केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग, उपभोक्ता मामले, खाद्य तथा सार्वजनिक वितरण तथा कपड़ा मंत्री श्री पीयूष गोयल ने आज कहा कि भारत विश्व में सबसे बड़े हीरा व्यापारिक हब के रूप में उभर सकता है। सूरत आभूषण विनिर्माण संघ (एसजेएमए) द्वारा आयोजित ‘रत्न एवं आभूषण विनिर्माण शो-2021‘ के उद्घाटन समारोह को संबोधित करने के दौरान एक वीडियो संदेश में श्री गोयल ने कहा कि सरकार ने रत्न एवं आभूषण सेक्टर को निर्यात संवर्धन के लिए एक फोकस क्षेत्र घोषित किया है।
उन्होंने कहा, ‘हमने खुद को हीरे की कटिंग तथा पॉलिशिंग के क्षेत्र में सबसे बड़ी हस्ती के रूप में स्थापित कर लिया है और हम विश्व में सबसे बड़े अंतर्राष्ट्रीय हीरा व्यापारिक हब बन सकते हैं।’
रत्न एवं आभूषण का निर्यात इस वित वर्ष के पहले सात महीनों, अक्टूबर 2021 तक, 23.62 बिलियन डॉलर तक रहा जो पिछले वर्ष की समान अवधि के 11.69 बिलियन डॉलर ( + 102.9 प्रतिशत) की तुलना में दोगुने से भी अधिक रहा।
उन्होंने कहा, ‘हमारे विनिर्माताओं की उत्कृष्ट गुणवत्ता ने हमें दुबई-यूएई, अमेरिका, रूस, सिंगापुर, हांगकांग तथा लातिनी अमेरिका जैसे बाजारों में प्रवेश करने में सक्षम बनाया है।’
श्री गोयल ने कहा कि सरकार ने इस सेक्टर के विकास के लिए निवेश को बढ़ावा देने के लिए – स्वर्ण मुद्रीकरण स्कीम में सुधार, सोने के आयात शुल्क में कमी तथा अनिवार्य हॉलमार्किंग जैसे कई कदम उठाये हैं।
उन्होंने कहा, ‘हमारे पास डिजाइनिंग एवं क्राफ्टिंग के लिए दुनिया में सर्वश्रेष्ठ कारीगर बल है, कारीगरों की रचनाशीलता और प्रणालीगत कौशल विकास को सुदृढ़ करने पर फोकस करने की आवश्यकता है।’ उन्होंने यह भी कहा कि नए बाजारों को और विस्तारित करने तथा वर्तमान बाजारों में उपस्थिति बढ़ाने के लिए हमें अपने उत्पादों को गुणवत्ता का एक मानक बनाना चाहिए।
श्री गोयल ने भारत के रत्न एवं आभूषण को विश्व में अग्रणी उद्योग बनाने के लिए चार बिन्दु बताये:
1. हमारे उत्पादों के मूल्य वर्धन को बढ़ाने तथा अपने विनिर्माण को अधिक लाभदायक बनाने के लिए डिजाइन (पैटेन्टीकृत डिजाइन) पर फोकस
2. निर्यात उत्पादों का विविधीकरण: मोती, चांदी, प्लेटिनम, सिंथेटिक स्टोन, आर्टिफिशियल डायमंड, फैशन ज्वेलरी, गैर-स्वर्ण आभूषण आदि जैसे उत्पादों पर जोर
3. फ्यूजन ज्वैलरी का उत्पादन बढ़ाने के लिए लागत प्रभावी पद्धतियों के लिए अन्य देशों के साथ गठबंधन
4. प्रयोगशाला में उगाए गए हीरों को बढ़ावा देना: वे पर्यावरण अनुकूल तथा किफायती होते हैं तथा भारत के निर्यात एवं रोजगार सृजन में योगदान देंगे।
श्री गोयल ने कहा कि सूरत संभवतः दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ने वाले शहरों में से एक है और वहां 450 से अधिक संगठित आभूषण विनिर्माता, आयातक एवं निर्यातक हैं। उसमें विश्व का आभूषण विनिर्माण हब बन जाने की क्षमता है।
उन्होंने कहा, ‘मैं सितंबर में माननीय प्रधानमंत्री जी के जन्म दिन पर डायमंड बुर्ज गया था और विश्व के सबसे बड़े कार्यालय भवन का निर्माण करने के लिए किए गए प्रयासों से प्रभावित हुआ जो हीरे के व्यापार से संबंधित सभी कार्यकलापों के हब के रूप में कार्य करेगा। यह प्रधानमंत्री की आत्मनिर्भरता और आपके आत्म विश्वास का एक उदाहरण है। यह इस तथ्य का प्रमाण है कि अगर हम समुचित रूप से मन बनायें तो हम खुद से कुछ भी कर सकते हैं। जौहरी हमारे देश के तानेबाने से जुड़े हैं। हमारे देश में लोग जब सोना तथा आभूषण खरीदते हैं तो वे केवल पैसे खर्च नहीं करते बल्कि जब वे ऐसा करते हैं तो अपने जीवन की बचत का निवेश करते हैं। जौहरी हमारे देश के लोगों के विश्वास और भरोसे का भंडार हैं।
श्री गायेल ने कहा कि 2016 में अपनी शुरुआत से ही एसजेएमए ने सूरत में आभूषण उद्योग में सुधार लाने का काम किया है। उन्होंने कहा, ‘उनके ‘मेक इन सूरत‘ प्रोग्राम ने नवोन्मेषण को सुविधाजनक बनाया है तथा एक मजबूत आभूषण विनिर्माण परितंत्र का निर्माण करने के लिए कौशल विकास को बढ़ावा दिया है।’
यह बताते हुए कि भारत का रत्न एवं आभूषण सेक्टर दुनिया भर में अपने आकर्षण और लागत प्रभावशीलता के लिए विख्यात है, श्री गोयल ने कहा कि यह सेक्टर नए भारत की भावना का प्रतीक है जो भारत के कुल जीडीपी में लगभग 7 प्रतिशत का योगदान देता है और 50 लाख से अधिक कारीगरों को रोजगार देता है। उन्होंने कहा, ‘हमारे जौहरियों ने हीरा विनिर्माण तथा आभूषण बनाने की कला में महारत हासिल कर ली है और इसे ‘ मेक इन इंडिया‘ का चमकदार उदाहरण बना दिया है।’
श्री गोयल ने एक कहावत ‘बिना परिवर्तन के प्रगति असंभव है और जो अपने दिमाग में परिवर्तन नहीं ला सकते, वे कुछ भी बदल नहीं सकते’ को संदर्भित करते हुए कहा कि हमारे रत्न एवं आभूषण सेक्टर के पास ‘लोकल गोज ग्लोबल तथा दुनिया के लिए मेक इन इंडिया‘ के लक्ष्य को अर्जित करने और नए भारत का प्रेरक बल बन जाने की क्षमता है। उन्होंने कहा, ‘प्रगति करने के लिए मानसिकता में बदलाव लाने की आवश्यकता है।’
एमजी/एएम/एसकेजे/वाईबी
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