रेल मंत्री तक पहुंचा चार दिन बाद भी सामान्य टिकट नहीं देने का मामला, डीआरयूसीसी सदस्य जैन ने की शिकायत
कोटा। न्यूज़. आदेश के चार दिन बाद भी नागदा-कोटा (09801) पैसेंजर ट्रेन में यात्रियों को सामान्य टिकट नहीं मिलने का मामला रविवार को रेल मंत्री अश्वनी वैष्णव तक पहुंच गया। कोटा मंडल रेल सलाहकार समिति (डीआरयूसीसी) सदस्य वीरेंद्र जैन ने पत्र लिखकर मामले की शिकायत रेल मंत्री से की है। जैन ने चार दिन तक यात्रियों को परेशान करने के दोषी अधिकारियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की भी मांग की है।
जैन ने रेल मंत्री को बताया कि कोटा मंडल अधिकारियों ने नागदा-कोटा ट्रेन में एक दिसंबर से सामान्य टिकट मिलने के आदेश जारी किए थे। लेकिन कई स्टेशनों पर यह आदेश पहुंचे ही नहीं। आदेश नहीं पहुंचने पर मोडक, रामगंजमंडी और दरा आदि स्टेशनों पर यात्रियों को 4 दिन तक सामान्य टिकट नहीं दिए गए। सामान्य टिकट नहीं मिलने से यात्रियों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ा। कई यात्री बिना सफर करे ही लौट गए। कई यात्रियों ने मजबूरी में अधिक किराया चुका कर सफर किया।
शिकायत कर शुरू किए सामान्य टिकट
जैन ने मंत्री को अवगत कराया कि कई यात्रियों ने आदेश के चार दिन बाद भी सामान्य टिकट नहीं मिलने की शिकायतें कीं। वरिष्ठ मंडल वाणिज्य प्रबंधक अजय पाल को इन शिकायतों से अवगत कराया गया। इसके बाद होश में आए हैं अजय पाल ने आनन-फानन में मोड़क रामगंजमंडी और दरा आदि स्टेशनों पर सामान्य टिकट देने के आदेश जारी किए। इसमें भी मोडक के तीन को तथा रामगंजमंडी और दरा के आदेश चार दिसंबर को जारी किए।
अधिकारियों ने दी गलत जानकारी
जैन ने मंत्री को अवगत कराया कि कोटा-नागदा (09802) पैसेंजर ट्रेन में पश्चिम-मध्य रेलवे मुख्यालय ने 8 नवंबर को सामान्य टिकट देने के आदेश जारी किए थे।
लेकिन कोटा मंडल अधिकारियों ने नागदा-कोटा ट्रेन में भी सामान्य टिकट मिलने के बयान जारी कर दिए। यहां तक कि डीआरएम के टि्वटर हैंडल पर भी अप और डाउन दोनों ट्रेनों में सामान्य टिकट मिलने की गलत जानकारी दी गई। इसके चलते नागदा-कोटा ट्रेन में सामान्य टिकट नहीं मिलने से यात्री कई दिन तक परेशान होते रहे। अधिकारियों ने बाद में भी स्पष्टीकरण जारी करना जरूरी नहीं समझा।
नहीं हुई डीआरयूसीसी की बैठक
जैन ने मंत्री को अवगत कराया कि डीआरयूसीसी का गठन हुए एक साल से अधिक का समय हो गया है। लेकिन कोटा मंडल में अभी तक इसकी एक भी बैठक नहीं हुई। जबकि कि जबलपुर और भोपाल मंडल में डीआरयूसीसी की एक-एक बैठकें हो चुकी हैं। जैन ने बताया कि अधिकारी बातचीत करने से बच रहे हैं। संवाद हीनता के कारण कई समस्याओं का समाधान नहीं हो पा रहा है।
जैन ने इस पूरे मामले की उच्च स्तरीय जांच कराकर जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है।