राजीव गांधी जल संचय योजना के कार्य प्राथमिकता से हों ः मुख्यमंत्री

राजीव गांधी जल संचय योजना के कार्य प्राथमिकता से हों ः मुख्यमंत्री

जल ग्रहण विकास एवं भू-संरक्षण की समीक्षा बैठक
राजीव गांधी जल संचय योजना के कार्य प्राथमिकता से हों ः मुख्यमंत्री
जयपुर, 19 जुलाई। मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत ने कहा कि राजीव गांधी जल संचय योजना एक महत्वाकांक्षी योजना है जिसका मुख्य उद्देश्य भू-जल स्तर में वृद्धि एवं जल संग्रहण के ढांचे तैयार करना है। योजना से जुड़े सभी विभागों में प्राथमिकता के साथ जल ग्रहण विकास कार्य स्वीकृत किए जाएं, ताकि मानसून सीजन के बाद कार्य प्रारम्भ किए जा सकें।
श्री गहलोत सोमवार को मुख्यमंत्री निवास से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से जल ग्रहण विकास एवं भू-संरक्षण से जुड़े कायोर्ं की प्रगति की समीक्षा कर रहे थे। उन्होंने कहा कि राजीव गांधी जल संचय योजना में हुई प्रगति की राज्य स्तर पर प्रतिमाह समीक्षा की जाए।
उन्होंने जिला स्तर पर कलेक्टर एवं प्रभारी सचिवों को भी योजना के कार्याें की समय-समय पर समीक्षा के निर्देश दिए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश ने कई बार अकाल एवं सूखे की स्थिति का सामना किया है। नरेगा के तहत हुए कार्यों एवं जल संग्रहण ढांचों के निर्माण से कम वर्षा वाले क्षेत्रों में पानी की उपलब्धता बढ़ी है। उन्होंने कहा कि नरेगा एवं जल ग्रहण विकास कायोर्ं के तहत निर्मित एनिकट, जोहड़, तालाब एवं नाड़ी आदि ढांचों से भूमिगत जल स्तर में वृद्धि के बारे में अध्ययन करवाया जाए।
उन्होंने कहा कि खेत का पानी खेत में रहे इसके लिए वर्षा जल संग्रहण के कार्यों को बढ़ावा देते हुए फार्म पोंड, खड़ीन एवं डिग्गी निर्माण आदि गतिविधियों को प्रोत्साहित किया जाए।
शासन सचिव पंचायतीराज विभाग श्रीमती मंजू राजपाल ने अपने प्रस्तुतीकरण में बताया कि प्रदेश में 20 अगस्त, 2019 को राजीव गांधी जल संचय योजना का शुभारंभ किया गया था। प्रथम चरण में 1450 ग्राम पंचायतों में 4029 गांव शामिल किए गए हैं। उन्होंने बताया कि पारदर्शिता एवं प्रभावी मॉनिटरिंग के लिए जीआईएस तकनीक का उपयोग कर कायोर्ं का चयन एवं सभी कार्यों की जियो टैगिंग की जा रही है।
श्रीमती राजपाल ने बताया कि प्रदेश में जल ग्रहण विकास योग्य 247 लाख हैक्टेयर क्षेत्रफल है। इसमें से 124 लाख हैक्टेयर क्षेत्रफल में जल ग्रहण विकास कार्य करवाए जा रहे हैं। शेष 123 लाख हैक्टेयर भूमि में जल ग्रहण विकास के लिए समग्र योजना तैयार कर केन्द्र सरकार को भिजवाई गई है।
उन्होंने बताया कि प्रदेश में जल ग्रहण विकास के तहत 37 हजार 259 जल संग्रहण ढांचे बनाए गए हैं जिनमें एनीकट, जोहड़, तालाब, नाड़ी आदि शामिल हैं। उन्होंने बताया कि 10 हजार 292 फार्म पोंड, खड़ीन, डिग्गी आदि के माध्यम से 12 हजार 500 किसानों को लाभान्वित किया है। साथ ही 3,580 हैक्टेयर भूमि पर उद्यानिकी एवं कृषि वानिकी के माध्यम से कृषकों की आय में वृद्धि के स्रोत सृजित किए गए हैं।
 बैठक में मुख्य सचिव श्री निरंजन आर्य, प्रमुख शासन सचिव वित्त श्री अखिल अरोरा, शासन सचिव ग्रामीण विकास श्री के.के पाठक, निदेशक स्वच्छ भारत मिशन श्री विश्व मोहन शर्मा, आयुक्त नरेगा श्री अभिषेक भगोतिया, संयुक्त निदेशक वॉटरशेड श्री राजेन्द्र प्रसाद सहित अन्य अधिकारी उपस्थित थे।
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