उन क्षेत्रों, जो पहले देश के निर्यात मानचित्र का हिस्सा नहीं थे, से कृषिऔर प्रसंस्कृत खाद्य उत्पादों के निर्यात को बढ़ावा देने पर सरकार का जोर अब धीरे-धीरे परिणाम देने लगा है।
कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीडा) ने आज छत्तीसगढ़ से निर्जलित महुआ के फूल और उत्तराखंड से हिमालयी बकरी के मांस को क्रमशः फ्रांस और संयुक्त अरब अमीरात निर्यात करने की सुविधा प्रदान की।
ड्रैगन फ्रूट जैसे अनोखे फलों के निर्यात को बढ़ावा देने के लिए, एपीडा ने सऊदी अरब के बाजार में एक प्रचार कार्यक्रम भी आयोजित किया।
पहली बार निर्जलित महुआ के फूल की एक खेप छत्तीसगढ़ से समुद्र के रास्ते फ्रांस को निर्यात की गई। यह उत्पाद छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले के जंगलों से हासिल किया गया था और इसका प्रसंस्करण एपीडा के पंजीकृत उद्यम द्वारा किया गया था।
फ्रांस को निर्यात किए जाने वाले महुआ के फूल ज्यादातर छत्तीसगढ़ के कोरबा, काठघोरा, सरगुजा, पासन, पाली, चुर्री के जंगलों से अनुसूचित जनजाति के लोगों द्वारा एकत्र किए गए थे। निर्जलित महुआ के फूलों का उपयोग शराब, दवा और सिरप बनाने के लिए किया जाता है।
छोटे किसानों की आय बढ़ाने के उद्देश्य से उत्तराखंड की पहाड़ियों पर स्थित गांवों से प्राप्त हिमालयी बकरी के प्रसंस्कृत मांस की एक खेपसंयुक्त अरब अमीरात के दुबई को निर्यात की गई।
उत्तराखंड से मांस के निर्यात से किसानों की आजीविका को प्रोत्साहन मिलेगा और उनकी आर्थिक स्थिति बेहतर होगी। एपीडा और अन्य संगठनों की इस पहल से उत्तराखंड के किसानों की आय में भी बढ़ोतरी होगी।
इस बीच, कृषि उत्पादों की निर्यात क्षमता को बढ़ावा देते हुएएपीडा ने भारतीय दूतावास के साथ मिलकर आज लाओ पीपुल्स डेमोक्रेटिक रिपब्लिक के साथ एक आभासी क्रेता-विक्रेता बैठक (वीबीएसएम) का आयोजन किया। इस बैठक में दोनों देशों के खाद्य उद्योगों के प्रमुख अधिकारियों और हितधारकों ने भाग लिया।
लाओस के साथ हुई यह आभासी बैठक भारत से कृषिऔर प्रसंस्कृत खाद्य उत्पादोंके निर्यात को बढ़ावा देने के उद्देश्य से विभिन्न देशों के साथ एपीडा द्वारा आयोजित की जाने वाली वीबीएसएम की श्रृंखला की37वीं बैठक थी। भारत लाओस को ज्यादातर भैंस के मांस, समुद्री उत्पाद, मूंगफली, कपास, तैलीय भोजन, पशुओं के आवरण और मसालों का निर्यात करता है।
अनोखे फलों के निर्यात को बढ़ावा देने के लिए एपीडा ने आज भारतीय दूतावास के साथ मिलकर एक प्रमुख रिटेलर समूह के सहयोग से सऊदी अरब के बाजार में ड्रैगन फ्रूट के प्रचार के लिए एक कार्यक्रम का आयोजन किया। ड्रैगन फ्रूट कोभारत में कमलम भी कहा जाता है।
एपीडा ने हाल ही में महाराष्ट्र, गुजरात, पश्चिम बंगाल से यूनाइटेड किंगडम, बहरीन के राजा और सऊदी अरब को ड्रैगन फ्रूट के निर्यात की सुविधा प्रदान की थी। ड्रैगन फ्रूट की खेती के लिए कम पानी की आवश्यकता होती है और इसे विभिन्न किस्म की मिट्टी में उगाया जा सकता है। वर्तमान में, ड्रैगन फ्रूट ज्यादातर कर्नाटक, केरल, तमिलनाडु, महाराष्ट्र, गुजरात, ओडिशा, आंध्र प्रदेश और अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह में उगाया जाता है। पश्चिम बंगाल इस अनोखे फल की खेती शुरू करने वाला नया राज्य है।
****
एमजी/एएम/आर/एसएस
No comments yet. Be the first to comment!
Please Login to comment.
© G News Portal. All Rights Reserved.