सीबीएसई ने 12वीं की परीक्षा 31 मई तक टाली, 10वीं के जो छात्र आंतरिक मूल्यांकन से संतुष्ट नहीं होंगे, वे बाद में परीक्षा दे सकेंगे

सीबीएसई ने 12वीं की परीक्षा 31 मई तक टाली, 10वीं के जो छात्र आंतरिक मूल्यांकन से संतुष्ट नहीं होंगे, वे बाद में परीक्षा दे सकेंगे

जिंदगी से बढ़कर कुछ नहीं: लेकिन परीक्षाएं स्थगित करने के फैसले का असर दिखेगा 2023 में, जब पहली बार 10वीं में प्रमोटेड छात्र देंगे सीबीएसई 12वीं बोर्ड

सीबीएसई ने 12वीं की परीक्षा 31 मई तक टाली, 10वीं के जो छात्र आंतरिक मूल्यांकन से संतुष्ट नहीं होंगे, वे बाद में परीक्षा दे सकेंगे….


सीबीएसई के इतिहास में ऐसा पहली बार होगा जब दसवीं के छात्र बोर्ड का एक भी पेपर दिए बिना 11वीं में प्रमोट होंगे। विशेषज्ञ मानते हैं कि जिंदगी से अधिक जरूरी कुछ भी नहीं है, लेकिन बिना परीक्षा प्रमोट करने का बड़ा असर भी इन्हीं छात्रों के भविष्य पर पड़ेगा। क्योंकि 11वीं में विषय का चयन छात्रों के कॅरिअर का निर्णायक पल होता है। अधिकांश स्कूल छात्रों के दसवीं के अंकों के आधार पर ही संबंधित स्ट्रीम में प्रवेश देते हैं।

अब जब मूल्यांकन ही ऑब्जेक्टिव क्रिएशन के आधार पर होगा तो छात्र कैसे तय कर पाएगा कि किस विषय में वह बेहतर है। जो साल 2021 में दसवीं से प्रमोट होकर 11वीं में आएंगे वे 2023 में 12वीं की परीक्षा देंगे। इन छात्रों का यह पहला बैच होगा, जो सीधे ही 12वीं बोर्ड का सामना करेगा। इसके साथ ही वे जेईई, नीट जैसी प्रतियोगी परीक्षाएं भी देंगे। दसवीं बोर्ड का अनुभव न होने से उन पर दबाव बढ़ सकता है।

10वीं के छात्रों पर 2023 में कैसे असर

जेईई, नीट समेत कई एंट्रेस एग्जाम्स को छात्र 12वीं के साथ देते हैं। 2023 में छात्रों पर दोहरा दबाव होगा, क्योंकि ये पहली बार बोर्ड तो देंगे ही। इन मुश्किल परीक्षाओं की तैयारी भी करेंगे।
अभी जेईई जैसी परीक्षाओं में बोर्ड में 75% अंक की अनिवार्यता नहीं है। 2023 में जरूरी नहीं, यह नियम रहे।
11वीं में फिल्टर करने का ऑप्शन एक्सपर्ट संजय पाराशर बताते हैं कि प्रमोट करने का निर्णय सही है, पर विषय चयन में दिक्कतें आएंगी। 11वीं में जाने वाले छात्रों का 4 माह की पढ़ाई के बाद मूल्यांकन करना चाहिए। इससे पता कर सकते है कि उसने विषय सही चुने हैं या नहीं। इसके बाद विषय परिवर्तन का मौका देना चाहिए। कुछ इसी तरह का प्रयोग सीबीएसई बोर्ड ने कुछ साल पहले 10वीं में किया गया था। कुछ इसी तरह का प्रयोग सीबीएसई बोर्ड ने कुछ साल पहले 10वीं में किया गया था।

परीक्षा का पक्ष

12वीं की परीक्षा होना जरूरी, क्योंकि पूरा कॅरिअर इसी के अंकों पर निर्भर करता है
इंटरनल असेसमेंट से नहीं हो सकता है छात्र का सही मूल्यांकन
10वीं के अंकों के आधार पर मिलने वाले फायदों पर होगा असर

परीक्षा का विपक्ष

ऑनलाइन क्लासेज के लिए छात्रों को ढलने में लगा वक्त
लिखने की प्रैक्टिस छूटी, फिर एग्जाम ऑफलाइन क्यों
मंत्रालय ने प्रो-एक्टिव एप्रोच नहीं रखी, अभी भी मार्किंग को लेकर स्थिति साफ नहीं
अब 12वीं एग्जाम के बारे में एक जून को रिव्यू होगा। इससे प्रतियोगी परीक्षाओं में लगे छात्रों पर मनौवैज्ञानिक दबाव बढ़ा है। एक्सपर्ट देव शर्मा कहते हैं- अब बच्चे नई तारीखों के बारे में ही साेचते रहेंगे।
इस माह 2 परीक्षा-पौने 8 लाख से ज्यादा छात्रों की जिंदगी दांव पर

नीट पीजी 18 अप्रैल को ही होगी

6,102 सरकारी, निजी, डीम्ड और सेंट्रल यूनिवर्सिटी में प्रवेश के लिए नीट पीजी 18 अप्रैल को ही होगी। 266 शहरों के 816 केंद्रों पर 1.75 लाख डॉक्टर बैठेंगे। डॉक्टर छात्रों ने परीक्षा टालने की मांग की है, लेकिन नेशनल बोर्ड ऑफ एग्जामिनेशन (एनबीई) ने इनकार किया है।

जेईई मेन भी अप्रैल और मई में
जेईई मेन की अप्रैल सेशन की परीक्षा 27 से 30 अप्रैल और मई सेशन की परीक्षा 24 से 28 मई तक होनी हैं। अप्रैल वाली परीक्षा 6 लाख से अधिक छात्र देंगे। वे परीक्षा रद्द करने की मांग कर चुके हैं। हालांकि नेशनल टेस्टिंग एजेंसी ने फिलहाल ऐसा संकेत नहीं दिया है।

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