राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार विजेता पैसों की तंगी के कारण मजदूरी करने को मजबूर
महाराष्ट्र के नांदेड़ जिले में पानी मे डूब रहीं 2 लड़कियों की जान बचाने के लिए अप्रैल 2017 में 20 वर्षीय नदाफ एजाज अब्दुल राउफ को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार से सम्मानित किया था लेकिन एक साल बाद ही नदाफ के परिवार की आर्थिक स्थिति इस कदर बिगड़ी कि उसे अपने परिवार की देखभाल करने के लिए पिता और भाई के साथ दिहाड़ी मजदूरी करना पड़ा रहा है.
इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए नदाफ एजाज अब्दुल राउफ ने कहा, मैंने बहन की शादी और अपनी पढ़ाई के लिए के लिए पिता और भाई के साथ एक मजदूर का काम करना शुरू किया था. मैं एक विज्ञान का छात्र था और केंद्र सरकार ने 11वीं कक्षा में मेरे कॉलेज की फीस दी थी लेकिन 12वीं कक्षा के लिए मेरा परिवार के पास फीस नहीं थी. समय पर फीस न दिए जाने के कारण मुझे स्कूल में प्रवेश नहीं मिल सका. हालांकि अपनी कड़ी मेहनत के बल पर साल 2020 में एजाज ने 82% अंकों के साथ 12वीं की परीक्षा पास की और आर्ट्स कॉलेज में प्रवेश पाने में सफल रहा. नदाफ एजाज महाराष्ट्र पुलिस बल में शामिल होना चाहता हैं.
नदाफ एजाज ने कहा कि अगर जिला परिषद के अधिकारी मुझे एक अच्छी नौकरी खोजने में मेरी मदद करें तो मैं स्नातक होने तक अपनी पढ़ाई का खर्च उठा सकता हूं. अभी, मैं एक मजदूर के रूप में सिर्फ 300 रुपये प्रति दिन काम करता हूं. 30 अप्रैल, 2017 की घटना को याद करते हुए, एजाज ने कहा कि उन्होंने नांदेड़ जिले के अर्धपुर तालुका के पारधी गांव में एक नदी में 4 लड़कियों को डूबते हुए देखा था. उस वक्त एजाज की उम्र मात्र 16 साल की थी. इसके बावजूद वह बिना कुछ सोचे समझे नदी में कूद गया और तबस्सुम और अफरीन को बाहर निकालने में कामयाब रहा, जबकि अन्य लड़कियों को नहीं बचाया जा सका.
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