों को दें तथा अच्छी गुणवत्ता के पौधों का वितरण सुनिश्चित करें। उन्होंने जिला स्तरीय अधिकारियों को बताया कि ग्रामवार वितरण के लिए नोडल अधिकारी भी नियुक्त किए गए है। पौधों के वितरण का जन आधार कार्ड के माध्यम से अभिलेख संधारण किया जायेगा।
सीईओ ने कार्यशाला में बताया कि शहरी क्षेत्र मे स्थानीय निकाय द्वारा वार्ड स्तर पर एवं ग्रामीण क्षेत्र मे पंचायतों एवं पीईईओ के माध्यम से ग्राम स्तर पर औषधि पौधों को वितरण किया जाएगा। उन्होंने अधिकारियों को निर्देशित किया कि ब्लॉक एवं ग्राम स्तर पर इस संबंध में आवश्यक प्रशिक्षण देने के लिए कार्यशालाएं आयोजित की जाएं। कार्यशाला में अधिकारियों को निर्देश दिए कि औषधि पौधे देने के पश्चात उनकी सार- संभाल के लिये लोगो को जागरूक करे और उनके फायदे के बारे मे लोगो को अधिक से अधिक बतायंे तथा लोगों तक पौधे वितरण कर लगवाने एवं सार संभाल के लिये जागरूक करें। सामाजिक वानिकी के डीएफओ जयराम पांडे ने बताया कि औषधि पौधों को वन विभाग की 9 पौधशालाओं में तैयार किया जा रहा है। इस योजना से राजस्थान मे पाये जाने वाले वन औषधि पौधों का संरक्षण भी होगा। कार्यशाला में शिक्षा, महिला एवं बाल विकास विभाग, चिकित्सा विभाग के अधिकारियों को निर्देशित किया गया कि चिकित्सालयों, विद्यालयों एवं आंगनबाड़ी केन्द्रों के साथ -साथ कार्यालयो में भी औैषधि पौधों को लगाने और उन्हे संरक्षण देने के लिये लोगो को जागरूक बनाये एवं तुलसी, कालमेध, अश्वगंधा व गिलोय से होने वाले स्वास्थ्य फायदे के बारे में भी जागरूक करें। इसके लिए ग्राम स्तर पर कार्यशाला करवाने, पौध वितरण केन्द्र चिन्हित करने, जन प्रतिनिधियों, स्वयंसेवी संस्थाओं, राजकीय कार्मिकों एवं आमजन को जोडते हुए इसे जन अभियान बनाने के निर्देश दिए।
इसी प्रकार वन महोत्सव के तहत जिले में 5 लाख 44 हजार पौधे लगाएं जाएंगे। इसके लिए भी सीईओ ने आवश्यक तैयारियां करने के निर्देश दिए। कार्यशाला में सीएमएचओ डॉं. तेजराम मीना सहित अन्य विभागों के नोडल अधिकारी, एनसीसी, एनएसएस, स्काउट, नेहरू युवा केन्द्र, महाविद्यालयों के प्रभारी भी उपस्थित थे।

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