पंजाब में नवजोत सिंह सिद्धू कांग्रेस में ईंट से ईंट बजाने को तैयार।

पंजाब में नवजोत सिंह सिद्धू कांग्रेस में ईंट से ईंट बजाने को तैयार।

पंजाब में नवजोत सिंह सिद्धू कांग्रेस में ईंट से ईंट बजाने को तैयार।
छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को दिल्ली में कांग्रेसी विधायकों के साथ शक्ति प्रदर्शन करना पड़ा।
राजस्थान में राजनीतिक तनाव के बीच मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को हार्ट की एंजियोप्लास्टी करवानी पड़ी।
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सोनिया गांधी के नेतृत्व वाली कांग्रेस पंजाब, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में अपने दम पर सरकार चला रही है, लेकिन अब इन तीनों ही राज्यों में कांग्रेस पार्टी में राजनीतिक खींचतान हो रही है। खींचतान भी ऐसी है जो कांग्रेस के राष्ट्रीय नेतृत्व को लाचार साबित कर रही है। पंजाब कांग्रेस के अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू ने कहा है कि यदि उन्हें निर्णय लेने की छूट नहीं दी गई तो वे ईंट से ईंट बजा देंगे। अमृतसर के एक समारोह में सिद्धू ने कहा कि वे सिर्फ दर्शनीय अध्यक्ष नहीं बनेंगे। अपनी इन भावनाओं से सिद्धू ने कांग्रेस हाईकमान यानी श्रीमती सोनिया गांधी, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी को अवगत करवा दिया है। स्वाभाविक है कि सिद्धू कांग्रेस पार्टी की ही ईंट से ईंट बजाएंगे। सब जानते हैं कि कांग्रेस सरकार के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेंद्र सिंह की मर्जी के खिलाफ गांधी परिवार ने सिद्धू को प्रदेश कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया है, इसलिए सिद्धू की सरकार में चल नहीं रही है। यही वजह है कि सिद्धू अब अपनी ही पार्टी की ईंट से ईंट बजाने को तैयार हैं। असल में गांधी परिवार ने सिद्धू को प्रदेशाध्यक्ष बनाकर एक म्यान में दो तलवार घुसेड़ दी, लेकिन अब एक म्यान में दो तलवार (अमरेंद्र सिंह और सिद्धू) का एडजस्टमेंट नहीं हो रहा है। सिद्धू का बड़बोलापन सबको पता है। सिद्धू की जुबान तलवार की धार से भी तेज हैं। जबकि कैपटन अमरेंद्र सिंह कम बोल कर हमले करते हैं। कैप्टन और सिद्धू तब आमने सामने है, जब पंजाब में विधानसभा के चुनाव मात्र 6 माह बाद अगले वर्ष मार्च में होने वाले हैं। यह सही है कि कांग्रेस विधायकों के बीच कैप्टन का बहुमत है। इस खींचतान का खामियाजा कांग्रेस को चुनाव में उठाना पड़ेगा।
भूपेश बघेल का शक्ति प्रदर्शन:
26 अगस्त को कांग्रेस शासित छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने दिल्ली में राहुल गांधी और प्रियंका गांधी से मुलाकात की। इस मुलाकात के बाद बघेल ने मीडिया से कहा कि गांधी परिवार से छत्तीसगढ़ के विकास पर चर्चा हुई है,लेकिन अगले ही दिन 27 अगस्त को बघेल समर्थक विधायक छत्तीसगढ़ छोड़ कर दिल्ली आ गए। जब राहुल गांधी ने इन विधायकों से मिलने से इंकार कर दिया तो सभी विधायक छत्तीसगढ़ के प्रभारी महासचिव बीलए पूनिया के निवास पर पहुंच गए। पूनिया को बघेल ने बता दिया कि कांग्रेस विधायकों का समर्थन उनके साथ है, ऐसे में यदि स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंह देव को मुख्यमंत्री बना कर ढाई ढाई वर्ष वाला फार्मूला लागू किया गया तो परिणाम बुरे होंगे। असल में 2018 में जब भूपेश बघेल को सीएम बनाया गया था, तब ढाई ढाई वर्ष की बात हुई थी, लेकिन अब ढाई वर्ष पूरे होने पर भूपेश बघेल इस फार्मूले से इंकार कर रहे हैं। बघेल ने दिल्ली में शक्ति प्रदर्शन तब किया है,जब उनकी मुलाकात राहुल और प्रियंका गांधी से हो रही है। यदि इस मुलाकात का कोई प्रभाव होता तो बघेल कांग्रेस विधायकों को दिल्ली नहीं लाते। बघेल के प्रतिद्वंदी नेता स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंह देव ने भी स्पष्ट कर दिया है कि वे अब पीछे हटने वाले नहीं है। माना जा रहा है कि देव के पीछे राहुल गांधी खड़े हैं। राहुल गांधी चाहते हैं कि 2018 में तय हुए फार्मूले के अनुरूप सिंह देव को अगले ढाई वर्ष के लिए छत्तीसगढ़ का मुख्यमंत्री बनाया जाए। लेकिन अब हालात ऐसे हो गए हैं कि यदि भूपेश बघेल को हटाया जाता है तो कांग्रेस में बगावत हो सकती है।
राजस्थान में गहलोत अस्पताल में भर्ती:
कांग्रेस शासित तीसरे प्रदेश राजस्थान में भी सीएम अशोक गहलोत और पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट के बीच राजनीतिक खींचतान जगजाहिर है। 28 अगस्त को राजस्थान पत्रिका में प्रकाशित खबर के अनुसार मंत्रिमंडल में फेरबदल पर चर्चा के लिए गहलोत को 27 अगस्त को दिल्ली जाना था। इसके लिए चार्टर प्लेन भी बुक कर लिया गया था, लेकिन अचानक सीने में दर्द होने की वजह से गहलोत को जयपुर के एसएमएस अस्पताल में भर्ती करवाना पड़ा। अस्पताल में मुख्यमंत्री के हार्ट की एंजियोप्लास्टी भी हुई। विशेषज्ञों के अनुसार सीने में दर्द का सबसे बड़ा कारण तनाव होता है। क्या सीएम गहलोत को दिल्ली जाने का तनाव था? असल में गहलोत अब कांग्रेस से ज्यादा स्वयं के बूते पर सरकार चला रहे हैं। अपनी स्थिति मजबूत करने के लिए गहलोत ने पहले बसपा के सभी 6 विधायकों को कांग्रेस में शामिल करवाया और अब प्रदेशभर के सभी 13 निर्दलीय विधायकों का समर्थन हासिल कर रखा है। यही वजह है कि गहलोत अपने प्रतिद्वंदी सचिन पायलट के समर्थक 18 विधायकों की बगावत की परवाह नहीं करते हैं। लेकिन बदली हुई परिस्थितियों में गांधी परिवार चाहता है कि सरकार और संगठन में सचिन पायलट की भागीदारी हो। जानकारों की माने तो मौजूदा राजनीतिक हालातों की वजह से सीएम गहलोत तनाव में थे। हालांकि गहलोत का 50 वर्ष का राजनीतिक अनुभव है और उनके जीवन में कई बार उतार चढ़ाव आए। गहलोत की वफादारी हमेशा गांधी परिवार के साथ रही है। गहलोत की एंजियोप्लास्टी होने के बाद माना जा रहा है कि चिकित्सक एक दो माह विश्राम की सलाह देंगे।

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