जोधपुर सहित 6 जिलों के पंचायती राज चुनाव में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की प्रतिष्ठा दांव पर। सचिन पायलट का सहयोग लिए बगैर कांग्रेस चुनाव लड़ रही है।

जोधपुर सहित 6 जिलों के पंचायती राज चुनाव में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की प्रतिष्ठा दांव पर। सचिन पायलट का सहयोग लिए बगैर कांग्रेस चुनाव लड़ रही है।

जोधपुर सहित 6 जिलों के पंचायती राज चुनाव में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की प्रतिष्ठा दांव पर। सचिन पायलट का सहयोग लिए बगैर कांग्रेस चुनाव लड़ रही है।
जिला परिषद के 200, पंचायत समिति के एक हजार 564 सदस्यों तथा 78 प्रधानों के चुनाव होंगे। एक सितम्बर को अंतिम चरण के मतदान के बाद 4 सितंबर को परिणाम आएगा।
कांग्रेस की मौजूदा स्थिति पर जसवंत दारा का कार्टून।
निलंबित आईएएस इंद्र सिंह राव और आईपीएस मनीष अग्रवाल को हाईकोर्ट से जमानत मिली।
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राजस्थान के जयपुर, जोधपुर, भरतपुर, दौसा, सवाई माधोपुर और सिरोही जिलों में पंचायती राज संस्थाओं के चुनाव 26, 29 अगस्त और 1 सितम्बर को होने हैं। इन चुनावों में जिला परिषद के 200 पंचायत समितियों के एक हजार 564 वार्डों के सदस्य चुने जाने हैं। 6 जिला प्रमुख और 78 प्रधानों का चुनाव भी होगा। इसलिए पंचायत राज के इन चुनावों में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की प्रतिष्ठा दांव पर है। खास बात यह है कि इन 6 जिलों में सीएम गहलोत का गृह जिला जोधपुर भी शामिल हैं। जोधपुर की कमान गत लोकसभा में कांग्रेस के प्रत्याशी रहे और सीएम गहलोत के पुत्र वैभव गहलोत के हाथों में हैं। कांग्रेस पंचायत राज का यह चुनाव पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट के समर्थन के बगैर लड़ रही है। 12 अगस्त को प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने जयपुर में इन जिलों के कांग्रेस नेताओं की बैठक बुलाई, लेकिन पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट से अभी तक भी इन चुनावों को लेकर विचार विमर्श नहीं किया है। जबकि इन दिनों पायलट जयपुर में ही हैं। इन चुनावों में पायलट की कितनी भूमिका होगी, यह आने वाला समय ही बताएगा, लेकिन भरतपुर, जयपुर, दौसा, सवाई माधोपुर ऐसे जिले हैं, जहां ग्रामीण मतदाताओं पर पायलट का खासा असर है। दौसा से तो पायलट सांसद भी रह चुके हैं। 6 जिलों के पंचायत राज चुनाव सीएम अशोक गहलोत के लिए इसलिए भी महत्वपूर्ण हैं क्योंकि हाल ही में सरकार की ओर से कहा गया है कि गत विधानसभा चुनाव में जो वादे किए थे, उनमें से 64 प्रतिशत वायदे पूरे कर दिए गए हैं। अब ऐसा दावा चुनाव की कसौटी पर है। पंचायती राज के चुनाव में ग्रामीण मतदाता ही भाग लेते हैं। चुनाव के परिणाम से ही गहलोत सरकार की लोकप्रियता का पता चलेगा। प्रतिद्वंदी नेता सचिन पायलट लगातार कह रहे हैं कि चुनाव में जो वादे किए, उन्हें पूरा किया जाए तथा संघर्ष करने वाले कार्यकर्ताओं को सम्मान मिले। मौजूदा राजनीतिक हालातों में अशोक गहलोत अपनी नीति से ही सरकार और संगठन को चला रहे हैं। गहलोत की रणनीति से ही सरकार को कोई खतरा नहीं है। जहां तक भाजपा का सवाल है तो प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनिया और केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह रलावता की प्रतिष्ठा भी दांव पर है। शेखावत जोधपुर के सांसद हैं। यदि जोधपुर में भाजपा की हार होती है तो इसका असर शेखावत की छवि पर पड़ेगा। इसी प्रकार प्रदेशाध्यक्ष पूनिया की भी प्रतिष्ठा दांव पर लगी हुई है। पूनिया का भी प्रयास है कि ऐसी रणनीति बनाई जाए जिसमें सत्तारूढ़ दल को मात दी जा सके। जिन 6 जिलों में पंचायती राज के चुनाव हो रहे हैं उन सभी में भाजपा के सांसद हैं। ऐसे में इन सांसदों की भी प्रतिष्ठा भी दांव पर है। सांसदों का प्रयास भी होगा कि उनके संसदीय क्षेत्र में भाजपा उम्मीदवारों की जीत हो। यही वजह है कि भाजपा उम्मीदवारों के चयन में सांसदों की राय को प्राथमिकता दी जा रही है।
दारा का कार्टून:
राजस्थान में कांग्रेस की मौजूदा राजनीतिक स्थिति पर जसवंत दारा ने सटीक कार्टून बनाया है।

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