उत्पीड़ने झेलते पुरूषों के लिए भी हो कानून

उत्पीड़ने झेलते पुरूषों के लिए भी हो कानून

उत्पीड़ने झेलते पुरूषों के लिए भी हो कानून
फरीदाबाद 4 अप्रैल। टीम पुरूष आयोग द्वारा पुतला दहन कर उत्पीड़न झेलते पुरूषों के लिए भी कानून की मांग की गई।
फरीदाबाद हरियाणा के प्रवीन गुलाटी ने बताया कि अक्सर कथित नारीवादी समूहों द्वारा हमारे समाज को पितृसत्तामक के अलावा महिलाओं पर अत्याचार करने वाला बताया जाता है। इसके अलावा महिला छेड़छाड से लेकर दहेज और घरेलू हिंसाओं में अक्सर कानून महिला का पक्ष लेता दिख जाता है।
इस बात को ध्यान में रखते हुए फरीदाबाद (हरियाणा) के बीके चैक पर पुरुष आयोग की टीम द्वारा आयोजित कार्यक्रम मंे आयोग की तरफ से बताया गया कि एकतरफा महिलाओं की बात को महत्व दिया जाता है और महिलाएं इन कानूनों का दुरुपयोग कर रही हैं। जैसे छेड़छाड, रेप और दहेज जैसे कानूनों का अपने निजी फायदे के लिए इस्तेमाल होता है। इन मामलों में फंसने के बाद न सिर्फ समाज में पुरुष के सम्मान को चोट पहुंचती हैं बल्कि कई सालों की कानूनी लड़ाई में वो मानसिक पीड़ा से भी गुजरता है। अगर वो निर्दोष साबित होता है तो उसके समय, पैसे और मानहानि की भरपाई नहीं हो सकती। अकसर देखने में भी आता है कि घरेलू झगड़ों को बढ़ाचढ़ा कर अपराध बना दिया जाता है। इसके अलावा धन व जमीन जायदाद हड़पने, रंजिश निकालने व परेशान करने के लिए झूठे केस बनाए जाते हैं. कोर्ट कचहरियों में मुकदमों की भरमार है। एक तरफ जहाँ समाज में लैंगिक समानता की बात होती है वहां इस प्रकार से एकतरफा कार्यवाहिओं का भी विरोध होना चाहिए।
समाज सेवी प्रवीन गुलाटी ने कहा कि सभी को पुरुषों के बारे में भी सोचना चाहिए। पुरुषों के लिए कोई भी कानून नही है।

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