राजस्थान की जेलों में पिछले डेढ़ वर्षों से बंद पड़ी मुलाकातों का मुद्दा पहुंचा सुप्रिम कोर्ट

राजस्थान की जेलों में पिछले डेढ़ वर्षों से बंद पड़ी मुलाकातों का मुद्दा पहुंचा सुप्रिम कोर्ट

राजस्थान की जेलों में पिछले डेढ़ वर्षों से बंद पड़ी मुलाकातों का मुद्दा पहुंचा सुप्रिम कोर्ट
कोरोना महामारी के दौरान से अब तक राजस्थान जेल मुख्यालय के आदेश से राजस्थान की समस्त छोटी बड़ी जेलों में बंद बंदियो से उनके परिजनों व उनके अधिवक्ताओं की मुलाकातें बन्द पड़ी हैं। इस मुद्दे को जनहित व न्यायहित में उठाते हुए हिंदुस्तान शिवसेना के राष्ट्रीय प्रमुख व दिल्ली हाई कोर्ट के एडवोकेट राजेन्द्रसिंह तोमर राजा भैया ने सुप्रिम कोर्ट व राष्ट्रीय मनवाधिकार आयोग का दरवाजा खट खटाया हैं तथा इस बाबत लिखित शिकायतें सुप्रिम कोर्ट के मुख्य न्यायधीश व एनएचआरसी के अध्यक्ष के नाम भेज कर कर्यवाही करने व जेलों में बंद पड़ी मुलाकातें तत्काल खोलने की माँग की है।
एडवोकेट तोमर ने बताया है कि कोरोना महामारी के दौरान पिछले वर्ष 2020 मार्च से प्रदेश के जेल आई के आदेशों से सभी सेंट्रल जेलों, जिला जेलों व उप करागारो में बन्द बंदियो से आमने सामने से उनके परिजनो व उनके अधिवक्ताओं से होने वाली मुलाकातों पर रोक लगा दी गई थी। जो अभी तक जारी हैं तथा पिछले डेढ़ सालों से जेलों में बन्द बंदियो की मुलाकातें बन्द पड़ी है। इससे बंदियो व उनके परिजन मानसिक पीड़ा व मानसिक तनाव से गुजर रहे हैं तथा डिप्रेशन का शिकार हो रहे हैं। जेल में बंदी अपने अधिवक्ताओं से ना मिल पाने के कारण न्यायिक प्रक्रिया से भी वंचित हो रहे हैं व उनके मौलिक व मानवीय आधिकारो के साथ साथ उनके संबैधानिक व कानूनी आधिकरो का भी हनन हो रहा है।
राजा भैया ने बताया कि अब जबकि कोरोना महामारी लगभग समाप्त सी हो चूकी हैं पुरे देश ओर प्रदेश में सभी संस्थान व बाजार खोले जा चूके हैं कोर्ट में भी भौतिक रूप से काम किया जाने लगा है बंदियो की पेशी भी जेलो से कोर्ट में होने लगी हैं। यहाँ तक की स्कुल कोलेज भी खोले जा चूके हैं बसें ट्रेने भी चलू की जा चूकी हैं। फिर जेल मुख्यालय द्वारा जेल बंदियो की मुलाकात पर रोक लगाए रखना न्यायोचित नही हैं।
आखिर जेल के बंदी भी मानव है कोई जानवर नही हैं बेशक वो न्यायिक हिरासत में हैं पर उनके भी कुछ अधिकार हैं जो भारतीय संबिधान व कानून ने उन्हें दिए हुए हैं उनके अधिकारो का हनन करने का अधिकार किसी को भी नही हैं फिर चाहें वो जेल के अधिकारी हों या जेल मुख्यालय के आधिकारी हों, न्यायहित व जनहित में स्वम पहल करते हुए।
इस बाबत एडवोकेट तोमर ने पहले भी पिछले कई महीनो से राजस्थान के सीएम ग्रहसचिव राज्यपाल मुख्य न्यायाधीश राजस्थान हाई कोर्ट राज्य मनवाधिकार आयोग पीएमओ एचएमओ व मुख्यतः राजस्थान जेल महानिदेशक व आई जेल को लिखित शिकायतें की हैं पर कोई कर्यवाही नही की गईं। कोई कर्यवाही ना होते देख अब उन्होंने बंदियो के हित को देखते हुए इस बाबत सुप्रिम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश व राष्ट्रीय मनवाधिकार आयोग के अध्यक्ष के नाम शिकायतें भेज कर मामला दर्ज कर उनसे कर्यवाही की माँग की हैं।
सवाई माधोपुुर आये एडवोकेट तोमर ने पत्रकारों को अपने द्वारा भेजे गये सभी शिकायत पत्रों की प्रतियाँ देते हुए ये खुलासा किया। निश्चित ही तोमर द्वारा उठाया ये कदम काबिले तारीफ सराहनीय तथा न्यायहित व जनहित में हैं पर अब देखना ये होगा कि राजस्थान की जेलों में बंद बंदियो की मुलाकातें कितनी जल्दी फिर से उनके परिजनो व अधिवक्ताओं के लिए खोली जाती हैं।

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