न भाजपा विधायक सुरेश रावत ब्रह्मा मंदिर की परंपरा करवा पा रहे हैं और न कांग्रेस की पूर्व विधायक नसीम अख्तर प्रसाद और फूल माला पर सहमति।

न भाजपा विधायक सुरेश रावत ब्रह्मा मंदिर की परंपरा करवा पा रहे हैं और न कांग्रेस की पूर्व विधायक नसीम अख्तर प्रसाद और फूल माला पर सहमति।

न भाजपा विधायक सुरेश रावत ब्रह्मा मंदिर की परंपरा करवा पा रहे हैं और न कांग्रेस की पूर्व विधायक नसीम अख्तर प्रसाद और फूल माला पर सहमति।
लेकिन दोनों ही स्वयं पुष्कर तीर्थ का सबसे बड़ा हितैषी साबित कर रहे हैं। रावत ने प्रधानमंत्री और नसीम ने मुख्यमंत्री के नाम पर अपनी नेतागिरी चमकाई।
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यू तो पुष्कर मेला कई सदियों से भर रहा है, लेकिन 14 नवंबर को पहला अवसर रहा, जब राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने पुष्कर में पंचतीर्थ स्नान के शुभारंभ पर अपना संदेश भेजा। संदेश को सुनाने से पहले पुष्कर की पूर्व विधायक और प्रदेश कांग्रेस की उपाध्यक्ष नसीम अख्तर और उनके पति वरिष्ठ कांग्रेसी इंसाफ अली ने साधु संतों के साथ पवित्र सरोवर के ब्रह्म घाट पर पूजा अर्चना की। सीएम गहलोत का संदेश पुष्कर तक लाने के पीछे श्रीमती अख्तर की महत्वपूर्ण भूमिका रही। असल में गत 5 नवंबर को पुष्कर के भाजपा विधायक सुरेश रावत ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से जुड़े एक कार्यक्रम को पुष्कर में एलईडी लगवा कर दिखाया गया, तब पीएम ने केदारनाथ धाम में शंकराचार्य की प्रतिमा का लोकार्पण किया था। तब रावत ने भाजपा के प्रदेश स्तरीय नेताओं को पुष्कर बुलाया। तब यह दावा किया गया कि पीएम मोदी वर्चुअल संवाद करेंगे, लेकिन पीएम का संवाद नहीं हो सका। लेकिन भाजपा विधायक को वाह वाह लूटने का अवसर जरूर मिल गया। ऐसे में कांग्रेस की पूर्व विधायक नसीम अख्तर पीछे कैसे रह सकती थीं। उन्होंने पुष्कर मेले के अवसर पर मुख्यमंत्री का संदेश मंगवा कर अपनी नेतागिरी चमकाने का प्रयास किया। इसमें कोई दोराय नहीं कि चुनाव हारने के बाद भी नसीम अख्तर और उनके पति इंसाफ अली पिछले आठ वर्षों से पुष्कर विधानसभा क्षेत्र में सक्रिय हैं। किसी न किसी तरह दोनों ने अपनी उपस्थिति को बरकरार रखा है। भाजपा विधायक रावत और पूर्व विधायक नसीम के विकास के अपने अपने दावे भी हैं, लेकिन सब जानते हैं कि पुष्कर के ब्रह्मा मंदिर भवन की न तो मरम्मत हो पा रही है और न ही श्रद्धालुओं को मंदिर में प्रसाद, फूल माला आदि चढ़ाने की अनुमति मिल पा रही है। मंदिर के मरम्मत की अनुमति केंद्र सरकार के पुरातत्व मंत्रालय से मिलनी है तो प्रसाद व फूल माला की अनुमति अजमेर के जिला प्रशासन को देनी है। भाजपा विधायक रावत प्रधानमंत्री और पूर्व विधायक नसीम पुष्कर में मुख्यमंत्री के नाम की दुहाई तो देते हैं, लेकिन दोनों ही राज नेता श्रद्धालुओं की अपेक्षाओं पर खरे नहीं उतर रहे हैं। हालात इतने खराब है कि मेला शुरू होने के बाद भी सीवरेज का पानी सड़कों पर बह रहा है। 14 नवंबर को मेले में मुख्यमंत्री का संदेश तो पढ़कर सुनाया गया, लेकिन मेले में सांस्कृतिक, धार्मिक खेलकूद आदि कार्यक्रमों पर अभी तक रोक लगी हुई है। जबकि राज्य सरकार ने कोरोना काल की सभी पाबंदियां हटा दी है। अच्छा होता कि श्रीमती अख्तर अपने राजनीतिक प्रभाव से इस बार पुष्कर मेले में पूर्व की तरह कार्यक्रम करवातीं। नसीम उनके पति इंसाफ को पुष्कर की इतनी ही चिंता है तो कम से कम ब्रह्मा मंदिर में प्रसाद और फूल चढ़ाने की अनुमति तो दिलवाएं। श्रद्धालुओं की भावनाओं के विपरीत मुख्यमंत्री का संदेश पढ़ने से क्या फायदा? सब जानते हैं कि इस बार प्रशासन ने पुष्कर मेले के लिए विशेष इंतजाम नहीं किए। यही वजह रही कि पंचतीर्थ स्नान से पहले दिन 14 नवंबर को पुष्कर में एक लाख श्रद्धालु आए तो अव्यवस्थाओं देखी गई। धार्मिक दृष्टि से पुष्कर मेले का समापन 19 नवंबर को कार्तिक पूर्णिमा के स्नान के साथ होगा। इस दिन कई लाख श्रद्धालु आएंगे। ऐसे में प्रशासन को विशेष इंतजाम करने होंगे।

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