​राफेल अब ​चीन के साथ पूर्वी मोर्चे पर खतरों का मुकाबला करने को​ तैयार

​राफेल अब ​चीन के साथ पूर्वी मोर्चे पर खतरों का मुकाबला करने को​ तैयार

पश्चिम बंगाल के ​​​​हाशिमारा एयरबेस में​ ​​​राफेल ​फाइटर जेट की दूसरी ​स्क्वाड्रन ​​चीन के साथ पूर्वी मोर्चे पर खतरों का मुकाबला करने के लिए​ तैयार है​​। भारतीय वायुसेना ने पांच ​​​जेट विमानों के साथ शुरू की गई इस दूसरी स्क्वाड्रन ​का नाम 101 ​​‘फाल्कन्स ऑफ चंब और अखनूर’ ​रखा है।​ हालांकि स्क्वाड्रन ​शुरू करने का ​​औपचारिक समारोह ​​कोरोना महामारी की वजह से नहीं हो पाया है लेकिन अगले एक या दो महीने के भीतर होने की सम्भावना है।  ​

फ्रांस के साथ ​सितम्बर, 2016 में​ हुए ​59​ हजार करोड़ रुपये के सौदे के तहत ​36 में से अब तक सात खेपों में 23 राफेल जेट भारत आ चुके हैं​ वायुसेना को मिलने वाले 36 राफेल विमानों में से 30 युद्धक विमान और छह प्रशिक्षण विमान होंगे फ्रांसीसी कम्पनी से पांच राफेल जेट का पहला जत्था 29 जुलाई​, 2020 को अंबाला एयरबेस पहुंचा था। भारतीय वायुसेना ने औपचारिक रूप से इन फाइटर जेट्स को अपने बेड़े में 10 सितम्बर को शामिल किया था। पश्चिमी और पूर्वी मोर्चों पर ‘टू फ्रंट वार’ की तैयारियों के बीच राफेल फाइटर जेट की मिसाइल स्कैल्प को पहाड़ी इलाकों में अटैक करने के लिहाज से अपग्रेड किया ​गया है।​ ​एलएसी पर चीन से तनातनी के बीच भारत ने राफेल लड़ाकू विमानों को लद्दाख के फ्रंट-लाइन एयरबेस पर तैनात किया है।
 
वायुसेना की एक स्क्वाड्रन 16 युद्धक विमानों और पायलट ट्रेनिंग के दो विमानों से मिलकर बनती है। राफेल के लिए अम्बाला में बनाई गई पहली 17 ‘गोल्डन एरोज’ स्क्वाड्रन 18 जेट्स मिलने के बाद पूरी हो गई है। भारत को अब तक मिले 23 विमानों में से 5 राफेल जेट विमानों के साथ अब पश्चिम बंगाल के हाशिमारा एयरबेस ​की ​दूसरी ​​स्क्वाड्रन शुरू​ की गई है। पूर्वी लद्दाख में चीन से चल रही तनातनी के बीच राफेल फाइटर जेट्स की इस दूसरी स्क्वाड्रन की जिम्मेदारी सिक्किम से लेकर अरूणाचल प्रदेश तक से सटी एलएसी की होगी। पूर्वी क्षेत्र में चीन-भूटान ट्राइ-जंक्शन के बेहद करीब ​​हाशिमारा ​एयर​बेस उसी विवादित डोकलाम इलाके के बेहद करीब है, जहां वर्ष 2017 में भारत और चीन की सेनाओं के बीच 75 दिन लंबा टकराव हुआ था। ​​
एयर चीफ मार्शल आरकेएस भदौरिया ने 19 जून को वायुसेना अकादमी डुंडीगल में आयोजित संयुक्त स्नातक परेड (सीजीपी) को संबोधित करते हुए कहा था कि शेड्यूल के अनुसार 2022 तक सभी 36 राफेल विमानों को भारतीय वायुसेना में शामिल कर लिया जायेगा। हाशिमारा ​एयर​बेस स्थित 101 ​​स्क्वाड्रन पहले पुराने मिग-21 लड़ाकू विमानों को संचालित करती थी। भारतीय वायु सेना ने ​​पश्चिम बंगाल के हाशिमारा एयरबेस ​को ‘101 फाल्कन्स ऑफ चंब और अखनूर’ ​नाम दिया है​ ​​​राफेल ​फाइटर जेट की दूसरी ​स्क्वाड्रन चीन के साथ पूर्वी मोर्चे पर खतरों का मुकाबला करने के लिए है। ग्रुप कैप्टन रोहित कटारिया 17 स्क्वाड्रन के कमांडिंग ऑफिसर हैं, जबकि ग्रुप कैप्टन नीरज झाम्ब ‘जैमी’ 101 स्क्वाड्रन के प्रमुख हैं यानी इन्हीं दोनों वायुसेना अधिकारियों के हाथों में राफेल जेट की कमान होगी। ​
दोनों एयरबेस पर राफेल के लिए हैंगर, शेल्टर, मेंटेनेंस सुविधाएं और इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार किए गए हैं। चीन के साथ 1962 की लड़ाई के बाद हासिमारा एयरबेस का निर्माण किया गया था। यह एयरबेस सिक्किम-भूटान-तिब्बत के ट्राइ-जंक्शन के करीब है। तेजपुर और चबुआ में पहले से ही रूसी मूल के सुखोई-30 एमकेआई तैनात हैं। हाशिमारा एयरबेस पर राफेल की तैनाती हो जाने से पूर्वी मोर्च पर वायु सेना की ताकत और बढ़ जाएगी। राफेल घातक हथियार पैकेज, उन्नत एवियोनिक्स, रडार और इलेक्ट्रॉनिक युद्ध प्रणाली से लैस हैं ताकि दुश्मन के हवाई क्षेत्र में बेहतर हमले सुनिश्चित किये जा सके। राफेल 300 किलोमीटर से अधिक दूरी की हवा से जमीन पर मार करने वाली क्रूज मिसाइल स्कैल्प मिसाइल और 120 से 150 किमी की स्ट्राइक रेंज के साथ हवा से हवा में मार करने वाली उल्का मिसाइलों से भी लैस हैं।

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