कॉप-26 में, सभी महत्वपूर्ण लंबित मुद्दों को राष्ट्रीय प्राथमिकताओं और परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए पारस्परिक रूप से हल किया जाना चाहिए: श्री भूपेंद्र यादव

कॉप-26 में, सभी महत्वपूर्ण लंबित मुद्दों को राष्ट्रीय प्राथमिकताओं और परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए पारस्परिक रूप से हल किया जाना चाहिए: श्री भूपेंद्र यादव

केंद्रीय पर्यावरण मंत्रीश्री भूपेंद्र यादव नेयूरोपियन ग्रीन डील, यूरोपीय संघ के कार्यकारी उपाध्यक्ष महामहिम श्री फ्रैंस टिमरमैंस के साथ नई दिल्ली में हुई द्विपक्षीय बैठकके दौरानजलवायु संबंधी मजबूत कार्रवाइयोंकी तत्काल जरूरतपर जोर देते हुए 2020 के बाद की अवधि के लिए दीर्घकालिक जलवायु वित्त की स्थापना की प्रक्रिया शुरू करने और विकसित देशों द्वारा प्रतिबद्ध 100 अरब डॉलर के लक्ष्य को पूरा करने की आवश्यकता को रेखांकित किया।

दोनों पक्षों ने कॉप 26 (कांफ्रेंस ऑफ पार्टीज-26) से संबंधित जलवायु मुद्दों, यूरोपीय संघ और भारतीय जलवायु नीतियों, यूरोपीय संघ तथाभारत के बीच द्विपक्षीय सहयोग जैसे अलग-अलग विषयों पर चर्चा की।

आगामी कॉप-26पर पर्यावरण मंत्री ने कहा कि सीओपी 26 में, सभी महत्वपूर्ण लंबित मुद्दों जैसे अनुच्छेद छह, सामान्य समय सीमा, उन्नत पारदर्शिता ढांचा, आदि को राष्ट्रीय प्राथमिकताओं और परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए पारस्परिक रूप से हल किया जाना चाहिए।

दोनों पक्षों ने स्वीकार किया कि भारत और यूरोपीय संघ को संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन संरचना सम्मेलन (यूएनएफसीसीसी)और पेरिस समझौते के पूर्ण और प्रभावी कार्यान्वयन को सक्षम करने के लिए कॉप-26 के सफल परिणाम प्राप्त करने के लिए मिलकर काम करना चाहिए।

श्री यादव ने प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्रमोदी के दूरदर्शी नेतृत्व में हरित ऊर्जा की ओर बढ़ने के लिए भारत की महत्वाकांक्षी जलवायु कार्य योजनाओं पर भी प्रकाश डाला, जिसमें अक्षय ऊर्जा, ई-वाहनों सहित सततपरिवहन, ऊर्जा दक्षता, वन और जैव विविधता संरक्षण आदि प्राथमिकता वाले क्षेत्रशामिल हैं।

जलवायु संबंधी कार्रवाइयोंपर भारत के नेतृत्व की सराहना करते हुएश्री टिमरमैंसने कहा कि 2030 तक भारत के 450 गीगावाटनवीकरणीयऊर्जा के महत्वाकांक्षी लक्ष्य की पूरी दुनिया सराहनाकर रही है।

दोनों पक्ष, जलवायु और पर्यावरण पर द्विपक्षीय सहयोग को और मजबूत करनेके अवसर तलाशसकते हैं, विशेष रूप से उन तरीकों और साधनों पर ध्यान दे सकते हैंजो कमकार्बन उत्सर्जनकी राह को बढ़ावा देने में मदद करते हैं।

एमजी/एएम/पीके/वाईबी

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