सुप्रीम कोर्ट ने प्रवासी मजदूरों के मामले पर कोर्ट की ओर से स्वत: संज्ञान मामले पर फैसला सुरक्षित रख लिया है। सुनवाई के दौरान जस्टिस अशोक भूषण की अध्यक्षता वाली बेंच ने सभी राज्यों से कहा कि वे वन नेशन वन राशन कार्ड की योजना को लागू करें ताकि प्रवासी मजदूरों को राशन मिल सके। कोर्ट ने केंद्र सरकार और सभी राज्यों और संबंधित पक्षकारों को निर्देश दिया कि वे अपना संक्षिप्त नोट कोर्ट में तीन दिनों के अंदर दाखिल करें।
सुनवाई के दौरान महाराष्ट्र और पंजाब सरकार की ओर से कोर्ट को बताया गया कि उन्होंने वन नेशन वन राशन कार्ड की योजना को लागू किया है। सुनवाई के दौरान जब पश्चिम बंगाल सरकार की ओर से पेश वकील ने कहा कि आधार से लिंक करने में दिक्कत होने की वजह से राज्य सरकार ने ये योजना लागू नहीं की है। तब कोर्ट ने कहा कि इस पर कोई बहाना नहीं चलेगा, सभी राज्य वन नेशन वन राशन कार्ड योजना को लागू करना सुनिश्चित करें।
सुनवाई के दौरान वरिष्ठ वकील दुष्यंत दवे और कॉलिन गोंजाल्वेस ने कहा कि जिन प्रवासी मजदूरों का रजिस्ट्रेशन नहीं किया गया है, उन्हें उसका लाभ नहीं मिल रहा है। मजदूरों की स्थिति पिछले साल के मुकाबले इस साल ज्यादा खराब है। इस पर केंद्र सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना को नवंबर तक बढ़ा दिया गया है और प्रवासी मजदूरों की संख्या का पता लगा लिया गया है।
सुनवाई के दौरान एएसजी ऐश्वर्या भाटी ने कहा कि आठ लाख मीट्रिक टन आनाज दिया गया है। उनका वितरण राज्य सरकारों पर छोड़ा गया है। तब कोर्ट ने पूछा कि केंद्र सरकार का डाटा बेस कहां है। क्या आप इसके लिए सॉफ्टवेयर विकसित कर रहे हैं। आप अपना प्रोजेक्ट और मॉड्यूल बताइए। इसमें महीनों क्यों लग रहे हैं।
पिछले 13 मई को कोर्ट ने प्रवासी मजदूरों की हालत पर चिंता जताते हुए केंद्र , दिल्ली, उप्र और हरियाणा सरकार को निर्देश दिया था कि वे प्रवासी मजदूरों को पहचान पत्र न हो, तब भी राशन सामग्री दें। कोर्ट ने कहा था कि एनसीआर के शहरों से जो मजदूर गांव लौटना चाहते हैं, उन्हें सड़क या रेल मार्ग से सुविधा दी जाए।
कोर्ट ने निर्देश दिया था कि एनसीआर में सामुदायिक रसोई शुरू हो, जिसमें दो बार भोजन देने का इंतजाम किया जाए। सुनवाई के दौरान वकील प्रशांत भूषण ने कहा था कि कोरोना की दूसरी लहर के बाद दिल्ली, उप्र, हरियाणा और पूरे एनसीआर इलाके में कर्फ्यू और लॉकडाउन होने से प्रवासी मजदूरों को रोजी का संकट हो गया और वे लॉकडाउन बढ़ने की आशंका से अपने गृहनगर जाने लगे हैं। उनसे अपने गृहनगर जाने के लिए प्राइवेट बस मालिक काफी ज्यादा पैसे वसूल रहे हैं। बस मालिक प्रवासी मजदूरों से चार से पांच गुना ज्यादा रकम वसूल रहे हैं।
प्रशांत भूषण ने कहा था कि पिछले साल आत्मनिर्भर भारत स्कीम और प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के तहत प्रवासी मजदूरों को राशन देने की व्यवस्था की गई थी। उन्होंने मांग की कि सभी राज्य सरकारें उन प्रवासी मजूदरों को भी राशन उपलब्ध कराएं, जिनके नाम खाद्य सुरक्षा कानून या जनवितरण प्रणाली में छूट गया था। उन्होंने मांग की कि ऐसी संकट की घड़ी में जिनके पास पहचान पत्र नहीं हो, उन्हें भी राशन दिया जाए।
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