दिवाला और दिवालियापन संहिता (आईबीसी) 2016 एक “परिवर्तनकारी सुधार”: श्री पीयूष गोयल

दिवाला और दिवालियापन संहिता (आईबीसी) 2016 एक “परिवर्तनकारी सुधार”: श्री पीयूष गोयल

केन्द्रीय वाणिज्य एवं उद्योग और उपभोक्ता कार्य, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण तथा वस्त्र मंत्री श्री पीयूष गोयल ने दिवाला और दिवालियापन संहिता (आईबीसी) 2016 को एक “परिवर्तनकारी सुधार” बताया जोकि देश में दिवाला समाधान की दिशा में सबसे सफल कानून रहा है। इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ इनसॉल्वेंसी प्रोफेशनल्स ऑफ आईसीएआई (आईआईआईपीआई) के पांचवें स्थापना दिवस समारोह को संबोधित करते हुए उन्होंने आशा व्यक्त की कि आईबीसी के माध्यम से दिवाला से जुड़े मामलों का त्वरित समाधान बैंकों के लिए ‘ऋण की लागत’ (कॉस्ट ऑफ क्रेडिट) को कम करने का मार्ग प्रशस्त करेगा।

उन्होंने कहा,“आईबीसी के लागू होने के बाद से, विश्व बैंक की ईज ऑफ डूइंग बिजनेस रिपोर्ट के ‘रिजॉल्विंग इनसॉल्वेंसी’ संकेतक में भारत की स्थिति में 84 स्थानों का उल्लेखनीय सुधार हुआ है! हमारी रिकवरी दर भी उल्लेखनीय रूप से 26 (सेंट प्रति डॉलर पर) से बढ़कर 71.6 (सेंट प्रति डॉलर पर) हो गई है।

श्री गोयल ने कहा कि आईबीसी की वजह से कर्ज लेने वालों और कर्ज देने वालों के रवैये में एक उल्लेखनीय बदलाव आया है जो कि अनैतिक उधारकर्ताओं के खिलाफ एक कारगर निवारक उपाय के रूप में काम कर रहा है और बैंकों को वसूली के बारे में उचित परिश्रम और भरोसे का अनुपालन करने का तरीका प्रदान कर रहा है।

केन्द्रीय मंत्री ने कहा, कोविड संकट को देखते हुए सरकार ने मार्च 2020 से मार्च 2021 तक आईबीसी को एक साल के लिए स्थगित कर दिया था। “इससे भारत को बहुत तेजी से उबरने में मदद मिली। अर्थव्यवस्था में बेहतर हो रही है और अगले पांच साल बाद का परिदृश्य बहुत ही उज्ज्वल दिख रहा है।”

श्री गोयल ने कहा कि आईआईआईपीआई के सदस्य देश में व्यवसायों और उद्यमिता को बचाकर देश हित में काम कर रहे हैं। “इसका ‘नौकरियों को बचाने और कंपनियों को पुनर्जीवित करने’ तथा बैंकिंग के नए अवसरों को पैदा करने की दिशा में एक बहुत बड़ा प्रभाव पड़ा है।”

आईआईआईपीआई को देश में इस किस्म के पेशेवरों का सबसे बड़ा निकाय बताते हुए और इसके सदस्यों के एक न्यासीय कर्तव्य और इस निकाय कीत्रि-आयामी भूमिकाओं -विधायी, कार्यकारी और अर्ध-न्यायिक -का उल्लेख करते हुए,केन्द्रीय मंत्री ने दिवाला मामलों से जुड़े पेशेवरों के लिए आवश्यक पांच मार्गदर्शक सिद्धांतों – ईमानदारी, वस्तुनिष्ठा, योग्यता, गोपनीयता और पारदर्शिता – को रेखांकित किया। उन्होंने चार्टर्ड अकाउंटेंट के पेशे से जुड़े लोगों से खराब ऋण की समस्या के समाधान में प्रौद्योगिकी का उपयोग करने, नए मौलिक विचारों पर ध्यान देने और उपयुक्त मानदंड स्थापित करने का आह्वान किया।

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एमजी/एएम/आर

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