मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री को लिखा पत्र प्रदेश को 15 अक्टूबर तक 2.50 लाख मैट्रिक टन  डीएपी उपलब्ध कराए केन्द्र ः मुख्यमंत्री

मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री को लिखा पत्र प्रदेश को 15 अक्टूबर तक 2.50 लाख मैट्रिक टन डीएपी उपलब्ध कराए केन्द्र ः मुख्यमंत्री

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मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री को लिखा पत्रप्रदेश को 15 अक्टूबर तक 2.50 लाख मैट्रिक टन डीएपी उपलब्ध कराए केन्द्र ः मुख्यमंत्रीजयपुर, 6 अक्टूबर। मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत ने प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी को पत्र लिखकर केन्द्र सरकार की ओर से 15 अक्टूबर, 2021 तक न्यूनतम 2.50 लाख मैट्रिक टन डीएपी राजस्थान को उपलब्ध कराने का आग्रह किया है, ताकि प्रदेश के किसानों को फसल बुवाई के लिए डीएपी समय पर उपलब्ध कराया जा सके। उन्होंने प्रधानमंत्री से इस संबंध में केन्द्रीय उर्वरक एवं रसायन मंत्री को निर्देश देने का भी आग्रह किया।श्री गहलोत ने पत्र में लिखा कि भारत सरकार द्वारा राजस्थान के लिए खरीफ-2021 (1 अप्रेल से 30 सितम्बर 2021) के लिए 4.50 लाख मैट्रिक टन डीएपी स्वीकृत किया गया था, लेकिन इस अवधि में प्रतिमाह प्राप्त आवंटन के अनुसार कुल 4.35 लाख मैट्रिक टन डीएपी ही आवंटित किया गया, जो स्वीकृत मांग से 15 हजार मैट्रिक टन कम है। आवंटित 4.35 लाख मैट्रिक टन में से भी मात्र 3.07 लाख मैट्रिक टन की ही आपूर्ति राजस्थान को की गई। ऎसे में खरीफ-2021 की स्वीकृत मात्रा के विरूद्ध केन्द्र की ओर से 1.28 लाख मैट्रिक टन की आपूर्ति कम हुई। मुख्यमंत्री ने पत्र में कहा कि माह अक्टूबर 2021 के लिए भारत सरकार द्वारा 1.50 लाख मैट्रिक टन की मांग स्वीकृत की गई थी, लेकिन माहवार आवंटन में मात्र 67 हजार 890 मैट्रिक टन डीएपी ही आवंटित किया गया है। इस प्रकार खरीफ-2021 में मांग के विरूद्ध 1.28 लाख मैट्रिक टन कम आपूर्ति तथा अक्टूबर माह में 82 हजार मैट्रिक टन की कमी को मिलाकर कुल 2.10 लाख मैट्रिक टन डीएपी की कमी रहेगी।श्री गहलोत ने प्रधानमंत्री को अवगत कराया कि राजस्थान में रबी 2021-22 (अक्टूबर 2021 से मार्च 2022) में करीब एक करोड़ हैक्टेयर क्षेत्र में बुवाई होने की सम्भावना है। इसमें से 30 लाख हैक्टेयर क्षेत्र में सरसों एवं 20 लाख हैक्टेयर में चने की बुवाई सितम्बर से शुरू होकर अक्टूबर माह के मध्य तक चलेगी। प्रदेश में सितम्बर माह में व्यापक वर्षा होने से फसल बुवाई के क्षेत्र में और वृद्धि अपेक्षित है, जिसके लिए न्यूनतम तीन लाख मैट्रिक टन डीएपी की आवश्यकता रहेगी। वर्तमान में राजस्थान के पास मात्र 80 हजार मैट्रिक टन ही डीएपी उपलब्ध है, जिसकी खपत खरीफ फसलों में हो रही है। ऎसे में राज्य सरकार के पास किसानों को उपलब्ध कराने के लिए पर्याप्त मात्रा में डीएपी उपलब्ध नहीं होने से किसानों को फसल उत्पादन में बाधा आएगी। श्री गहलोत ने प्रधानमंत्री का ध्यान इस ओर भी आकृष्ट किया कि राज्य सरकार द्वारा पहले भी विभिन्न स्तरों पर केन्द्र सरकार को लिखे पत्रों के माध्यम से पर्याप्त मात्रा में उर्वरक समय पर उपलब्ध कराने का अनुरोध किया जा चुका है। उन्होंने स्वयं 17 अगस्त, 2021 को केन्द्रीय रसायन एवं उर्वरक मंत्री को पत्र लिखकर प्रदेश की आवश्यकता के अनुसार डीएपी उपलब्ध कराने की मांग की थी। राजस्थान के कृषि मंत्री द्वारा 23 सितम्बर को केन्द्रीय कृषि राज्यमंत्री को तथा 1 अक्टूबर, 2021 को केन्द्रीय उर्वरक एवं रसायन मंत्री को पत्र लिखकर खरीफ-2021 के लिए न्यूनतम 2.50 लाख मैट्रिक टन डीएपी उपलब्ध कराने का आग्रह किया गया था। इसी प्रकार 3 सितम्बर एवं 27 अगस्त, 2021 को राजस्थान के मुख्य सचिव की ओर से केन्द्रीय उर्वरक सचिव को पत्र लिखकर 2.50 लाख मैट्रिक टन उर्वरक की शीघ्र उपलब्धता का आग्रह किया था। राजस्थान के प्रमुख शासन सचिव कृषि ने 17 सितम्बर को केन्द्रीय उर्वरक सचिव से भी मुलाकात कर उनसे डीएपी आपूर्ति का आग्रह किया था।मुख्यमंत्री ने तिलहन एवं दलहन फसलों के उत्पादन में डीएपी की आवश्यकता को देखते हुए प्रधानमंत्री से इस संबंध में शीघ्र कदम उठाते हुए केन्द्रीय रसायन एवं उर्वरक मंत्री को निर्देश प्रदान करने का अनुरोध किया है, ताकि किसानों को समय पर उर्वरक उपलब्ध हो सके।मुख्यमंत्री के निर्देश पर प्रमुख शासन सचिव कृषि श्री दिनेश कुमार बुधवार को दिल्ली पहुंचे, जहां उन्होंने केन्द्रीय उर्वरक सचिव श्री आर.के. चतुर्वेदी एवं संयुक्त सचिव श्रीमती नीरजा से मुलाकात कर प्रदेश की आवश्यकता को देखते हुए न्यूनतम 2.50 लाख मैट्रिक टन डीएपी अतिशीघ्र उपलब्ध कराने के संबंध में आग्रह किया। दोनों अधिकारियों ने राजस्थान सरकार की इस मांग पर सकारात्मक निर्णय लेने का आश्वासन दिया है।

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