केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री श्री राजीव चंद्रशेखर ने चौथे सीआईआई ग्लोबल इलेक्ट्रॉनिक्स समिट के समापन सत्र को संबोधित करते हुए कहा कि पिछले दो वर्षों में, हमने अपनी अर्थव्यवस्था में लचीलापन दिखाया है। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने प्रोत्साहन पैकेज पर एक अच्छी तरह से सुनियोजित नीति को अपनाया। हमने अधिक खर्च नहीं किया, लेकिन अपनी अर्थव्यवस्था को फिर से पटरी पर लाने के लिए सही मात्रा में प्रोत्साहन राशि दी। हमने 2008 से सीखा है कि प्रोत्साहन कैसे करना है। भारत विश्व के लिए निर्माण करने के लिए तैयार है। उन्होंने प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी सरकार द्वारा अर्थव्यवस्था की बारीकियों से निपटने की सराहना की। उन्होंने कोविड महामारी के दौरान तथाकथित आर्थिक विशेषज्ञों द्वारा दिए गए सुझाव को खारिज कर दिया, जिन्होंने अमेरिका/ब्रिटेन प्रोत्साहन मॉडल का सुझाव दिया था।
इलेक्ट्रॉनिक्स क्षेत्र के प्रति सरकार की नीति के बारे में बोलते हुए, श्री राजीव चंद्रशेखर ने कहा कि “हमारी इलेक्ट्रॉनिक्स रणनीति का मूल मंत्र है – इलेक्ट्रॉनिक्स इकोसिस्टम को व्यापक और गहरा बनाना”। उन्होंने इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मंत्रालय के 1000 दिनों के विजन का उल्लेख किया, जिसका उद्देश्य आत्मनिर्भर भारत के लिए एक ट्रिलियन डॉलर के डिजिटल अर्थव्यवस्था को हासिल करना है।
उन्होंने इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण पर हाल ही में लॉन्च किए गए विजन डॉक्यूमेंट का भी उल्लेख किया, जिसका शीर्षक है- ‘भारत के इलेक्ट्रॉनिक्स निर्यात में वृद्धि और जीवीसी में हिस्सेदारी’। श्री राजीव चंद्रशेखर ने कहा कि इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण पर इस विजन डॉक्यूमेंट को आईसीईए ने संकलित किया है और उद्योग हितधारकों और मंत्रालय ने इसे संयुक्त रूप से जारी किया है। इसके बाद अब 300 अरब डॉलर के डिजिटल अर्थव्यवस्था लक्ष्य प्राप्त करने के रोडमैप पर पांच साल की भावी योजना को क्रियान्वित किया जाएगा, जिसे हमने इलेक्ट्रॉनिक्स क्षेत्र के लिए निर्धारित किया है।
पिछले 7 वर्षों में हुई प्रगति के बारे में बोलते हुए, श्री राजीव चंद्रशेखर ने उल्लेख किया कि “2014 से पहले, इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण की गतिविधि लगभग निष्क्रिय थी। 2014 के बाद से माननीय प्रधानमंत्री के मार्गदर्शन में हमने दिखाया है कि इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण एक ऐसी चीज है जिसके लिए हम सक्षम हैं। हालांकि हम 1.5 ट्रिलियन डॉलर के वैश्विक इलेक्ट्रॉनिक्स बाजार का सिर्फ तीन प्रतिशत हैं जो सागर में एक छोटी सी बूंद है, लेकिन हमने जबरदस्त प्रगति की है। हमने इसे 1.9 लाख करोड़ (2014) से 5 लाख करोड़ (2019-20) तक पहुंचाया है।”
उन्होंने आगे कहा कि जब दुनिया नई और भरोसेमंद आपूर्ति श्रृंखलाओं की तलाश में है तो ऐसे में कोविड के बाद की दुनिया में काफी अवसर पैदा हुए हैं। श्री राजीव चंद्रशेखर पिछले कुछ महीनों से इलेक्ट्रॉनिक्स क्षेत्र में कार्यरत विभिन्न हितधारकों के साथ विचार-विमर्श कर रहे हैं। वैश्विक इलेक्ट्रॉनिक्स सम्मेलन में उन्होंने आगे शुल्क संरचना में आवश्यक सुधारों के बारे में चर्चा करने के लिए कई परामर्शी बैठकों को आयोजित करके के बारे में संकेत दिया।
अपने संबोधन का समापन करते हुए, श्री राजीव चंद्रशेखर ने उल्लेख किया कि भारत सरकार, उद्योग, पर्यवेक्षकों और निवेश करने वाले लोगों के बीच पूर्ण सहमति है, कि यह भारत में इलेक्ट्रॉनिक्स क्षेत्र के विकास और विस्तार के लिए बिल्कुल सही समय है। उन्होंने कहा कि 300 अरब डॉलर की डिजिटल अर्थव्यवस्था के लक्ष्य तक पहुंचने के साधनों पर अलग-अलग राय हो सकती है, लेकिन इसे प्राप्त करने के लिए सभी हितधारकों के इरादे बिल्कुल मजबूत हैं।
सीआईआई ने इस दो दिवसीय ग्लोबल इलेक्ट्रॉनिक्स समिट का आयोजन किया था, जिसमें गियरिंग अप इंडिया टू मैन्युफैक्चरिंग फॉर द वर्ल्ड पर विभिन्न सत्रों का आयोजन किया गया था। सेमीकंडक्टर्स, कंपोनेंट इकोसिस्टम जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्र, डिजाइन के नेतृत्व वाले विनिर्माण को आगे बढ़ाते हुए, देश उन उत्पादों का निर्माण कैसे कर सकता है जो आज पूरी तरह से आयात किए जाते हैं और भारतीय विनिर्माण उन्नत तकनीकों को कैसे अपना सकता है, इसकी पहचान की गई और इन पर चर्चा की गई। इस कार्यक्रम में सीआईआई के महानिदेशक श्री चंद्रजीत बनर्जी, इनफिनियोन टेक्नोलॉजीज के एमडी श्री विनय शेनॉय, एचसीएल के संस्थापक, और ईपीआईसी फाउंडेशन के अध्यक्ष अजय चौधरी, डिक्सन टेक्नोलॉजीज के अध्यक्ष श्री सुनील वाचानी, अम्बर एंटरप्राइजेज के अध्यक्ष और सीईओ श्री जसबीर सिंह, इंडस्ट्री लीड- हाई टेक, एयरोस्पेस एंड डिफेंस, एक्सेंचर इंडिया के श्री विनय डोर्ले कार्यक्रम में शामिल हुए।
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एमजी/एएम/केसीवी
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