जलवायु परिवर्तन पर G-20 नेताओं में आम सहमति, ग्लोबल वार्मिंग को 1.5℃ तक सीमित करने पर समझौता
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रविवार को जलवायु परिवर्तन पर सत्र के लिए जी-20 शिखर सम्मेलन में हिस्सा लिया. इस सम्मेलन में जी-20 समूह के नेताओं के बीच ग्लोबल वॉर्मिंग को 1.5℃ पर सीमित करने की सहमति बनी. दुनिया के 20 अमीर देशों के नेताओं के बीच हुई इस बैठक में कुछ ठोस कार्रवाई पर भी चर्चा की गई. हालांकि बैठक में शुद्ध शून्य कार्बन उत्सर्जन को प्राप्त करने के लिए साल 2050 तक की किसी तारीख के बारे में कोई जानकारी नहीं दी गई. वैज्ञानिकों का कहना है कि विनाशकारी जलवायु परिवर्तन को रोकने के लिए यह काफी कार्बन उत्सर्जन को रोकना काफी महत्वपूर्ण है.
COP26 जलवायु शिखर सम्मेलन के अध्यक्ष ने आज शुरू हुई बैठक की शुरुआत में देशों से ग्लोबल वार्मिंग के सबसे विनाशकारी प्रभावों को रोकने के लिए मिलकर काम करने का आह्वान किया. एएफपी ने यह जानकारी दी. आलोक शर्मा ने ऐतिहासिक पेरिस समझौते के तापमान मुद्दे का जिक्र करते हुए कहा कि तापमान को 1.5°C तक पहुंच में रखने की आखिरी और सबसे अच्छी उम्मीद यही शिखर सम्मेलन है. जी-20 नेताओं ने आज एएफपी द्वारा देखे गए एक मसौदा बयान में लिखा, दुनिया के सबसे उन्नत राष्ट्र साल के अंत तक विदेशों में निर्बाध कोयला संयंत्रों को आर्थिक मदद देना बंद कर देंगे.
20 प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं के समूह के नेता आज एक अंतिम बयान पर सहमत हुए जो ग्लोबल वार्मिंग को 1.5℃ पर सीमित करने के लिए सार्थक और प्रभावी कार्रवाई का आग्रह करता है, लेकिन इसके साथ ही कुछ ठोस प्रतिबद्धताएं भी प्रदान करता है. अंतिम दस्तावेज में कहा गया है कि उत्सर्जन पर अंकुश लगाने के लिए वर्तमान राष्ट्रीय योजनाओं को यदि आवश्यक हो को मजबूत करना होगा और इसमें शुद्ध शून्य कार्बन उत्सर्जन प्राप्त करने की तारीख के रूप में 2050 का कोई विशेष उल्लेख नहीं है. बयान में कहा गया है, हम मानते हैं कि 1.5℃ पर जलवायु परिवर्तन के प्रभाव 2℃ की तुलना में बहुत कम हैं. 1.5℃ को पहुंच के भीतर रखने के लिए सभी देशों द्वारा सार्थक और प्रभावी कार्रवाई और प्रतिबद्धता की जरूरत होगी.
No comments yet. Be the first to comment!
Please Login to comment.
© G News Portal. All Rights Reserved.