आरोपों से नाराज BJP नेता ने नवाब मलिक पर ठोका ₹100 करोड़ का मुकदमा, वानखेड़े ने अपना बयान दर्ज कराते हुए आरोपों को नकारा
मुंबई ड्रग्स मामले में शाहरुख खान के बेटे आर्यन खान को जरूर जमानत मिल चुकी है, लेकिन महाराष्ट्र सरकार में मंत्री नवाब मलिक के बयानों की वजह से ये केस सुर्खियों में बना हुआ है. अब भारतीय जनता युवा मोर्चा के पूर्व अध्यक्ष मोहित कंबोज ने नवाब मलिक पर 100 करोड़ रुपए का मानहानि मुकदमा ठोक दिया है.
पिछले कई दिनों से नवाब मलिक लगातार बीजेपी नेता मोहित कंबोज और उनके परिवार पर गंभीर आरोप लगा रहे थे. मुंबई ड्रग्स केस में भी लगातार उनके परिवार का कनेक्शन रखा जा रहा था. इस वजह से 9 अक्टूबर को मोहित ने मलिक के नाम एक नोटिस भेजा था. उस नोटिस में जोर देकर कहा गया था कि बिना सबूत के मानहानिकारक बयान देना गलत है लेकिन नवाब मलिक ने उस नोटिस के बावजूद भी अपने हमले को जारी रखा और 11 अक्टूबर को फिर उनके परिवार पर निशाना साधा.
अब बीजेपी नेता ने मलिक के खिलाफ लीगल एक्शन की तैयारी कर ली है. मुंबई पुलिस में शिकायत भी दर्ज करवा दी गई है और उच्च न्यायालय में जा नवाब मलिक पर 100 करोड़ का मानहानि केस भी ठोक दिया है. बॉम्बे हाई कोर्ट में दायर की गई याचिका में मोहित ने खुद बताया है कि वे बीजेपी के सदस्य हैं और उनका एक कारोबार भी है लेकिन नवाब मलिक के तथ्यहीन आरोपों ने उनकी छवि को धूमिल करने का काम किया है.
इसी वजह से मोहित ने कोर्ट से अपील की है कि एक ऑर्डर जारी कर नवाब मलिक को उनके खिलाफ बिना किसी सबूत के ऐसे बयान देने से रोका जाए. वैसे जिस बयान पर आपत्ति रही है, वो भी बता देते हैं. दरअसल जब एनसीबी ने क्रूज पर रेड डाल कई लोगों को हिरासत में लिया था, तब नवाब मलिक ने कहा था कि 8 की जगह 11 लोगों को हिरासत में लिया गया था. लेकिन फिर बीजेपी नेता का फोन आया और 3 लोगों को छोड़ दिया गया. मलिक ने यहां तक दावा कर दिया था कि छोड़े गए लोगों में मोहित का साला भी था.
वहीं मुंबई के क्रूज जहाज ड्रग्स मामले में एनसीबी के जोनल डायरेक्टर समीर वानखेड़े ने एनसीबी की विजिलेंस टीम को बयान दिया, जिसमें उन्होंने साफ किया कि उन्होंने केस से जुड़ी सभी जानकारी आला अफसरों के साथ साझा की थी. जानकारी के अनुसार, समीर वानखेड़े पर पहला आरोप था कि 4 सीधे कागजों पर जबरदस्ती साइन करवाए गए. इसके जवाब में उन्होंने कहा कि किसी भी सादे कागज पर पंच से कोई साइन नहीं करवाया गया. बकायदा सीजर मेमो तैयार किया गया, जिसके बाद साइन करवाए गए थे. उन्होंने इस आरोप को मनगढ़ंत कहानी बताते हुए दावा किया कि यह जांच की दिशा को भटकाने के लिए साजिश के तहत तैयार किया गया है.
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