राष्ट्रीय पादप जीनोम अनुसंधान संस्थान (एनआईपीजीआर) के वैज्ञानिकों ने टमाटर के पौधे की पत्तियों के मुड़ जाने (टोमैटो लीफ कर्व) के कारक नई दिल्ली विषाणु के विरुद्ध रोग प्रतिरोधी टमाटर की प्रजाति द्वारा अपनाई गई प्रतिरक्षा रणनीति की जानकारी दी

राष्ट्रीय पादप जीनोम अनुसंधान संस्थान (एनआईपीजीआर) के वैज्ञानिकों ने टमाटर के पौधे की पत्तियों के मुड़ जाने (टोमैटो लीफ कर्व) के कारक नई दिल्ली विषाणु के विरुद्ध रोग प्रतिरोधी टमाटर की प्रजाति द्वारा अपनाई गई प्रतिरक्षा रणनीति की जानकारी दी

टमाटर के पत्तों के मुड़ जाने वाले (टोमैटो लीफ कर्व) नई दिल्ली विषाणु (वायरस)  (टीओएलसीएनडीवी) के संक्रमण से दुनिया भर में टमाटर की उपज में भारी नुकसान होता है। टीओएलसीएनडीवी के खिलाफ प्रतिरोध (आर) गुणसूत्र (जीन) के बारे में जानकारी के अभाव ने तेजी से फैलने वाले इस रोग ज़नक़ विषाणु के कारण फसल सुधार की गति को काफी धीमा कर दिया है। टीओएलसीएनडीवी और संबंधित विषाणु वायरस के विरुद्ध विषाणु रोधी गुणसूत्रों (एंटीवायरल जीन) की पहचान करने के लिए कई प्रयास किए गए हैं। जैव प्रौद्योगिकी विभाग (डीबीटी) के स्वायत्त संस्थान, राष्ट्रीय पादप जीनोम अनुसंधान संस्थान (नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ प्लांट जीनोमिक्स रिसर्च-एनआईपीजीआर) के वैज्ञानिकों ने टीओएलसीएनडीवी के खिलाफ प्रतिरोधी टमाटर की खेती द्वारा अपनाई गई एक प्रभावी रक्षा रणनीति के बारे में जानकारी दी है। यह उस एसडब्ल्यू5ए (R जीन) का उपयोग करता करता है जो इस वायरस के प्रसार को प्रतिबंधित करने के लिए टीओएलसीएनडीवी के एसी4 प्रोटीन (विषाणु प्रभावकर्ता-वायरल इफ़ेक्टर) को पहचानता है। लिप्यान्तरण (ट्रांसक्रिप्शनल) स्तर पर एसएलवाई-एमआईआर-159-एसआईएमवाईबी33 मॉड्यूल को एसडब्ल्यू5ए की नियंत्रक गुणसूत्र (जीन) अभिव्यक्ति के रूप में पहचाना गया है। इस प्रकार जांचकर्ताओं ने टीओएलसीएनडीवी के खिलाफ टमाटर में एसएलवाई- एमआईआर-159-एसआईएमवाईबी33-नियंत्रित एसडब्ल्यू5ए–मध्यस्थता वाली रक्षा प्रतिक्रिया में एक यंत्रवत अंतर्दृष्टि प्रदान की है। इन निष्कर्षों का आधुनिक प्रजनन या आणविक परिकल्पना  के माध्यम से टमाटर की अतिसंवेदनशील प्रजातियों में प्रतिरोध के गुणों के विकास में अनुप्रयोग  किया जा सकता है। यह शोध कार्य प्रोसीडिंग ऑफ द नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज (पीएनएएस 17 अगस्त, 2021 118 (33) ई2101833118;ttps://doi.org/10.1073/pnas.2101833118) में प्रकाशित हुआ था ।

 

आरेखीय प्रतिदर्शन  : टीओएलसीएनडीवी के विरुद्ध प्रतिरोध प्रदान करने में एसएलवाई- एमआईआर -159-एसआईएमवाईबी33 परिक्षेत्र  का योजनाबद्ध प्रतिनिधित्व। प्रतिरोधी उत्पादक (रेजिस्टेंट कल्टीवार) एच -88-78-1 में, एसएलवाई- एमआईआर -159  वायरस के संक्रमण (1) पर कमी की ओर विनियमित (डाउन-रेगुलेटेड) हो जाता है, इसलिए एसआईएमवाईबी33 एमआरएनए  के क्षरण को रोकता है और एसआईएमवाईबी33 (2) की बढ़ी हुई अभिव्यक्ति का कारण बनता है। एसआईएमवाईबी33 आगे एसआईएसडब्ल्यू5ए के वर्धक (प्रमोटर) क्षेत्र से जुड़ता है और अभिव्यक्ति (3) को प्रेरित करता है। इसके अलावा, एसआईएसडब्ल्यू5ए वायरस प्रोटीन एसी4 (रोगजनन निर्धारक) के साथ परस्पर क्रिया करता है और टीओएलसीएनडीवी की  घुसपैठ वाले क्षेत्रों में अति संवेदी (हाइपरसेंसिटिव –एचआर) प्रतिक्रिया को आगे बढ़ा देता  करता और विषाणु वायरस के प्रसार को सीमित कर देता  है (4)। इसके विपरीत संवेदनशील प्रजाति पंजाब छुहारा में एसएलवाई- एमआईआर -159  (क)  का बढ़त की ओर- विनियमन (अप-रेगुलेशन) में  एसआईएमवाईबी33 की अभिव्यक्ति को रोकता है (ख) यह एसआईएसडब्ल्यू5ए के उन्नयनकर्ता  एसआईएमवाईबी33 के बंधन को भी प्रतिबंधित करता है, इसलिए (ग़) एसआईएसडब्ल्यू5ए एसआईएसडब्ल्यू5ए और एचआर की अभिव्यक्ति को भी कम कर देता है और (घ) इससे पौधे में विषाणु का संक्रमण होता है I

जैव प्रौद्योगिकी विभाग (डीबीटी) की सचिव डॉ. रेणु स्वरूप ने डॉ. मनोज प्रसाद और उनकी टीम को इस महत्वपूर्ण कार्य, जिसे अब टमाटर की फसल की उपज में सुधार के लिए अपनाया जा सकता है, के लिए बधाई दी । डॉ. स्वरूप ने यह भी कहा कि जैव प्रौद्योगिकी विभाग ने वर्ष 2022 तक किसानों की आय को दोगुना करने के माननीय प्रधानमंत्री की परिकल्पना के अनुरूप कृषि जैव प्रौद्योगिकी में कई नई पहलें  की हैं।

 

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एमजी/एएम/एसटी/डीए

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