प्रधानमंत्री ने शिक्षक पर्व के पहले सम्मेलन को संबोधित किया

प्रधानमंत्री ने शिक्षक पर्व के पहले सम्मेलन को संबोधित किया

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आज वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से शिक्षक पर्व के पहले सम्मेलन को संबोधित किया।उन्होंने भारतीय सांकेतिक भाषा शब्दकोश (श्रवण बाधितों के लिए ऑडियो और पाठ आधारित सांकेतिक भाषा वीडियो, ज्ञान के सार्वभौमिक डिजाइन के अनुरूप), बोलने वाली किताबें (टॉकिंग बुक्स, नेत्रहीनों के लिए ऑडियो किताबें), सीबीएसई की स्कूल गुणवत्ता आश्वासन और आकलन रूपरेखा,निपुण भारत के लिए ‘निष्ठा’ शिक्षक प्रशिक्षण कार्यक्रम और विद्यांजलि पोर्टल (विद्यालय के विकास के लिए शिक्षा स्वयंसेवकों/ दाताओं/ सीएसआर योगदानकर्ताओं की सुविधा के लिए) का भी शुभारंभ किया।

सभा को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त करने वाले शिक्षकों को बधाई दी। उन्होंने कठिन समय में देश के छात्रों के भविष्य के प्रति शिक्षकों के योगदान की सराहना की। उन्होंने कहा कि आज शिक्षक पर्व के अवसर पर कई नई योजनाएं शुरू की गई हैं। ये महत्वपूर्ण भी हैं, क्योंकि देश इस समय आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है और आजादी के 100 साल बाद भारत कैसा होगा, इसके लिए नए संकल्प ले रहा है। प्रधानमंत्री ने महामारी की चुनौती का सामना करने के लिए छात्रों, शिक्षकों और पूरे शैक्षणिक समुदाय की प्रशंसा की और उनसे कठिन समय का मुकाबला करने के लिए विकसित की गयी क्षमताओं को और आगे बढ़ाने का आग्रह किया। उन्होंने कहा, “यदि हम परिवर्तन के दौर में हैं, तो सौभाग्य सेहमारे पास आधुनिक और भविष्य की जरूरतों के अनुरूप नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति भी है।“

प्रधानमंत्री ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति के निर्माण और उसके क्रियान्वयन में हर स्तर पर शिक्षाविदों, विशेषज्ञों, शिक्षकों के योगदान की सराहना की। उन्होंने सभी से इस भागीदारी को एक नए स्तर पर ले जाने और इसमें समाज को भी शामिल करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि शिक्षा क्षेत्र में ये बदलाव न केवल नीति आधारित हैं बल्कि भागीदारी आधारित भी हैं।

प्रधानमंत्री ने कहा कि ‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास’ के साथ ‘सबका प्रयास’ के देश के संकल्प के लिए ‘विद्यांजलि 2.0’ एक मंच की तरह है। इसके लिए समाज में, हमारे निजी क्षेत्र को आगे आना होगा और सरकारी स्कूलों में शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाने में योगदान देना होगा।

प्रधानमंत्री ने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में जनभागीदारी फिर से भारत का राष्ट्रीय चरित्र बनती जा रही है। पिछले 6-7 वर्षों में जनभागीदारी के सामर्थ्य के कारण ही भारत में बहुत से ऐसे कार्य हुए हैं, जिनकी पहले कल्पना करना कठिन था। उन्होंने कहा कि जब समाज मिलकर कुछ करता है, तो वांछित परिणाम सुनिश्चित होते हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि जीवन के किसी भी क्षेत्र में युवाओं के भविष्य को आकार देने में सभी की भूमिका है। उन्होंने हाल ही में संपन्न ओलंपिक और पैरालंपिक में देश के एथलीटों के शानदार प्रदर्शन को याद किया। उन्होंने प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि प्रत्येक खिलाड़ी के द्वारा आजादी के अमृत महोत्सव के दौरान कम से कम 75 स्कूलों का दौरा करने के उनके अनुरोध को एथलीटों ने स्वीकार कर लिया है। उन्होंने कहा कि इससे छात्रों को प्रेरणा मिलेगी और कई प्रतिभाशाली छात्रों को खेल के क्षेत्र में आगे बढ़ने का प्रोत्साहन मिलेगा।

प्रधानमंत्री ने कहा कि किसी भी देश की प्रगति के लिए शिक्षा न केवल समावेशी होनी चाहिए बल्कि समान होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि नेशनल डिजिटल आर्किटेक्चर अर्थात एन-डियर शिक्षा में असमानता को खत्म करके उसे आधुनिक बनाने में एक बड़ी भूमिका निभा सकता है। उन्होंने कहा कि जैसे यूपीआई इंटरफेस ने बैंकिंग सेक्टर को क्रांतिकारी बनाने का कार्य किया है, वैसे ही एन-डियर भी सभी विभिन्न शैक्षणिक गतिविधियों के बीच ‘सुपर-कनेक्ट’ के रूप में कार्य करेगा। उन्होंने कहा कि देश टॉकिंग बुक्स और ऑडियोबुक जैसी तकनीक को शिक्षा का हिस्सा बना रहा है।

स्कूल क्वालिटी असेसमेंट एंड एश्योरेंस फ्रेमवर्क (एस.क्यू.ए.ए.एफ), जिसे आज प्रारंभ किया गया, यह पाठ्यक्रम, शिक्षाशास्त्र, मूल्यांकन, बुनियादी ढांचे, समावेशी प्रथाओं और शासन प्रक्रिया जैसे आयामों में एक सामान्य वैज्ञानिक ढांचे की अनुपस्थिति की कमी को दूर करेगा। एसक्यूएएएफइस असमानता को दूर करने में भी मदद करेगा।

उन्होंने कहा कि तेजी से बदलते इस युग में हमारे शिक्षकों को भी नई व्यवस्थाओं और तकनीकों के बारे में शीघ्रता से सीखना होगा। उन्होंने कहा कि देश ‘निष्ठा’ प्रशिक्षण कार्यक्रमों के माध्यम से अपने शिक्षकों को इन्हीं परिवर्तनों के लिए तैयार कर रहा है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत के शिक्षक न केवल किसी वैश्विक मानक पर खरे उतरते हैं, बल्कि उनके पास अपनी विशेष पूंजी भी होती है। उनकी यह विशेष पूँजी, विशेष शक्ति उनके भीतर के भारतीय संस्कार हैं। उन्होंने कहा कि हमारे शिक्षक अपने काम को केवल पेशा नहीं मानते हैं, उनके लिए शिक्षण एक मानवीय संवेदना और एक पवित्र नैतिक कर्तव्य है। प्रधानमंत्री ने कहा इसीलिए हमारे देश में शिक्षक और बच्चों के बीच केवल पेशेवर संबंध नहीं होते, बल्कि एक पारिवारिक रिश्ता होता है और यह रिश्ता जीवन भर के लिए होता है।

मैं सबसे पहले, राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त करने वाले हमारे शिक्षकों को बहुत-बहुत बधाई देता हूँ।आप सभी ने कठिन समय में देश में शिक्षा के लिए, विद्यार्थियों के भविष्य के लिए जो योगदान दिया है, वो अतुलनीय है, सराहनीय है: PM @narendramodi

आज शिक्षक पर्व के अवसर पर अनेक नई योजनाओं का प्रारंभ हुआ है।ये initiatives इसलिए भी अहम है क्योंकि देश अभी आज़ादी का अमृत महोत्सव मना रहा है।आज़ादी के 100 वर्ष होने पर भारत कैसा होगा, इसके लिए नए संकल्प ले रहा है: PM @narendramodi

NEP के formulation से लेकर implementation तक, हर स्तर पर academicians का, experts का, teachers का, सबका योगदान रहा है।आप सभी इसके लिए प्रशंसा के पात्र हैं।अब हमें इस भागीदारी को एक नए स्तर तक लेकर जाना है, हमें इसमें समाज को भी जोड़ना है: PM @narendramodi #ShikshakParv

देश ने ‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास’ के साथ ‘सबका प्रयास’ का जो संकल्प लिया है, ‘विद्यांजलि 2.0’ उसके लिए एक platform की तरह है।इसमें हमारे समाज को, हमारे प्राइवेट सेक्टर को आगे आना है और सरकारी स्कूलों में शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाने में अपना योगदान देना है: PM

जब समाज मिलकर कुछ करता है, तो इच्छित परिणाम अवश्य मिलते हैं। और आपने ये देखा है कि बीते कुछ वर्ष में जनभागीदारी अब फिर भारत का नेशनल कैरेक्टर बनता जा रहा है।पिछले 6-7 वर्षों में जनभागीदारी की ताकत से भारत में ऐसे-ऐसे कार्य हुए हैं, जिनकी कोई कल्पना भी नहीं कर सकता था: PM

शिक्षा में असमानता को खत्म करके उसे आधुनिक बनाने में National Digital Educational Architecture यानी, N-DEAR की भी बड़ी भूमिका होने वाली है।जैसे UPI इंटरफेस ने बैंकिंग सेक्टर को revolutionize किया है, वैसे ही N-DEAR सभी academic activities के बीच एक सुपर कनेक्ट का काम करेगा: PM

आप सभी इस बात से परिचित हैं कि किसी भी देश की प्रगति के लिए education न केवल Inclusive होनी चाहिए बल्कि equitable भी होनी चाहिए।इसीलिए, आज देश Talking बुक्स और Audio बुक्स जैसी तकनीक को शिक्षा का हिस्सा बना रहा है: PM @narendramodi

तेजी से बदलते इस दौर में हमारे शिक्षकों को भी नई व्यवस्थाओं और तकनीकों के बारे में तेजी से सीखना होता है।‘निष्ठा’ ट्रेनिंग प्रोग्राम्स के जरिए देश अपने टीचर्स को इन्हीं बदलावों के लिए तैयार कर रहा है: PM @narendramodi #ShikshakParv

भारत के शिक्षकों में किसी भी ग्लोबल स्टैंडर्ड पर खरा उतरने की क्षमता तो है ही, साथ ही उनके पास अपनी विशेष पूंजी भी है।उनकी ये विशेष पूंजी, ये विशेष ताकत है उनके भीतर के भारतीय संस्कार: PM @narendramodi #ShikshakParv

हमारे शिक्षक अपने काम को केवल एक पेशा नहीं मानते, उनके लिए पढ़ाना एक मानवीय संवेदना है, एक पवित्र नैतिक कर्तव्य है।इसीलिए, हमारे यहाँ शिक्षक और बच्चों के बीच professional रिश्ता नहीं होता, बल्कि एक पारिवारिक रिश्ता होता है।और ये रिश्ता, ये संबंध पूरे जीवन का होता है: PM

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एमजी/एएम/जेके/एसएस

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