महिला एवं बाल विकास मंत्रालय का ग्लोबल हंगर रिपोर्ट 2021 पर वक्तव्य

महिला एवं बाल विकास मंत्रालय का ग्लोबल हंगर रिपोर्ट 2021 पर वक्तव्य

14 अक्टूबर, 2021 को कंसर्न वर्ल्डवाइड और वेल्ट हंगर हिल्फ़ द्वारा प्रकाशित ग्लोबल हंगर रिपोर्ट 2021 पर महिला एवं बाल विकास मंत्रालय की टिप्पणियां निम्नलिखित हैं:

“यह चौंकाने वाला है कि ग्लोबल हंगर रिपोर्ट 2021 ने कुपोषित आबादी के खाद्य और कृषि संगठन (एफएओ) के अनुमानों के आधार पर भारत को डाउनग्रेड किया है, जो तथ्यात्मक आधार के बजाय एक गंभीर प्रणालीगत समस्या के रूप में पाया गया है। वर्ल्ड हंगर रिपोर्ट प्रकाशित करने से पहले पब्लिशिंग हाउस कंसर्न वर्ल्डवाइड और वेल्ट हंगर हिल्फ़ ने सही काम नहीं किया है।

एफएओ द्वारा इस्तेमाल की जाने वाली विधि अवैज्ञानिक है। उन्होंने फोन पर गैलप द्वारा किए गए ‘फोर क्वेश्चन’ पोल के परिणामों का मूल्यांकन किया है। इस अवधि के दौरान प्रति व्यक्ति भोजन की उपलब्धता जैसे कुपोषण को मापने के लिए किसी वैज्ञानिक पद्धति का उपयोग नहीं किया गया है। जबकि कुपोषण के शास्त्रीय माप के लिए वजन और ऊंचाई माप की आवश्यकता होती है, यहां शामिल विधि पूरी तरह से जनसंख्या के एक टेलीफोन अनुमान, गैलप पोल पर आधारित है। इस रिपोर्ट में कोविड काल के दौरान पूरी आबादी की खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के सरकार के प्रमुख प्रयासों के योगदान को पूरी तरह से नज़रअंदाज किया गया है, जिस पर सत्यापित आंकड़े उपलब्ध हैं। सर्वेक्षण के उत्तरदाताओं के पास ऐसा कोई प्रश्न नहीं था कि उन्हें सरकार या अन्य स्रोतों से क्या खाद्य सहायता मिली। इस पोल में प्रतिनिधित्व भारत और अन्य देशों के लिए भी संदिग्ध है।

एफएओ की रिपोर्ट ‘द स्टेट ऑफ फूड सिक्योरिटी एंड न्यूट्रिशन इन द वर्ल्ड 2021’ से यह आश्चर्य के साथ उल्लेख किया गया है कि इस क्षेत्र के अन्य चार देश – अफगानिस्तान, बांग्लादेश, नेपाल और श्रीलंका, कोविड-19 महामारी से प्रभावित नौकरी/व्यवसाय की हानि और आय के स्तर में कमी, से बिल्कुल भी प्रभावित नहीं हुए हैं, बल्कि वे 2018 की अवधि के दौरान ‘अल्पपोषित आबादी के अनुपात’ संकेतक पर 2017-19 की तुलना में 2018-20 में क्रमशः 4.3 प्रतिशत, 3.3 प्रतिशत, 1.3 प्रतिशत और 0.8 प्रतिशत अंकों से अपनी स्थिति में सुधार करने में सक्षम रहे हैं।

वैश्विक भुखमरी रिपोर्ट 2021 और ‘द स्टेट ऑफ फूड सिक्योरिटी एंड न्यूट्रिशन इन द वर्ल्ड 2021’ पर एफएओ रिपोर्ट ने सार्वजनिक क्षेत्र में उपलब्ध निम्नलिखित तथ्यों को पूरी तरह से नजरअंदाज कर दिया है:

इस रिपोर्ट के अनुसार, पहले सूचकांक, बाल मृत्यु दर पर भारत की स्थिति में 2020 की तुलना में 2021 में सुधार हुआ है। दो सूचकांकों, यानी चाइल्ड वेस्टिंग और चाइल्ड स्टंटिंग, पर 2020 की तुलना में 2021 में स्थिति अपरिवर्तित रही है।

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एमजी/एएम/एमकेएस/डीवी

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