आयुर्वेद, सिद्ध, यूनानी और होम्योपैथी (एएसयू एंड एच) दवाओं के निर्माताओं और नियामकों को उनके कार्य में और अधिक निपुण बनाने के लिए आयुष मंत्रालय ने दो दिवसीय प्रशिक्षण शिविर का आयोजन किया।
मंत्रालय के ड्रग पॉलिसी सेक्शन द्वारा तीन महीने की अवधि में आयोजित किए जाने वाले पांच प्रशिक्षण सत्रों में से यह पहला प्रशिक्षण सत्र है।
उत्तरी क्षेत्र के लिए स्थानीय आयुर्वेद अनुसंधान संस्थान मंडी में आयोजित प्रशिक्षण सत्र में हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, चंडीगढ़, लद्दाख, जम्मू-कश्मीर और हरियाणा के 40 प्रतिनिधियों ने भाग लिया।
कार्यक्रम में मौजूदा नियमों, जीएमपी (गुड मेन्यूफेक्चरिंग प्रैक्टिस), डब्ल्यूएचओ-जीएमपी, डीटीएल, एएसयू एंड एच दवाओं के परीक्षण, उद्योग व राज्य औषधि नियंत्रण ढांचे को और अधिक प्रभावी बनाने के लिए योजनाओं पर चर्चा की गई। यह एक द्विपक्षीय संवाद कार्यक्रम है, जिसमें केंद्र, राज्य एवं हितधारक मिलकर काम कर रहे हैं, ताकि आयुष दवाइयों को और अधिक बढ़ावा व निर्माताओं को प्रोत्साहन मिल सके।
आयुष मंत्रालय के अधिकारियों के अनुसार इस प्रशिक्षण सत्र का उद्देश्य एएसयू एंड एच दवा नियामकों और एएसयू एंड एच दवा उद्योग कर्मियों को एक मंच पर लाकर नियमों की जानकारी देना है। विभिन्न आयुष दवा नियामक, उद्योगकर्मी और अन्य हितधारक अपने प्रतिनिधियों ने इस प्रशिक्षण सत्र के लिए नामित किया है।
केंद्रीय आयुर्वेदीय विज्ञान अनुसंधान परिषद (सीसीआरएएस) एवं विभिन्न राष्ट्रीय संस्थानों के सहयोग से आयुष मंत्रालय के ड्रग पॉलिसी सेक्शन द्वारा प्रशिक्षण सत्रों का आयोजन किया जा रहा है।
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एसके
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