डीएसपी और महिला कांस्टेबल के अश्लील वीडियो के प्रकरण में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की पहल का स्वागत किया जाना चाहिए।

डीएसपी और महिला कांस्टेबल के अश्लील वीडियो के प्रकरण में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की पहल का स्वागत किया जाना चाहिए।

डीएसपी और महिला कांस्टेबल के अश्लील वीडियो के प्रकरण में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की पहल का स्वागत किया जाना चाहिए।
सीएमओ के जिस अधिकारी के संरक्षण के कारण हीरालाल सैनी 3 वर्ष तक ब्यावर का डीएसपी बना रहा, अब उस अधिकारी पर भी कार्यवाही संभव।
==========
सब जानते हैं कि राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की गत 26 अगस्त को एंजियोप्लास्टी हुई थी और वे तभी से जयपुर स्थित अपने सरकारी आवास पर विश्राम कर रहे हैं। यहां तक कि किसी मंत्री से भी नहीं मिल रहे। लेकिन इसके बावजूद भी सीएम गहलोत ने प्रदेश के बहुचर्चित डीएसपी अश्लील वीडियो प्रकरण में सख्त कार्यवाही के निर्देश दिए हैं। गहलोते के पास गृह विभाग का भी जिम्मा है, इसलिए गहलोत भी चाहते हैं कि राजस्थान पुलिस की बदनामी न हो। अब इस मामले में आरोपी डीएसपी हीरालाल सैनी के अलावा दो डीएसपी, दो सीआई तथा आरोपी महिला कांस्टेबल को निलंबित किया जा चुका है। लेकिन असल सवाल उस अधिकारी पर कार्यवाही का है, जिसके संरक्षण के कारण हीरालाल सैनी तीन वर्ष तक अजमेर के ब्यावर उपखंड का डीएसपी बना रहा। सैनी की नियुक्ति गत भाजपा शासन में ब्यावर में हुई थी, लेकिन सैनी को कांग्रेस के शासन में भी ब्यावर में ही बनाए रखा गया। अब मुख्यमंत्री गहलोत चाहते हैं कि पुलिस की इमेज से जुड़े इस प्रकरण पर सख्त कार्यवाही हो, तो यह जरूरी है कि उस अधिकारी पर भी एक्शन लिया जाना चाहिए जिसकी वजह से हीरालाल सैनी ब्यावर में ही नियुक्त रहा। असल में जब आंख मीच कर संरक्षण मिलता है तब ऐसे कांड होते हैं। नागौर के कुचामन सिटी के डीएसपी मोटाराम बेनीवाल, जयपुर के झोटवाड़ा के एसीपी हरिशंकर शर्मा तथा दो थानाधिकारी पद वीडियो प्रकरण को दबाने का आरोप है, लेकिन सीएमओ में तैनात एक अधिकारी हीरालाल सैनी के खातिर ब्यावर में एक आईपीएस की नियुक्ति ही निरस्त करवा दी। सवाल उठता है कि आखिर आईपीएस की नियुक्ति निरस्त क्यों हुई? आमतौर पर ब्यावर जैसे बड़े उपखंड में नवनियुक्त आईपीएस को ही डीएसपी के पद पर लगाया जाता है। लेकिन हीरालाल सैनी आईपीएस को नियुक्त ही नहीं होने दिया। सैनी राज्य पुलिस सेवा के अधिकारी हैं। यदि सीएम गहलोत सही में अश्लील वीडियो प्रकरण में कार्यवाही चाहते हैं तो उन्हें संरक्षण देने वाले अधिकारी पर कार्यवाही करानी चाहिए। कोई अधिकारी मुफ्त अथवा जाति के नाम संरक्षण नहीं देतेा। संरक्षण की भी कीमत वसूली जाती है।
17 सितंबर तक दोनों आरोपी रिमांड पर:
अश्लील वीडियो प्रकरण की जांच एसओजी की एएसपी दिव्या मित्तल कर रही हैं आरोपी डीएसपी और जयपुर कमिश्नरेट की महिला कांस्टेबल 17 सितंबर तक पुलिस रिमांड पर है। दोनों ने बताया है कि अश्लील वीडियो पुष्कर स्थित वेस्टिन रिसॉर्ट एंड स्पा का ही है। यह रिसोर्ट पांच सितारा सुविधायुक्त है। आलीशान कमरे से ही स्वीमिंग पुल जुड़ा हुआ है। इस इंडोर स्वीमिंग पुल में ही गत 10 जुलाई को अश्लील वीडियो बनाया गया था। पुलिस ने दोनों आरोपियों के साथ वेस्टिन रिसॉर्ट का मौका मुआयना किया है। मालूम हो कि दोनों को विगत दिनों उदयपुर स्थित अनंता रिसॉर्ट से गिरफ्तार किया गया था। शर्मनाक बात तो यह है कि डीएसपी और महिला कांस्टेबल की रंगरलियों वाला यह वीडियो कांस्टेबल के 6 वर्षीय पुत्र की मौजूदगी में बनाया गया। इसलिए दोनों को पॉक्सो और आईटी एक्ट में गिरफ्तार किया गया है। इस मामले में कांस्टेबल के पति की भी भूमिका संदिग्ध मानी जा रही हे। पति की गिरफ्तारी भी संभव है।

G News Portal G News Portal
27 0

0 Comments

No comments yet. Be the first to comment!

Leave a comment

Please Login to comment.

© G News Portal. All Rights Reserved.