अगस्त 2021 से बिजली की मांग में बढ़ोतरी देखी जा रही है। अगस्त 2021 में बिजली की खपत 124 बिलियन यूनिट (बीयू) थी जबकि अगस्त 2019 में (कोविड अवधि से पहले) खपत 106 बीयू थी। यह लगभग 18-20 प्रतिशत की वृद्धि है। बिजली की मांग में तेजी का यह ट्रेंड जारी है और 4 अक्टूबर 2021 को बिजली की मांग 1,74,000 मेगावाट थी जो पिछले साल इसी दिन की तुलना में 15000 मेगावाट अधिक थी।
मांग में वृद्धि एक सकारात्मक संकेत है। यह इंगित करता है कि अर्थव्यवस्था बढ़ रही है। ऐसा इसलिए भी है क्योंकि ‘सौभाग्य’ कार्यक्रम के तहत 28 मिलियन से अधिक घरों को बिजली से जोड़ा गया था और ये सभी नए उपभोक्ता पंखे, कूलर, टीवी आदि जैसे उपकरण खरीद रहे हैं।
अगस्त और सितंबर 2021 के महीनों में कोयले वाले क्षेत्रों में लगातार बारिश हुई थी जिससे इस अवधि में कोयला खदानों से कम कोयला बाहर गया। हालांकि, डिस्पैच ने फिर से रफ्तार पकड़ ली है। 4 अक्टूबर 2021 को कुल 263 रेक्स डिस्पैच हुए जो 3 अक्टूबर 2021 की तुलना में 15 रेक्स ज्यादा है। यह उम्मीद जतायी जा रही है कि कोल लाइन से डिस्पैच में और इजाफा होगा।
बिजली संयंत्रों में कोयले का औसत स्टॉक 3 अक्टूबर 2021 को लगभग चार दिनों के लिए था। हालांकि, यह एक रोलिंग स्टॉक है, कोयला खदानों से थर्मल पावर संयंत्र तक हर दिन रेक के माध्यम से कोयला भेजा जाता है।
कोयले के स्टॉक का प्रबंधन करने और कोयले के समान वितरण को सुनिश्चित करने के लिए विद्युत मंत्रालय ने 27 अगस्त 2021 को एक कोर मैनेजमेंट टीम (सीएमटी) का गठन किया था। इसमें एमओपी, सीईए, पोसोको, रेलवे और कोल इंडिया लिमिटेड (सीआईएल) के प्रतिनिधि शामिल थे। सीएमटी दैनिक आधार पर कोयले के स्टॉक की बारीकी से निगरानी और प्रबंधन कर रहा है और बिजली संयंत्रों को कोयले की आपूर्ति में सुधार के लिए कोल इंडिया और रेलवे के साथ फॉलोअप कार्रवाई सुनिश्चित कर रहा है।
एमजी/एएम/पीके
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