PM केयर्स फंड के कामकाज में केंद्र या राज्य सरकारों का नहीं कोई नियंत्रण
पीएम केयर्स फंड के कामकाज में केंद्र या राज्य सरकारों का कोई नियंत्रण नहीं है. यह सरकारी फंड नहीं है और पूरी पारदर्शिता के साथ काम करता है. इसके द्वारा एकत्र की गई राशि भारत के संचित कोष में नहीं जाती है और भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक के एक पैनल के चार्टर्ड एकाउंटेंट द्वारा इसका आडिट किया जाता है. प्रधानमंत्री कार्यालय में अवर सचिव प्रदीप कुमार श्रीवास्तव ने एक याचिका पर यह जानकारी मुख्य न्यायाधीश डीएन पटेल व न्यायमूर्ति अमित बंसल की पीठ के समक्ष हलफनामा दाखिल करके दी. मामले में अगली सुनवाई 27 सितंबर को होगी.
याचिकाकर्ता सम्यक गंगवाल ने संविधान के अनुच्छेद-12 के तहत पीएम-केयर्स फंड को सरकार की एक व्यवस्था घोषित करने की मांग की है. उन्होंने कहा कि पीएम-केयर्स फंड एक संवैधानिक पदाधिकारी के नाम से चलता है जो संविधान में निहित सिद्धांतों से बच नहीं सकता है और न ही वह संविधान से बाहर अनुबंध कर सकता है. उन्होंने पीएम-केयर्स फंड को एक सरकारी व्यवस्था के रूप में घोषित किया जाए.
याचिका पर हलफनामा दाखिल कर प्रदीप कुमार श्रीवास्तव ने कहा कि पीएम केयर्स फंड की पारदर्शिता के लिए ट्रस्ट द्वारा प्राप्त किए गए अप्रयुक्त फंड की जानकारी के साथ आडिटर की रिपोर्ट को आधिकारिक वेबसाइट पर डाला जाता है. उन्होंने कहा कि अगर याचिकाकर्ता केवल पारदर्शिता के लिए विभिन्न राहतों की मांग कर रहा तो इसमें कोई फर्क नहीं पड़ता कि संविधान के अनुच्छेद-12 के तहत पीएम केयर्स एक सरकारी व्यवस्था है या नहीं. उन्होंने कहा कि ट्रस्ट को आनलाइन, चेक या डिमांड से दान मिलता है और प्राप्त किए गए धन का आडिट रिपोर्ट ट्रस्ट द्वारा किए गए खर्च के साथ वेबसाइट पर प्रदर्शित की जाती है.
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