कुछ दैनिक समाचार पत्रों में पूर्व शिक्षा मंत्री श्री रमेश पोखरियाल को आवंटित बंगला संख्या 27, सफदरजंग रोड को अपने पास रोके रखने से संबंधित कुछ समाचार प्रकाशित किये गए हैं। संपदा निदेशालय द्वारा पूर्व मंत्रियों को उनके अधिकार के अनुरूप वैकल्पिक आवास प्रदान करना एक सामान्य प्रक्रिया है, ताकि नए मंत्रियों को उन आवासों में समायोजित किया जा सके। इस प्रक्रिया का पालन करते हुए, लागू दिशानिर्देशों के अनुसार पूर्व-मंत्री एवं संसद सदस्य श्री रमेश पोखरियाल को भी वैकल्पिक आवास की पेशकश की गई थी।
दैनिक समाचार पत्रों में प्रकाशित समाचार कि संपदा निदेशालय नियम पुस्तिका के अनुसार, वर्तमान राज्यसभा सांसदों को टाइप-VIII बंगले आवंटित किए जा सकते हैं, सही नहीं है। 12 सितंबर, 1985 को आयोजित आवास संबंधी कैबिनेट समिति की बैठक के अनुमोदन के बाद दिनांक 24 अक्टूबर 1985 को जारी संपदा निदेशालय के दिशा-निर्देशों के अनुसार यह सूचित किया गया था कि भविष्य में आवास संबंधी कैबिनेट समिति के अनुमोदन के बिना किसी भी संसद सदस्य को सामान्य पूल से टाइप-VIII आवास का आवंटन नहीं किया जाएगा। इसके अलावा, पूर्व-राज्यपाल, पूर्व-मुख्यमंत्री और केंद्र के पूर्व-कैबिनेट मंत्री, लोकसभा के पूर्व-अध्यक्ष, सर्वोच्च न्यायालय के पूर्व-न्यायाधीश को उपलब्धता के आधार पर श्रेणी-VII के आवास आवंटित किए जा सकते हैं।
दैनिक समाचारों में प्रकाशित इन भ्रामक खबरों से ऐसा लगता है कि कुछ पूर्व मंत्री किसी विशेष आवास को अपने पास बनाए रखना चाहते हैं, यह तथ्य पूरी तरह से ग़लत है। सरकार के नियमों/निर्देशों के अनुसार पूर्व या वर्तमान केंद्रीय मंत्रियों को आवासों का आवंटन संपदा निदेशालय द्वारा की जाने वाली एक नियमित प्रक्रिया है।
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एमजी/एएम/एसएस/एसएस
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